दीये तले ही अंधेरा क्यूँ है भाई ?
पाकुड़ के कोयले से कई प्रान्त रोशन होते हैं। पाकुड़ के पत्थरों ने कोलकाता, इलाहाबाद, कानपुर और न जाने कहाँ-कहाँ समृद्धि की रोशनी जलाई । पाकुड़ की राजनीति और राजनैतिक प्रतिनिधियों ने कितने दलालों , ईमान के सौदागरों को कई पीढ़ियों तक की रोशन ज़िंदगी एडवांस में दे डाली।
लेकिन यहाँ की जनता आज भी अंधेरे में रहने को विवश है। दिन में बिजली की आँख मिचौली को छोड़ दें, शाम होते ही बिजली अपनी गैरमौजूदगी की बिजली गिराने लगती है।
आये दिन राजनैतिक पार्टियों के व्हाट्सएप ग्रुपों पर डींगें हाँकी जाती हैं, कि फलाना नेता फ़लाने से बिजली के लिए मिले, वार्ता की 🤣।
लेकिन बिजली है कि मानती नहीं। बेचारी जनता…..।
आश्चर्य है कि कुर्सियां एलान करतीं हैं, कि 100 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी। पहले ये बताओ कि बिजली पर सब्सिडी क्यूँ ख़त्म की ? इधर 100 यूनिट फ्री और उधर कोई क्लीयर नहीं कि 101 यूनिट पर क्या और कैसे चार्ज लगेगा ! भोली जनता भोलेनाथ बनकर भष्मासुरों को कुर्सियां दे डालती हैं !
अब बताओ कि ये 100 यूनिट जो फ्री बिजली मिलेगी, वो बिजली क्या तुम्हारे सेफ्टिटेंक के गेस से उत्पादित करोगे ? या फिर राज्य के संसाधनों तथा उलटी नाक पकड़कर हमसे लिए पैसों से ही उत्पादित करोगे ? भैया तुम्हारे पा के पास इतने पैसे तो नहीं कि तुम बाँटते फ़िरो ! और अगर हैं , तो ये ED की गिरफ़्त में कौन से कर्णधार सब हैं जो बिजली पैदा कर रहे हैं ?
मत करो जुमलों की जुगाली। ये जनता जब जुगाली की गुगली फेंकेगी तो सब हिम्मत फ़िक़्क़ा पड़ जायेगा। बिजली के वाज़िब पैसे लो, और बिजली सुचारू रूप से दो। अभी तो बस इतना ही , लेकिन अगर….याद रखो , वोटों का पिटारा जनता के ही पास है, और जनता वोट फ्री में ही देती है। हमें भीख नही , हमारे सुविधा का अधिकार दो, जिसपर ख़ादी कुंडली मार बैठी है।
बापू 😭😭😭इन्हें समझाओ ना 😥😥😥