अचानक अमीर बनने और सट्टा लगाने वालों की बर्बादी हैं इसके सपूत । नेताओं के साथ विशेष विषय पर चर्चा की सेल्फी डालनेवाले भी हैं भागीदार।
Mhadew एप से सट्टा और जुआ खेलने खेलाने का मामला इनदिनों चर्चा में है। पूरा देश इस एप के कारनामों से दाँतों तले अंगुलियाँ दबा रहा है।
इसी पैटर्न पर पाकुड़ में भी एप के जरिए जुआ-सट्टा का एक बाज़ार बहुत पहले आकार ले चुका है। हँलांकि फिलवक्त ये बाज़ार जानकारों के अनुसार एक वेब पेज के जरिये चल रहा है। एक पूरा संगठित ग्रुप इस धंधे में शामिल है।
देसी बुकी के नाम पर लगाई-खाई के कोड वर्ड पर पूरा खेल मोबाइल पर और डिजिटली चलता है।
जो भी इस खेल के खिलाड़ी हैं, उन्हें सब कुछ उपलब्ध कराया जाता है।फिर डिजिटल प्लेटफार्म पर अपने मोबाइल से पहुँच अपनी जमा पूँजी के अनुसार कोएन्स लगाया जाता है। फिर लोग आउट हो जाते हैं । रविवार और सोमवार को इसका हिसाब साप्ताहिक होता है। यहाँ के मास्टर सट्टेबाज किंग्स के ग्रुप का बंगाल के हुंडी (हवाला) वालों के द्वारा मेट्रो सिटीज के सट्टेबाजों से सम्पर्क और लेनदेन है। युवा पीढ़ी इस चंगुल में बर्बाद और किंग्स मालामाल हो रहे हैं।
पाकुड़ के सट्टा किंग्स के मालामाल होने की बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि बात-बात में महज़ कुछ लाख की जमीन दोगुने दाम पर ख़रीद लिया जाता है। एक मामूली से दुकान पर पूरे कई भाइयों के परिवार का गुजारा चलने वाले किसी एक भाई के पास अगर इतने बड़े पैमाने पर नगद पैसे दिखे तो, ये मामला एक चिंतन के लिए काफ़ी है।जबकि उसका नाम ऑन लाइन सट्टे और जुए के ग्रुप से जुड़ा हो। इन किंग्स में एक आदमी तो ऐसा है कि जितनी उसकी उम्र नही उससे दो गुना ज्यादा बार वो थायलैंड जा चुका है।
कहते हैं उसने वहाँ अपना दिल भी किसी की झोली में डाल रखा है। हँलांकि पत्नी के शक ने थायलैंड टूर पर थोड़ा खेप को कम कर रखा है। लेकिन कोलकाता के नाम पर थायलैंड जाना आना लगा रहता है। करे भी तो क्या ? दिल है कि मानता नहीँ , और जब पैसे की भरमार हो तो पैरों का लड़खड़ाना और दिल का बहकना लाज़मी है। बिल्डिंग पर बिल्डिंग अनायास देखते देखते ठोक देना इस ग्रुप के सदस्यों के लिए तो मानों आम बात है।
इनलोगों को ऐसे लोगों का संरक्षण भी प्राप्त है। जो राजनैतिक पार्टियों के नेताओं का संग और पार्टियों गेस्ट कार्यकता के रूप में सेल्फी और फ़ोटो खींचकर-खिंचवाकर सोसल मीडिया पर आत्मश्लाघ्या का प्रदर्शन करते हैं।
एटीएम लॉटरी (ऐसा स्थानीय जाली लॉटरी) जिसपर कोई टेक्स नहीं देना पड़ता। इस पर भी जोरों का संरक्षण राजनैतिक छिछोरे विनिमय पर दे रहे हैं।
अब तो दिवाली पर कितने ही दीवाली मनाएंगे, और इसमें कितनों का दिवाला निकलेगा , धूलियांन (पश्चिम बंगाल) एटीएम लॉटरी की प्रिटिंग और पाकुड़ में होने वाले प्रिंटिंग से ध्यान भटकना आदि की कहानी बाँकी है। चलिए अगली बार।
मेरे लिखने और आपके पढ़ने में भी तो समय लगता है न साहब इसलिए।