Tuesday, September 17, 2024
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*हेमंत सोरेन सरकार का ‘आपकी योजना-आपकी सरकार’ कार्यक्रम केवल दिखावा है:आलमगीर आलम*

*हेमंत सोरेन की सरकार दौड़ती कम है और हांफती ज्यादा है:आजसू जिलाध्यक्ष आलमगीर आलम*

सोसल मीडिया पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पाकुड़ आजसू के जिला अध्यक्ष ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार द्वारा बड़े जोर-शोर से प्रचारित ‘आपकी योजना-आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य की जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ सरलता से पहुँचाना बताया जा रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि इस पहल के माध्यम से आमजन को उनकी पंचायत में ही योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिलकुल अलग है। *आजसू जिलाध्यक्ष आलमगीर आलम* ने कहा कि
पिछले वर्ष भी इसी तरह के शिविर आयोजित किए गए थे, जिसमें हजारों आवेदन लिए गए, लेकिन एक साल बाद भी हजारों आवेदन फाइलों में दबे पड़े हैं। सरकारी आंकड़ों में भले ही इन शिविरों को ‘अत्यंत सफल’ बताया जा रहा हो, लेकिन असलियत में ये केवल एक दिखावा साबित हुए हैं। इस वर्ष भी झारखंड सरकार ने दिनांक- 30 अगस्त से 15 सितम्बर, 2024 तक फिर से ये शिविर आयोजित किया है, लेकिन सवाल उठता है कि जब पिछले साल के शिविरों में प्राप्त आवेदनों का ही निष्पादन नहीं हो सका, तो इस बार क्या अलग होगा? जनता का आरोप है कि सरकार के इस कार्यक्रम का मकसद केवल चुनावी लाभ उठाना है।
आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी अपने इस कार्यक्रम को लेकर आत्मप्रशंसा में लगे हुए हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे बिलकुल उलट है। इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर अचानक अत्यधिक काम का दबाव डाला जा रहा है, बल्कि आम जनता को भी भ्रमित किया जा रहा है। शिविरों में आने वाले लोग उम्मीदों के साथ आते हैं, लेकिन अधिकांश को निराशा ही हाथ लगती है। शिविर में होने वाली भीड़ और अव्यवस्था के कारण कई बार लोग बिना काम के ही लौट जाते हैं। वहीं, शिविरों में मौजूद अधिकारियों के पास आवश्यक संसाधनों की कमी और प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते लोगों की समस्याएं ज्यों की त्यों रह जाती हैं।
कई मामलों में यह केवल दिखावा साबित हो रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार की यह नीति केवल जनता को मूर्ख बनाने के लिए है। जब सरकारी कार्यालयों में नियमित कामकाज सुचारू रूप से नहीं हो रहा है, तो इस तरह के शिविरों का आयोजन करने का कोई अर्थ नहीं है। यदि सरकार अपने कर्मचारियों को नियमित रूप से पंचायत सचिवालय में उपस्थित रहने के निर्देश दे, तो इन शिविरों की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। इन शिविरों के आयोजन का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव यह है कि जब तक ये शिविर चलते रहेंगे, प्रखंड और अंचल कार्यालयों में सारे अधिकारी और कर्मचारी गायब रहेंगे। इससे जनता का रोजमर्रा का काम भी प्रभावित हो रहा है। जनता का काम न तो प्रखंड मुख्यालय में हो पा रहा है और न ही इन शिविरों में। *आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम* ने कहा कि ‘आपकी योजना-आपकी सरकार’ कार्यक्रम एक असफल और दिखावटी प्रयास साबित हो रहा है। यह कार्यक्रम सरकार की नाकामियों को छुपाने और जनता को भ्रमित करने का एक माध्यम बनकर रह गया है। जनता को अब इस तरह की दिखावटी योजनाओं से सतर्क रहने की आवश्यकता है, जो केवल उनकी भावनाओं के साथ खेलती हैं। हेमंत सोरेन की सरकार दौड़ती कम है और हांफती ज्यादा है।

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