Tuesday, April 29, 2025
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मनाई गई बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती , किये गए माल्यार्पण।

दिनांक 14 अप्रैल 2025 दिन सोमवार को भारत रत्न, विश्वविद्वान एवं भारत के संविधान रचयिता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती समारोह मनाया गया। डॉ भीमराव अंबेडकर विचार मंच पाकुड़ के द्वारा बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती में सिद्धू कानू पार्क से शोभायात्रा निकाली गई बुक शोभायात्रा को मुख्य सड़क से होते हुए बैंड बाजा के साथ अंबेडकर चौक तक चलाया आया वह शोभा यात्रा अंबेडकर चौक के पास बाबा साहब की आदमकद प्रतिमा को मंच के विभिन्न पदाधिकारी ने बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों उनके द्वारा किए गए कार्य एवं समाज में समरसता के प्रति अपना अपना विचार प्रकट किया। बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती समारोह में पाकुड़ शहर के प्रबुद्ध नागरिक, समाजसेवी एवं जिला के सभी पदाधिकारी गण तथा मंच के सभी पदाधिकारी गन उपस्थित हुए।
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संविधान सभा की संक्षिप्त जानकारी
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भारतीय संविधान को संविधान सभा ने बनाया था. संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी. डॉ अम्बेडकर के निर्देशन में संविधान की मूल कॉपी को प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने लिखा था. वहीं, संविधान की हिन्दी पांडुलिपि को वसंत कृष्ण वैद्य ने लिखा था.
संविधान के निर्माण के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए प्रारूप समिति का गठन किया था
संविधान दुनिया के सबसे लंबा और सबसे विस्तृत संविधान के निर्माण के लिए 22 सदस्यीय टीम बनाई गई थी। 4 फरवरी 1948 को समिति ने सविधान को 165 दिनों में 11 बैठकों के बाद प्रकाशित किया। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित करने के बाद 26 जनवरी1950 को इसे लागू कर दिया गया था।
चूँकि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ आंबेडकर थे , और उनके निर्देशन तथा देखरेख में संविधान की ड्राफ्टिंग हुई , इसलिए उन्हें इसके निर्माण का श्रेय जाता है।
डॉ आंबेडकर ने हमारे संविधान के निर्माण में समानता और समाज के सभी वर्गों के अधिकारों का सन्तुलित ध्यान रखा , और समय समय पर समसामयिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसमें तार्किक संशोधन के रास्ते भी बनाये रखे। ताकि सामयिक आवश्यकता के अनुसार हम अपने संविधान को और ज्यादा निखार सकें।
हमारा संविधान दुनियाँ का सबसे बड़ा संविधान है , उसपर विस्तार से चर्चा किसी चन्द शब्दों ,पन्तियों और पन्नों में नहीं किया जा सकता , लेकिन संविधान निर्माण के विषय में उक्त संक्षिप्त परिचय ही काफी लगता है।
और हरसाल 14 अप्रेल को हम बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाते हुए , उन्हें याद कर हम माल्यार्पण आदि कर सम्मान समर्पित करते हैं।
सोमवार को भी पूरे प्रशासन , राजनैतिक पार्टियों सहित सम्पूर्ण समाज ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए बाबा साहब को माल्यार्पण किया। पाकुड़ के अम्बेडकर चोंक पर उनके आदमकद प्रतिमा के पास समारोह पूर्वक उन्हें याद किया गया।
इस समय दुखद सिर्फ़ इतना है कि एक ओर हम अपने संविधान निर्माता को सम्मान अर्पित कर रहे हैं तो दूसरी ओर देश में विभिन्न स्थानों पर इसी संविधान संशोधन के विरोध में संविधान का ही हिंसक चीरहरण कर रहे हैं , जबकि इसी संविधान ने अपनी असहमतियों को सरकार के सामने रखने के लिए अहिंसक धरना प्रदर्शन का हमें विकल्प दे रखा है।
सवाल उठता है कि क्या हमारे संविधान निर्माता हमारे हिंसक प्रदर्शन से माल्यार्पण के बाद भी आँसू नहीं बहा रहे होंगे। उनकी प्रतिमा को माल्यार्पण कर वहीं उनके आँखों में आँखें डाल कर हमें स्वयं से ये सवाल पूछना चाहिए।
मैं पूज्य बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर से अपने देश की ओर से माफ़ी माँगता हूँ , और संविधान सम्मत चलने , विचारने तथा रहने की सद्बुद्धि की भीख आशीर्वाद के रूप में माँगता हूँ।

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