Sunday, December 22, 2024
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पत्थर खदानों ने सिर्फ़ Puja को पूजा नहीं, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को लीला भी हैं

puja को पूजने में सुरक्षा नियमों की हुई खुल कर अनदेखी  |  अभी भी खुली आँखों से पदाधिकारियों को नहीं दिखतीं सुरक्षा में कमी

पत्थर खदानों के जितनी संख्या में Puja पूजी गईं हैं। उससे कहीं अधिक ज़िंदगियाँ लील चुकी है,पाकुड़ के पत्थर खदान ! आश्चर्य है कि कोई इस ओर ध्यान तक नहीं देता। सरकारी अमलें ED के ख़ौफ़ से रेस तो हुईं हैं।लेकिन सुरक्षा नियमों पर आँखें अभी भी बंद है। ऐसा नहीं है कि पहले अधिकारी दौरा नहीं करते थे। पर ये दौरायें किनसे कितना वसूलना है तक के उद्देश्य तक सीमित थीं। लेकिन अब भी सिर्फ़ अवैध को बंद करने की कयावद में दौरा हो रहे हैं। भैया इसी दौरे में वैध में अगर नज़र दौड़ा लेते तो दौरा सार्थक होता।लेकिन नहीं अभी तो सिर्फ आईवॉस करना है, तथा ख़ुद को बचाना है।

नहीं होती सुरक्षा नियमों पर अमल

सुरसा की तरह मुँह बाए धरती के सीने पर ये खाइयों जैसे सैकड़ों फूट गहरे खदान आपको कहीं भी दिख जाएंगे। ये एशिया प्रसिद्ध काले पत्थरों को उगलने वाले खदान हैं। यही खदान अभी puja मामले में चर्चा में है। इन खदानों ने कितने व्यवसायियों और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने वालों सरकारी और गैर सरकारी अमलों को कड़ोरों रुपये उगल कर दिए हैं । कितने दिए हैं, इसकी कल्पना करना अबअसम्भव नहीं है। अगर आप इन खदानों के मालिकों और इनसे जुड़े आज तक पदस्थापित सरकारी अमलों की सम्पत्तियों की बृहत उच्च स्तरीय जाँच या अवलोकन करें , तो देश विदेश में इसके तार जुड़े मिलेंगे। जो ED जाँच से दिख रहा है। सैकड़ों उदाहरण है। पर ये खदान कितनी ज़िंदगियाँ लील चुकी हैं। अब तक ये अंदाज़ा लगाना तक मुश्किल है। पालतू पशुओं की तो छोड़ दें ।इंसानों को भी निगलने में इन पाताल छूती गड्ढों को कोई परहेज़ नही है। दुखद और चिंता की बात ये है, कि इसी तरह के एक खदान ने एक मालिक तक को ही लीलने से नही छोड़ा। कुछ दिनों पहले प्रदीप भगत नाम के एक पत्थर व्यवसायी अपने ही खदान में मोटरसाइकिल से फिसल कर गिर गये, और दुखद अंत को प्राप्त हो गये। कितने ही लोग असुरक्षित और खनन नियमों को अँगूठा दिखनेवाले खदानों में अपनी जान गवाँ चुके हैं, लेकिन हर जान की एक क़ीमत लग जाता है यहाँ।

खदानों को देखिए न, माइंस और मिनरल एक्ट तथा खान सुरक्षा के तमाम नियमों को ताख़ पर रख कर खुले खदानों की खुदाई से कितने लोगों को ख़ुदा की ख़ुदाई बचा सकती है। एक ग़लती हुई नही कि ख़ुदा के प्यारे होने से कोई नही बचा सकता। नियमों के अनुसार मोटे तौर पर हर पाँच फुट की खुदाई पर पाँच फीट चौड़ा एक बैंच होना है। और ऐसे ही बैंचों की क्रमबद्धता के साथ सीढ़ी नुमा खनन का नियम है। खदान के किनारे बृक्षारोपण और सुरक्षित घेराबंदी आवश्यक है। सड़क से नियत दूरी पर ही खनन करने का नियम है।
लेकिन यहाँ आइए, देखिए कहीं बेंच नहीं दिखेगा। वो बिलकुल मुख्य सड़क के किनारे है।

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