आत्म परिचय
राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला..
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला..
मेरा नाम “कृपा सिन्धु तिवारी”है। पत्रकारिता की दुनियाँ में लोग मुझे “कृपासिन्धु बच्चन” के नाम से भी जानते हैं।
पत्रकारिता, लेखन और सामाजिक मामलों में संवेदनशीलता और फिर उसे शब्दों में पिरोना मुझे पैतृक सम्पत्ति के रूप में विरासत में मिली है।
मेरे पिता हिन्दी तथा संस्कृत के एक जीता जागता हाड़ मांस के पर्याय थे। ऐसे में उनकी नाराज़गी में पड़नेवाली डांट-डपट भी कुछ न कुछ सिखा ही जाता रहा।
संस्कृत से ऑनर्स के बाद मैंनें भागलपुर दंगा देखा। समाज मे उमड़ आए दर्द को नज़दीक से अहसासा। उस दर्द के अहसास ने मुझे पीड़ितों की आवाज़ बनने को प्रेरित किया। फ़िर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली गया। भौतिक दुनियाँ की दौड़ में शामिल हो गया , लेकिन दौड़ में काफ़ी पीछे छूट गया।
समाज मे पीड़ितों की आवाज़ बनने की धुन ने मुझे, पत्रकारिता की गलियों में चुपके से मेरा हाथ पकड़ कर किसी प्रेमिका की तरह खींच लिया , और मैं दिल्ली-राँची-संथालपरगना होते हुए पत्रकारिता की आग़ोश में समाता चला गया।
नवभारत टाइम्स , आज , प्रभात खबर , दैनिक जागरण, हिंदुस्तान और छोटे-बड़े अख़बारों के पन्नों से गुजरता हुआ कई पत्र-पत्रिकाओं के सफ़र के बाद मैं डिजिटल दुनियाँ के पन्नों पर भी अपनी हाज़री बनाता गया। आज इस पेज पर मेरी हाज़री उसी की एक कड़ी है।
पत्रकारिता में दर्दों से इतना सामना हुआ कि , दर्द मानो मेरी संगिनी सी बन गई, और हमेशा लगता था , कि वो दर्द मुझे चुपके से कुछ कहता है।
यहाँ मैंनें अहसासा कि पत्रकारिता दर्द को साक्षी भाव से परोस भर देती है, लेकिन उसके नेपथ्य की कहानी मंच के पिछले पर्दे के उसपार सिसकती रह जाती है।
सन बिहाइंड द वेष्ट में झाँकने की आदतों ने मुझे इस पेज़ पर आने को मजबूर किया।
मैं यहाँ नेपथ्य की कहानी कहने की कोशिश करुँगा।
“
पिछले 30-32 वर्षों से मैं कृपासिंधु जी को जनता हूँ. छात्र जीवन में हम सभी मित्रगण उन्हें बच्चन जी के नाम से पुकारते और जानते थे. हम दोनों बहुत दिनों तक छात्र जीवन मे साथ रहे, नतीजतन उनकी सोच और लेखनी से मैं विशेष रुप से परिचित रहा. मुझे पूरा विश्वास है, कि आप सभी इनके शब्दों की बुनाहट से जरूर लाभ उठाएंगे.
बच्चन भाई को अशेष बधाई के साथ अनन्त शुभकामनाएं और बड़ा भाई होने के नाते आशीर्वाद देता हूँ, कि वे आपलोगों को अपनी लेखनी से सार्थकता के साथ सींचते रहें.
बहुत शुभकामनाएं भाई बच्चन..
डॉ0 निशिकांत दुबे, सांसद
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र
झारखंड