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कई रंगों में रंगने लगा है Puja पर ED जाँच | Illegal mining के तार सोने में भी चमकने लगा | Puja Singhal पर ED का कसता शिकंजा | Illegal mining के मामले में जाँच कई रंगों में रंगने लगा है ।
प्रदेशों के चक्कर लगाता Illegal mining के जाँच भागलपुर तक पहुँच गई है। सूत्र बताते हैं कि ED के अधिकारी भागलपुर के कुछ सोना व्यवसाईयों को अपने रडार पर ले चुकी है। सन्थाल परगना के कोई भगत , निरंजन तथा दीवान की कुंडली खंगालें में लगी है। ये तीनों तथाकथित मिनी मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलते हैं।
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Puja singhl ने किए हैं कई जगह निवेश
पूजा के तिषल्म में नगद के साथ 150 करोड़ के निवेश के कागज़ात भी मिले हैं। इधर भागलपुर, कोलकाता और साहेबगंज के सोने की चमक ने भी पूजा को ललचाया।
बताया जा रहा है, करीब 25 करोड़ के सोने में खपाया गया है। साहेबगंज और भागलपुर के सोने का कनेक्शन सीमापार से रहा है। ऐसे में काले हीरे पत्थर को भेजकर सोना मंगाया गया हो तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसमें बीच मे सोने के सौदागरों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। ED है कि अपनी जाँच की ख़ुदाई में सब निकाल ही लेगा। शायद इसीलिए ED ने CBI जाँच की मांग रखी है। सीमापार से जुगाड़ NIA को भी जाँच में ले आये तो आश्चर्य नहीं। Puja पर अभी जाँच के कई फूल चढ़ेंगे और करवाई की आरती की ताप बहुतों को लगेगी।
मुख्यमंत्री और प्रशासन हुआ रेस
सन्थाल परगना के थानेदारों तथा सिविल पदाधिकारियों ने अंधाधुंध छापेमारियों को अंजाम देना शुरु कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर चल रही है छापेमारी। अवैध खनन माफियाओं में ख़ौफ़ तो है। लेकिन पदाधिकारियों और सरकार के विरुद्ध छोभ भी कम नहीं। जब ED नहीं आई थी, तो मिलकर मलाई खा रहे थे, अब छापेमारी क्यूँ ? ये सवाल अधिकारियों को सामने से पूछे जा रहे हैं। सवाल स्वाभाविक भी है। अधिकारियों को नॉकरी बचानी है, तथा मुख्यमंत्री को सरकार।
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अनिल कुमार सिंह की क्या थी गलती ???
तत्कालीन रेंजर अनिल कुमार सिंह ने कोयला और पत्थर माफियाओं पर नकेल कसा था। पूरे राज्य से आये कोयला माफियाओं के साथ पत्थर माफिया भी नकेल में आये। कई मामले अनिल कुमार ने दर्ज किये। की गई कार्रवाइयों में मुख्यमंत्री के भाई के पार्टनर भी आ गए। बस जबरन रिटायरमेंट दे कर उन्हें घर बिठा दिया। अनिल कुमार सिंह बिके नही तो नप गए। इस सरकार में समझौता कर न बिकनेवाले अधिकारियों के लिए उदाहरण बन गए। किनको नौकरी प्यारी नहीं, सभी अनिल कुमार सिंह तो होते नहीं !
झारखंड में बहुत मुश्किल है ईमानदारी
झारखंड में एक ईमानदार अधिकारी कैसे काम करता है ये दिलीप झा या अनिल ही बता सकते हैं। पूरे कार्यकाल में क्या क्या नहीं भोगा प्रमोटी आई ए एस दिलीप कुमार झा ने। पाकुड़ में पूजा भी दिलीप झा से उलझ चुकी है। यही पाकुड़ है, कि ईमानदारी खा गया अनिल कुमार की नौकरी। इन सब के पीछे राजनीति तथा नेताओं का घटियापन रहा जिम्मेदार। लेकिन अब ED जाँच खोल रहा पोल ।