Saturday, July 27, 2024
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वसंत ऋतु में कैसे रखे अपनों का ख्याल

इन दिनों सर्दी खाँसी और कफ जनित बीमारियों ने मेरे और मेरे घर के साथ घर – घर मे दस्तख दी है। ऋतुओं के सन्धिकाल में ऐसी बीमारियाँ अपनी उपस्थिति मानव जीवन में बनाती रहती हैं।

इस समय कैसे रहा जाय और सावधानियों के साथ किन औषधीय गुणवाले घरेलू उपाय किये जांय, इस विषय पर मेरे फेसबुक मित्र prakash dubey ने एक आलेख बसंत ऋतु के संदेश के नाम से पोष्ट किया है। आप सभी मित्र भी प्रकाश भाई के निम्न आलेख से फ़ायदा लें, इसलिए हु ब हु उसे प्रस्तुत कर रहा हूँ।

वसंत ऋतु का संदेश
खान-पान का ध्यान विशेष-वसंत ऋतु का है संदेश
18 फरवरी 2022 शुक्रवार से वसंत ऋतु प्रारंभ।

ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है। इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उल्टी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफ वर्धक हैं। (अष्टांगहृदय ३.२६)

वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है। इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग , अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें।भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है। उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है।

विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है। तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है।

वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग
२ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से ‘रसायन’ के लाभ प्राप्त होते हैं |
१५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है।
अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है।
५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है।
रीठे का छिलका पानी में पीसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है।
१० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है।
१० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है।

सावधानी : मुँह में कफ आने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें। कफ की तकलीफ में अंग्रेजी दवाइयाँ लेने से कफ सूख जाता है, जो भविष्य में टी.बी., दमा, कैंसर जैसे गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकता है| अतः कफ बढ़ने पर ? जकरणी जलनेति का प्रयोग करें।

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