Friday, November 22, 2024
Homeखोजी पत्रकारिताबुद्धिजीवी, समाज, पत्रकार की सकारात्मक सोच और पुलिस की कड़ाई ही इलाज़...

बुद्धिजीवी, समाज, पत्रकार की सकारात्मक सोच और पुलिस की कड़ाई ही इलाज़ है, नशे में डूबे रुग्ण भविष्य का

आपने मेरा ड्रग्स पर लिखा आलेख पढ़ा होगा, पूरे आलेख से ये बात तो समझ में आ गई होगी कि पाकुड़ के युवा कल के वर्तमान, आज का भविष्य किस क़दर नशे की आग़ोश में हाँफ रहा है। कुछ लोगों की समृद्धि की भूख हमारे भविष्य से किस क़दर खेल रहा है।

मेरे पूर्व के आलेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करें Click here

मैंनें अपने आलेख के अंत मे लिखा था कि समाज के ऐसे कोढों से निपटने के लिए पुलिस को उत्तरप्रदेश की नीति अपनानी चाहिए। अगर कहें सही तो हाँ ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि परिवार, समाज, प्रदेश और देश के लिए तैयार होती इस निकम्मी फसल को संवारने के लिए थोड़ी अंगुलियों को टेढ़ी तो करना पड़ेगा।

पुलिस को अपने ख़ुफ़िया सूचना तंत्र से ये पता लगाना होगा कि समाज के कौन कौन से युवा ऐसे नशें की गिरफ़्त में है, उन्हें उठाकर आवश्यक हो तो थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर ड्रग्स की गंगोत्री का पता लगाना होगा। जब ऐसे स्थानीय गंगोत्री का पता चल जाय, तो फिर इन गंगोत्रीयों को जन्म देने वाले जहरीले ग्लेशियर का पता लगाना आसान हो जाएगा।

पुलिस को सूचना तंत्र को मजबूत कर ऐसे कदम उठाने होंगे, और हमारे जैसे पत्रकारों को अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर कंस्ट्रक्टिव जनर्लिज्म, और समाज को सकारात्मक भाव से पुलिस को मदद कर इस जहरीले रैकेट पर विराम लगाना होगा। यहाँ समाज के सभी वर्गों को सकारात्मक रवैया अख्तियार करना होगा।

वरना सोचें कि हमारी अगली पीढ़ी नशें की गिरफ़्त में कैसे एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है? एक कैसा भविष्य हम समाज, प्रदेश और देश को परोस जाएँगे। जिस पीढ़ी के कदम लड़खड़ाते रहेंगे, पलकें बोझिल और दिमाग सुप्त रहेगा, वो कैसा भविष्य होगा !

सोचकर ही रूह तक सिहर उठता है।
खून तक बेचकर नशे की आगोश में ऊंघता हमारा ये भविष्य ? हे भगवान

Note:- (अवश्य पढ़े) तीसरी कड़ी में पढ़े खुनबेचवा ड्रगिष्टों की कहानी

Comment box में अपनी राय अवश्य दे....

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments