बड़े साहब क्या हुआ तेरा वादा ? ED ने तो छान दिया सब घोटाला | उपायुक्त ने पत्रकारों से किये वादे निभाये होते, तो सरकार कम होती बदनाम
कुछ दिनों पहले पाकुड़ उपायुक्त ने प्रेसवार्ता कर पत्रकारों से कहा था। रेलवे से पत्थर ढुलाई की गड़बड़ी पर वे ख़ुद जाँच करेंगे। लेकिन ……..खैर अब Puja Singhal मामले में ED जाँच तथा DMO से पूछताछ के बाद अब लोग पूछने लगे हैं—- क्या हुआ तेरा वादा ? ये सवाल आम जनता के ओठों पर है।
चर्चा भी गली-नुक्कड़ों पर है। लोग सवाल वहाँ जाकर नहीं पूछ सकते। जहाँ पूछना चाहिए, पूछे भी तो कैसे ? यहाँ तो शेर के गले में घण्टी बाँधने का सवाल है। इसलिए लोग हम बीच वाले से ही पूछ लेते हैं और हम बगली तो झाँक नहीं सकते।
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इसलिए पन्नों पर ही आम जनता की आवाज और सवाल उठा देते है। पत्थर तो रेलवे से भेजा गया पर चालान नदारत थे। हुआ ये क्या पिछले दिनों रेलवे से पत्थर संप्रेषण में खुलासा हुई गड़बड़ी पर शनिवार को उपायुक्त पाकुड़ ने स्वयं इस मामले की जाँच करने की बात पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही। ये बातें स्वयं में एक उदाहरण पेश करता नज़र आया। साधारणतया ऐसे मामलों पर एक औपचारिकता जाँच समिति बना कर कर दी जाती है। लेकिन पहली बार उपायुक्त ने ऐसे मामले में स्वयं जाँच करने की बात कह सबको चोंका दिया।
उधर हड़कम्प कहाँ कहाँ मचा होगा, इसे बयाँ करना बेवज़ह सावित होगा। हँलांकि उपायुक्त के उस शनिवार को किये पत्रकार सम्मेलन और कही बातों के कई दर्जन शनिवार बीत चुके हैं। हँलांकि तीन कम्पनी को 7-8 करोड़ की नोटिस खनन पदाधिकारी ने भेजा है। ये स्वयं बड़ी गड़बड़ी का द्योतक है।
इधर इन तीनों में से एक कम्पनी के प्रोपराइटर बिहार के एक ब्लैक लिस्टेड निर्माण कम्पनी के मालिक से सम्बन्धित है। उनका बड़बोलापन ऐसा है कि मुख्यमंत्रियों के साथ उनकी बैठकी है और नाना पाटेकर की “अब तक 56” फ़िल्म की तरह उनका रेकॉर्ड “अब तक 22” का है। अब भगवान जाने वो क्या हैं, ऐसी पहेलियों को पत्रकार जगत सुन कर दूसरे कान से निकाल देते हैं। दूसरी एक कम्पनी में अब प्रोपराइटर के रहते एक महिला का सक्रिय दखल है और कई बार वो महिला एक बड़ी राजनैतिक हस्ती की मेहमान बन कर सप्ताह दो सप्ताह सरकारी गेस्ट हाउस में भुगतनी मेहमान भी रह चुकीं हैं।
अब माननीय उपायुक्त के स्वयं जाँच में ये मामला आ गया है, तो कई नई कलई खुलने का अंदेशा है। हड़कम्प और चिंता की लकीरें खनन विभाग की दीवारों पर भी दिख रहीं हैं। अगर उपायुक्त स्वयं जाँच करते तो राजनैतिक संरक्षण प्राप्त और कई कम्पनी इसकी ज़द में आती, तो क्या इसलिए वो सिर्फ़ आई वॉस सम्मेलन था। सवाल लाज़मी है। लेकिन हुआ कुछ नहीं और ED आ धमकी।
क्या है रॉयल्टी का मामला
आपके प्यारे अख़बार ने आपके सामने इस मामले को परोसा भी था। वास्तव पाकुड़ रेलवे पत्थर लोडिंग साइडिंग पर कितनी विसंगतियाँ हैं, इस पर चर्चा हरि कथा अनन्ता को भी पीछे छोड़ती नज़र आती है। अपर और लोअर रेलवे साइडिंग में दर्जनों प्लॉट किसी न किसी कारण वस वर्षों से कागज़ों पर खाली है, लेकिन उस पर भंडारण और लोडिंग बजायफ़्ता जारी है, क्यूँ है ? कैसे है ? आदि विषयों पर आगे की रिपोर्टिंग में बताएँगे, लेकिन जब बिना माइनिंग चलान के पत्थर भेजने की चर्चा जब चली तो अनायास दिनांक 26/7/21 का एक नोटिश सामने आया। नोटिश नम्बर सी ओ एम/प्लाट/पीकेआर/न्यू अलॉटमेंट/19 डीआरएम (कमर्शियल) इश्टर्न रेलवे हावड़ा इनवाईट्स (एक्सप्रेशन ऑफ ईंटरेष्ट ) 59 एन ओ एस वेकेंट प्लॉटस पाकुड़ क्वायरी साइडिंग के अनुसार दो पारामीटर पर आमंत्रित किए गए, पर कहते हैं कि इस नोटिस को सार्वजनिक होने से रोक दिया गया।
क्यूँ ये रेलवे अधिकारी ही बता सकते हैं। जबकि नोटिस में साफ निर्देश है, कि इसे अखबारों में प्रकाशित करना है। इससे सम्बंधित एक पदाधिकारी जे एन साहा से जब इस संवाददाता ने बात की तो अपनी टूटी फूटी हिंदी में जो बताया उसका अर्थ ये था, कि ये उनका डिपार्टमेंट नहीं है, लेकिन जब संवाददाता ने बंगला में बोल कर माहौल को दोस्ताना बना दिया। तो माननीय साहा ने बताया कि ये नोटिस उनके पास आया था और कोलकाता में इसे प्रकाशित कराया गया होगा। उन्होनें ये भी बताया कि प्लॉट एलॉटमेंट का दूसरा डिपार्टमेंट है। मामला जो भी हो, कहीं न कहीं मामले में गड़बड़ी की बू आ रही है। जानकारी के अनुसार रेलवे के खाली लोडिंग साइड्स पर माफियाओं का राज है। अगर पाकुड़ उपायुक्त ने अपना वादा निभाया होता तो पाकुड़ और रेलवे कुछ कम ही बदनाम होता।