Wednesday, July 24, 2024
Homeप्रेरकबस हाथ की लेखनी ही काफ़ी है नन्दलाल परशुराम सर के लिए

बस हाथ की लेखनी ही काफ़ी है नन्दलाल परशुराम सर के लिए

*हिन्दुस्तान के संपादक ओमप्रकाश अश्क जी गोड्डा आए और नए व्यूरो चीफ अनिमेष भाई को बनाए। वे बोले कि केवल नंदलाल बाबू की खबर हाथ से* *लिखी होगी बाकी को टाइप कर खबर भेजनी* *है*
*पल्लव, गोड्डा*

नंदलाल परशुरामका जी के साथ सौतेला व्यवहार की बात दिल्ली हिन्दुस्तान के संपादक के पास भी पहुंच गया। वहां से आदेश आया कि गोड्डा के पुराने व्यूरो को हटाकर नया व्यूरोचीफ बनाया जाय। इसी क्रम में हिन्दुस्तान धनबाद के तत्कालीन संपादक ओमप्रकाश अश्क साहब गोड्डा आये और *अनिमेष भाई को नया व्यूरो चीफ बनाए। गोड्डा आने* *पर अश्क साहब नए व्यूरो चीफ अनिमेष जी से बोले कि नंदलाल बाबू के हाथ से लिखी खबर को केवल टाइप करा देना* है। बाकी संवाददाताओं को अपने से टाइप कर खबर भेजनी है। इस तरह इस वार की लड़ाई मेें भी अपने को इश्मार खान समझने वाले पत्रकार भाई को मुंह खानी पड़ी।
*नया व्यूरो चीफ अनिमेष जी छोटा भाई ऐसे सब दिन रहा है। वे* *बोलते भैया आपने चाणक्य जैसा रॉल अदा कर मुझे चंद्रगुप्त मौर्य बना दिया है। आपको मेरी ताज की हिफाजत सब दिन करनी है। मैंने अनिमेष भाई को* उसी समय वचन दिया कि जो सही है, उसके साथ पल्लव हर समय खड़ा ही नहीं, किसी भी हद तक लड़ने के लिए भी तैयार है। आप शान से हिन्दुस्तान में लिखिएगा। मेरी अगर कहीं जरूरत होगी तो एक बड़े भाई के रूप में हमेशा आपके आगे खड़ा रहूंगा।
जब अनिमेष जी व्यूरो चीफ हिन्दुस्तान का बन गए तो नंदलाल बाबू को काफी इज्जत करने लगे। वे सदा उसे चाचा कहकर ही संबोधित करते। वे खुशी मन से पत्रकारिता करने लगे। नंदलाल बाबू बोलते कि जब भी पत्रकारिता में मुझे दिक्कत हुई तो आप संकटमोचन बनकर आगे आए पल्लव जी। आप पहले तो किसी को छेड़ते नहीं, लेकिन जो आपको बेवजह छेड़ा, उसको आपने कभी छोड़ा भी नहीं। *नंदलाल बाबू मुझे सब दिन हिम्मती और जीवट इंसान कहते थे। सच भी यही है कि मेरा एक* *हाथ अगर इंद्रजीत तिवारी थे तो दूसरा हाथ नंदलाल बाबू थे। नंदलाल बाबू के नहीं रहने से मेरा एक हाथ जरूर टूट* *गया। पर मैं आपको भरोसा दिलाता हूं दादा, कि आपकी अदृश्य प्रेरणा शक्ति मुझे कभी कमजोर होने नहीं देगी।*
*नोट – आज नंदलाल बाबू का श्राद्ध कर्म संपन्न हाे रहा है। वैसे तो इनपर लिखने के लिए मेरे पास कई महीनों का खजाना है। पर कल का आलेख नंदलाल बाबू पर अंतिम होगा। विनम्र श्रद्धांजलि दादा।*

Comment box में अपनी राय अवश्य दे....

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments