नॉट—- चित्र में दिये ख़बर कितना सच है , ये तो पता नहीं। मैं इस ख़बर की पुष्टि भी नहीं करता ,लेकिन सोसल मीडिया पर ख़बर दिखा तो दृष्टांत याद आ गया।लिख डाला जो दिल में था।
कहते हैं कि पद , प्रतिष्ठा , पैसा , शराब और हथियार सभी हजम नहीं कर पाते। ये चीजें गड़बड़ हाजमे वालों के व्यवहार और बातों से दुर्गंध के रूप में निकल ही आते हैं।
संयोग से पाकुड़ भी इससे अछूता नहीं है।
महज़ व्हाट्सएप में एडमिन से हटाए जाने पर एक पत्रकार को सबक सिखाने की बात कहने से भी नहीं हिचकते। ऐसे में कोई सफल राजनेता होने की बात भी कैसे सोच सकता है।
पैसे के बल पर कुछ गरीबों की मदद कर , और राजनेताओं के साथ फ़ोटो पोष्ट कर आम जनता के दिल तक उतरना सम्भव नहीं है। किसी शायर ने कहा है —
“जिश्म की बात नहीं है , उसके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है।”
पाकुड़ के पड़ोस में एक जिला है , वहाँ दशकों पहले एक समर्थ प्रत्याशी ने मतदाताओं को उस समय सायकिल दिया था, जब सायकिल मोटरसाइकिल की हैसियत रखता था। लेकिन वो चुनाव हार गए थे।
आम जनता सिर्फ़ आपके भौतिक सहयोग से आपका मूल्यांकन नहीं करते बल्कि आपके आचार विचार और व्यवहार को भी बारीकी से देखते हैं।
बूथ लूट का जमाना पीछे बहुत दूर छूट गया , अब आप अपने व्यवहार और बातों से दिल लूटने की सोचिये , तो बात बनेगी।
खैर पत्रकारों को धमकाने वाले ये समझ लें कि पत्रकार जिस दिन पत्रकारिता करने की सोचते हैं , अपनी जान हथेली पर रख लेते हैं , लेकिन चुनाव लड़ने की सोचने वाले पहले अंगरक्षकों की बहाली करते हैं , तब जनता के बीच पहुँचते हैं।
धमक के सहारे राजनीति नहीं होती यार , व्यवहार से व्यक्तित्व चमकाओ , राजनीति में चमकता व्यक्तितव ही जनता को भाता है।
लिखना कहना और उदाहरण बहुत देना चाहता था लेकिन पाठक अन्यथा न ले ले इसलिए फ़िलवक्त इतना ही।
चाटुकारों से बचो , शहद ख़त्म होते ही ये किसी और डाल पर नज़र आएंगे।
बाँकी जो है , सो तो हेईये है 😊