Puja प्रकरण ने अवैध खनन को सत्यापित कर दिया। अब कानून अपना काम करेगा। इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बाबत ED ने CBI से जाँच की बात भी की है। लेकिन इतना काफ़ी नहीं होगा। इसमें कालांतर में NIA की भी आवश्यकता पड़ेगी। इतने बड़े स्तर पर होनेवाले अवैध खनन में विस्फोटों की भी तो खपत होती है। कहाँ से आता है ये अवैध विस्फोटक सामग्री ? इस सवाल का जवाब NIA ही ढूंढ सकती है।
पुलिस फाइलों में दर्ज हैं मामले
सिर्फ़ संथाल परगना के थानों की फाइलों को खंगाला जाय तो एक दशक में सैकड़ों मामले इसकी गवाही देंगे। हर रोज़ हजारों किलो बिभिन्न तरह के विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल अवैध-वैध खदानों में होता है। जो वैध विस्फोटक अनुज्ञप्तिधारी खनन लेसी हैं। उनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी खपत प्रतिदिन10 किलो है। लेकिन उन्होंने गलत रिपोर्टिंग कर सौ किलो प्रतिदिन की अनुज्ञप्ति ले रखी है। मतलब शेष विस्फोटक अवैध खनन माफियाओं को बेचते हैं।
इसे भी पढ़े – पाकुड़िया में विस्फोटक का जखीरा बरामद
तथा और भी अवैध औद्योगिक विस्फोटों का बड़ी मात्रा में आपूर्ति होती है। दर्जनों वैध खनन लेसियों के पास वैध विस्फोटक अनुज्ञप्ति भी नहीं हैं। लेकिन उत्पादन किसी से कम नहीं। तो ऐसे में उन्हें क्या धरती माता पत्थर बिना विस्फोट किये उगल देती है। कलयुग में ये सम्भव नहीं। मतलब साफ़ है। अवैध विस्फोटक सामग्री का एक बड़ा बाज़ार खनन माफियाओं को ये उपलब्ध कराता है।
इसे भी पढ़े – विस्फोटक के जखीरा का बंगाल-पाकुड़-कोटालपोखर से है कनेक्शन
नक़्सली, अलगाववादी तत्व उठा सकता है इसका लाभ
पत्थर औद्योगिक क्षेत्र में जिलेटीन , डेटोनेटर और अमोनीयमनाइट्रेट का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। नक़्सली और आतंकी संगठन इसका प्रयोग करते आये हैं। जब ये आराम से यहाँ उपलब्ध है तो वे सीमापार से इसे लाने का जोखिम क्यूँ उठाएं ?
इसे भी पढ़े – झारखंड में पूजाओं की कमी नहीं, पाकुड़ में भी एक पूजा (puja) कर रही संरक्षित अवैध खनन (Illegal mining)
ऐसे में इस अवैध खनन के तिषल्मी दुनियाँ में अब NIA की जरुरत भी दिखती है। खँगालने होंगे अवैध विस्फोटक की अंधेरी गलियों को भी। क्योंकि आज तक पुलिस ने सिर्फ स्वार्थजनित कारणों से विस्फोटक सामग्री जप्त की,पर परिणाम तक नहीं पहुँच पाए।