झारखंड में राजनैतिक अस्थिरता बनी हुई है । कुछ समय के लिए सरकार की समस्या ठहरती भर हैं।
लेकिन फ़िर पक्ष मौका पर मौका देते हैं, तथा विपक्ष हल्ला बोलता है।
इधर उपराजधानी दुमका जल रहा है। जले भी क्यूँ नही !
आशिकी में दिलजले लड़कियों को जिंदा जला रहे हैं , तो वहसी दरिंदे चीरहरण कर लज्जाभंग के साथ हत्याकांड को अंज़ाम दे रहे हैं।
सड़कों पर स्वाभाविक विरोध दिख रहा है।
इसका परिणाम दूर दराज के यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले बच्चों और अभिवावकों पर पड़ रहा है। सभी सशंकित हो बच्चों को क्लास तक एटेंड करने नही भेज रहे ।
अभिवावक और बच्चे, खाशकर लड़कियाँ अपना नाम गोपनीय रखते हुए ऑन लाइन वर्गाध्यापन की बात कर रहीं हैं। पर्याप्त सुरक्षा में परीक्षा की माँग कर रहीं हैं।
इधर अभिवावकों को चिंता है , कि परीक्षा देने बच्चियाँ सुरक्षित परीक्षा हॉल तक कैसे पहुँचे !
कुल मिलाकर इस असुरक्षित माहौल और सड़कों पर विरोध की धधकते आक्रोश के बीच शिक्षा , छात्र और अभिवावक सिसक रहे हैं।
आख़िर कुछ तो करो सरकार !
अंकिता तो वहाँ उसपार ,और परिवार सहित सभ्य समाज इसपार सिसकियों में डूबा तो है। लेकिन हमारे अंकों के मूल्यांकन की प्रक्रिया पर तो कोई गणित लगाइए हजूर।
बच्चियों के दर्द और आतंक से आतंकित भविष्य पर सोचना तो होगा।
क्यूँ सरकार, राज्यपाल महोदय और यूनिवर्सिटी प्रधान , आपको बच्चियों और अभिवावकों की चिंता जायज नहीं लगती ?
सोचिए , जरूर सोचिए ।
दुमका सिसकियों में डूबा है,सरकार अपनी बचाव में व्यस्त, विपक्ष हमलावर और छात्र-छात्राएं ? कोई पूछे तो उनसे !
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