Sunday, December 22, 2024
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प्रशासन सख्त, डाल-डाल, पर वो तो पात-पात ही रहेंगे

ED कुछ भी करे या प्रशासन डंडा चलाकर रफ़्फ़ु करे, यूँ इतने दिनों तक नहीं की है Puja  |  प्रशासन सख़्त, पर हम तो पात-पात रहेंगे

एक बार मोबाइल फिर बज उठता है। मैं भी उसे उठा लेता हूँ। दुआ सलामों के बाद मेरे या कागज़ात बनवाने में जूते घिस जाते हैं। लेकिन अफसरशाही के चक्कर में सही कागज़ात बन नहीं पाते। मज़बूरी में व्यापार करना पड़ता है। मजदूरों का भी ख़याल रखकर काम तो करना है, रोज़गार तो देना है। अखबार भी व्हाट्सएप पर पढ़ा, ठीक वही बात लिखी थी। अवैध खनन पर लेसियों की बातें बिलकुल सही है। सरकार कोई ऐसी व्यवस्था नहीं करती कि एक जगह सभी वैध कागज़ात बनाकर आराम से व्यापार किया जाता ।

खैर अगर सरकार और व्यवस्था में कमी है, तो किसी भी कीमत पर अवैध ढंग से व्यापार करना उचित भी नहीं। लेकिन मजदूरों के रोजगार को ढाल बनाकर शासन प्रशासन की करवाई से बचने का बहाना ढूँढना उचित नहीं ठहराया जा सकता। खैर धरना प्रदर्शन और घेराव आदि का उदाहरण पर लिखने से परोक्ष रूप से चेताया गया।

अँधों और गंजों की शहर में आईना और कंघी बेचने निकल पड़े हैं हम। मुझे तो ऐसा ही लगा। पता नहीं लोग शब्दों को सिर्फ़ क्यूँ देखते हैं ! उसकी बुनावट को भी समझें कृपया।
मैं आग्रह करूँगा कि मेरे सभी आलेखों को पढ़ कर देखें और तौलें-समझें।

सोने नहीं दिया इन बातों ने। शबभर (रातभर) घूमा। कहने को सबकुछ ठीक है, लेकिन कुछ ठीक नहीं। शबभर ग़ज़ब के सबकुछ दिखा। ओभरलोडेड गाड़ियाँ चलतीं हैं। ज़रा चित्र में ओभरलोडेड ट्रक देखिए, शहर में मेन रोड पर दिखा। हम भी मुफस्सिल थाने के चेकपोस्ट तक अपनी नज़रो से आर्यियात आये। चेक पोस्ट से जब दूर से गुजरते देख लिया तो लौट आए। फिर जहाँ गया वहाँ दिखा और जाना कि लगातार ट्रकों का आना जाना जारी है। खासकर रात में ज्यादा। पत्थरघट्टा चेकपोस्ट मेजिस्ट्रेट और cctv कैमरा लगाया गया है।परन्तु पीपल जोड़ी से चेंगाडंगा हमरुल कान्हुपुर होते हुए राजग्राम की ओर जाने वाले रास्ते से अनवरत परिवहन जारी है।

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