पाकुड़ सदर प्रखंड के रहसपुर के मजदूर सुल्तान शेख ने ये सावित कर दिया है, कि मजदूर मजबूर नहीं होता, वो चाह ले तो किसान बनकर दुनियाँ का पेट भरने के लिए धरती चीर कर अनाज ऊगा दे, गगनचुंबी इमारत बना दे, केनल खोदकर नदियाँ बहा दे, या फिर अपने आँगन की गोद मे समाज, शहर,राज्य और देश को रोशन करनेवाला कोहिनूर पाल ले।
हाँ ये कर दिखाया है मजदूरी करनेवाले सुल्तान ने मेहनत और अच्छी परवरिश के बलपर सुल्तान ने ऐसी सुलतानी दिखाई कि अपने आँगन में बेटे अबू तालिब को ऐसा चिकित्सक गढ़ दिया कि झारखंड के राज्यपाल ने गोल्ड मेडल से नवाजा।
मजदूर के बेटे ने पिता की नाकाफ़ी कमाई और आये दिन अभाव के कंकडिले राह पर चल कर अपनी प्रतिभा का ऐसा लोहा मनवाया कि उसके पिता के साथ सम्पूर्ण पकुड़वासी गौरव का अनुभव कर रहे हैं।
अब पाकुड़ के पथरीली जमीन पर पत्थरों की ओट से एक ऐसा डॉक्टर फूल खिला है, जिसके हाथ मे उनकी काबिलियत की गवाही देता चमचमाता गोल्डमेडल है।
तालिब ने डॉक्टर की पढ़ाई में लिया है गोल्डमेडल।
मजदूर की मेहनत ने पत्थरों की ओट में खिला दिया गोल्डमेडलिष्ट फूल
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