डॉ०एस०पी० लोहरा राष्ट्र गौरव अवार्ड से होंगे सम्मानित
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ग्राम-गुतरु,प्रखण्ड-बुढ़मू,राँची (झारखण्ड)निवासी तथा वर्तमान में के०के०एम०कॉलेज पाकुड़(एस०के०एम०यू०दुमका)के प्रभारी प्राचार्य डॉ०शिवप्रसाद लोहरा को भव्या फाउंडेशन जयपुर की ओर से शिक्षा,साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एंड नेशनल अवार्ड सेरेमनी -राष्ट्र गौरव अवार्ड -2022 के एक भव्य समारोह में राष्ट्र गौरव अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा,विशेष समारोह में इस अवार्ड को प्राप्त करने के लिए देश -विदेश से चयनित कई नामचीन हस्तियां शामिल होंगे,डॉ०लोहरा ने इस अवार्ड के लिए चयनित किये जाने पर भव्या फाउंडेशन जयपुर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित ही मुझे इस अवार्ड से जीवन के हर एक अच्छे क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान हेतु अधिक उत्साह और मनोबल प्राप्त हुआ है,अपने आत्मसंतोष के लिए कर्तव्य भावना से अपने साथ दूसरे जरूरतमंदों के लिए भी कुछ अच्छा काम करके उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास कर अपने दिल में सुकून महसूस करना चाहेंगे,उन्होंने इस बड़ी उपलब्धि का श्रेय ईश्वर,अपने माता-पिता ,गुरुजन एवं शुभचिंतकों को दिया है ।
प्राचार्य लोहरा ने मनवाया अपने कार्यों से लोहा , होंगे राष्ट्र गौरव से सम्मानित
डिजिटली भी सत्संगति से सम्भव है स्वयं का परिष्करण
सन्तों की संगति मनुष्य के सिर्फ़ स्वभाव को सुंदर नहीं बनता, बल्कि दिल-दिमाग के साथ व्यक्ति के चिंतन और दूरदृष्टि को भी परिष्कृत तथा स्वस्थ करता है।
राज्य के सबसे बड़े साहब बनते ही अपना वादा भूल गए हजूर, ये तो वादाखिलाफी है !😢
शिक्षाविद निर्मल मुर्मू की कलम से —-
एक बार फिर से युवाओं के सपनें को जोरदार धक्का लगा।
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जब झारखंड के युवाओं ने भरी सदन में झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय हेमंत सोरेन जी को यह कहते हुए सुना कि हमने 5 लाख सरकारी नौकरी नहीं, रोजगार का वादा किया था और स्थानीय नीति खतियान आधारित कभी नहीं बन सकती हैं। क्योंकि झारखंड के युवाओं ने युवा मुख्यमंत्री को बहुत ही आस भरी निगाहों से देखी थी उनसे ऐसी बातों का कभी उम्मीद ही नहीं किया थे। आज युवाओं के सपनें को फिर से जोरदार धक्का लगा और टूट कर बिखर गई। उन युवाओं का क्या होगा जो दिन रात नौकरी की आस में तैयारी कर रहे हैं, डिग्रियां ले रहे हैं, घर द्वार छोड़कर तैयारी करने में जुटे हुए हैं। और उन अभिभावकों का भी क्या होगा? जो खून पसीना बहा कर है सारे धनराशि अपना बेटा बेटी की पढ़ाई में लगा देते हैं।
वादा तो आपने मुख्यमंत्री जी बहुत सारा किया था। आपने कहा था बेरोजगार युवाओं को 5 हजार और 7 हजार बेरोजगारी भत्ता देंगे, 3 लाख का आवास देंगे, अनुबंध कर्मियों को नियमित करेंगे, 1932 का खतियान लागू करेंगे, समान काम का समान वेतन देंगे, निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करेंगे आदि जो अभी गिना पाना संभव नहीं है, लेकिन इससे भी युवाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता था। उनका सपना को तब धक्का लगा जब आपने कहा हम नौकरी की बात नहीं रोजगार की बात किए हैं और खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति नहीं बना सकते।
क्या इसी झारखंड के लिए यहां के युवाओं ने, नौजवानों ने, मां बहनों ने और बुजुर्गों ने अपना खून पसीना बहा कर झारखंड की लड़ाई लड़ी थी? झारखण्ड मिलने के बाद भी अगर यहां के लोगों को रोजगार ना मिले, उनको अपना हक ना मिले, उनका यहां कोई पहचान ना हो, बाहरी लोगों से ठगा महसूस करें, तो ऐसे झारखंड का क्या औचित्य है? सुन लीजिए मुख्यमंत्री जी यहां के लोग अगर झारखंड को लड़कर ले सकते हैं तो आपसे सत्ता छिनने का हिम्मत भी रखते हैं।वह दिन दूर नहीं कि आप खुद को झारखंड का दूसरा राहुल गांधी महसूस करेंगे।
✍️ निर्मल मुर्मू
बेदर्द महीने और कलम के सिपाहियों का ज़ख्म
आसमान को ऊँचाइयों की क्या बात करें हम,
पेट की गहराइयों में खो गया है आदमी
फरवरी मार्च और अप्रैल का महीना सरकार के विभाग और जिम्मेदारियां इतनी बेरहम हो जाती हैं कि हमें जीने नही देती।
इन्ही दिनों बच्चों की परीक्षाएं
टेक्स भरने के लिए नोटिशें
नगरपालिका ,बिजली विभाग , बैंक जैसे सभी बेरहमों के प्रेम पत्र और न जाने क्या क्या !
हे भगवान फिर बच्चों का रिएडमिशन, किताबें ड्रेस
सच में जीने पर भी सोचना पड़ जाता है
लेकिन सरकारें इन विषयों पर क्यों नही सोचती ?
मैं ये नही कहता कि सब माफ़ कर दो लेकिन सोचो यार
किश्तों में मारो
ये हक़ है आपको कि आप चाहे जो करें
मगर क़त्ल भी करें तो जरा प्यार से
खाश कर हम जैसे लोगों के लिए बड़ी समस्या है सरकार
क्योंकि ठहरे मुफ़सील पत्रकार और स्वाभिमानी बनने के ढोंग में विज्ञापन भी नही उठा पाते, अख़बार और टी भी वालों के कोर्ट पेंट , ए सी , बंगला, ठाट बाट सब हमारे खून पर ही चलते हैं । किसी तरह पमरिया , बन्दी चारण के तर्ज़ पर अपना जीवन बसर करते हैं , ताकि हमारे मालिकों को खून मिल सके।
और हाँ मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड भी ऐसा है, कि अगर कहीं नॉकरी ….पार्ट या फूल टाइम जॉब भी मांगने जाते हैं, तो कोई विस्वास ही नही करता … हंस कर ठहाकों के साथ प्रेम से चाय वाय पिलाते हुए ये कह कर टाल जाते हैं कि आपको और नोकरी मज़ाक मत कीजिये साहब , देश विदेश ……………..
खैर टाल जाते हैं ,अब उनको कैसे समझाये कि हमको तो यही हमी होने ने मारा है
कभी बेबशी ने मारा
कभी बेकशी ने मारा
किस किस का नाम लूँ
मुझे हर किसी में मारा
बस सरकार और हालात से विनम्र प्रार्थना है कि हम जैसे बीच में लटके न अमीर न गरीब बन सके लोगों को जरा किश्तों में मारें तो बड़ी कृपा होगी।
मेरे जैसे मेरे सभी मित्रों को समर्पित
साथ ही भगवान से यह प्रार्थना भी कि कोई मित्र मेरे जैसा न हों।