Wednesday, July 24, 2024
HomeUncategorizedबेदर्द महीने और कलम के सिपाहियों का ज़ख्म

बेदर्द महीने और कलम के सिपाहियों का ज़ख्म

आसमान को ऊँचाइयों की क्या बात करें हम,

पेट की गहराइयों में खो गया है आदमी

फरवरी मार्च और अप्रैल का महीना सरकार के विभाग और जिम्मेदारियां इतनी बेरहम हो जाती हैं कि हमें जीने नही देती।
इन्ही दिनों बच्चों की परीक्षाएं
टेक्स भरने के लिए नोटिशें
नगरपालिका ,बिजली विभाग , बैंक जैसे सभी बेरहमों के प्रेम पत्र और न जाने क्या क्या !
हे भगवान फिर बच्चों का रिएडमिशन, किताबें ड्रेस
सच में जीने पर भी सोचना पड़ जाता है
लेकिन सरकारें इन विषयों पर क्यों नही सोचती ?
मैं ये नही कहता कि सब माफ़ कर दो लेकिन सोचो यार
किश्तों में मारो
ये हक़ है आपको कि आप चाहे जो करें
मगर क़त्ल भी करें तो जरा प्यार से
खाश कर हम जैसे लोगों के लिए बड़ी समस्या है सरकार
क्योंकि ठहरे मुफ़सील पत्रकार और स्वाभिमानी बनने के ढोंग में विज्ञापन भी नही उठा पाते, अख़बार और टी भी वालों के कोर्ट पेंट , ए सी , बंगला, ठाट बाट सब हमारे खून पर ही चलते हैं । किसी तरह पमरिया , बन्दी चारण के तर्ज़ पर अपना जीवन बसर करते हैं , ताकि हमारे मालिकों को खून मिल सके।
और हाँ मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड भी ऐसा है, कि अगर कहीं नॉकरी ….पार्ट या फूल टाइम जॉब भी मांगने जाते हैं, तो कोई विस्वास ही नही करता … हंस कर ठहाकों के साथ प्रेम से चाय वाय पिलाते हुए ये कह कर टाल जाते हैं कि आपको और नोकरी मज़ाक मत कीजिये साहब , देश विदेश ……………..
खैर टाल जाते हैं ,अब उनको कैसे समझाये कि हमको तो यही हमी होने ने मारा है
कभी बेबशी ने मारा
कभी बेकशी ने मारा
किस किस का नाम लूँ
मुझे हर किसी में मारा
बस सरकार और हालात से विनम्र प्रार्थना है कि हम जैसे बीच में लटके न अमीर न गरीब बन सके लोगों को जरा किश्तों में मारें तो बड़ी कृपा होगी।
मेरे जैसे मेरे सभी मित्रों को समर्पित
साथ ही भगवान से यह प्रार्थना भी कि कोई मित्र मेरे जैसा न हों।

Comment box में अपनी राय अवश्य दे....

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments