World Press Freedom Day 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर अगर हम भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर विवेचना करें, तो इसके कई पहलुओं में झाँकना होगा।
विश्व की प्रतिष्ठित संस्था के आंकड़ों को यदि हम खंगालें तो प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर भारत 180 देशों में काफ़ी पिछड़ा हुआ है।
अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में भी भारत की स्थिति संतोषजनक आंकड़ों में नहीं दिखती। लेकिन अगर जमीनी स्तर पर हम इसे अपने अनुभव के अनुसार टटोलते हैं, तो प्रेस की स्वतंत्रता के हिसाब से व्यक्तिगत मुझे ऐसा नही दिखता। स्वतंत्र प्रेस पर कोई स्पेसिफिक कानून तो नही है। लेकिन भारत मे कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। ऐसे में यहाँ जो स्पष्ट तौर पर दिखता है, कि कोई भी व्यक्ति लाइव टीभी पर बैठकर सरकार, सरकारी अमलों तथा यहाँ तक कि सरकार के मुखिया की भी आलोचना कर आरोप लगाते हैं। कोई भी चैनल या अखबार एवं मीडिया माध्यम उसे बेख़ौफ़ परोस भी रहे हैं। ऐसे में प्रेस की स्वतंत्रता पर उठने वाले सवाल एवं आंकड़ों पर मुझे आपत्ति दिखती है।
कानूनन धाराओं एवं उप धाराओं के अनुसार भारत में अभिव्यक्ति की बिना किसी अवरोध के पूर्ण रूप से स्वतंत्रता कम से कम मुझे दिखती है। अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठ परोसा जाय तो अगर उस पर किसी भी स्तर पर आपत्ति दर्ज होती है, तो इसकी निंदा नहीं होनी चाहिए। हाँ भारत मे पत्रकारिता, राजनीति की तरह ही विभिन्न रूपों और पहलुओं से स्वार्थजनित हो गईं है। ऐसे में राजनैतिक प्रभाव में अगर पत्रकारिता के स्तर के पतन की बात कही जाय तो अतिश्योक्ति नही होगी। इसके लिए पत्रकार के साथ मीडिया हाउस तथा पत्रकारिता के बाजारीकरण मुख्य रूप से उत्तरदायी है। इस पर विचार और बहस की जरूरत है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की होड़ में अनुपयुक्त लोगों का इसमें विभिन्न रूपों से जुड़ जाना काफ़ी दुखद और चिंताजनक है। पत्रकारिता का ग्रामीण इलाकों में पतन से स्वाभाविक रूप से इस पेशे में ख़तरा को पैदा करता है। ऐसे सड़क पर चलते, ड्राईभ करते , घर में बैठे लोगों पर भी काफ़ी ख़तरे होते हैं। जरूरी नहीं कि उन पर हमला हो किसी भी तरह की दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। ऐसे में आम नागरिकों की आवाज़ बनने और उठाने वाले पत्रकारों पर भी काफ़ी ख़तरे हैं। अगर उन ख़तरों से आपको परहेज है, तो इस पेशे में मत आएं।
मैंनें कई आलेख और रिपोर्ट पढ़े। जिस तरह भारत में पत्रकारिता एवं इससे जुड़े मामलों का मूल्यांकन किया गया है, उसपर मैं सहमत नहीं हूँ। कानून, मानवीय मूल्यों, देश की सुरक्षा तथा किसी भी तरह के स्वार्थ से विरत रह कर भारत में पत्रकारिता अत्यंत स्वतंत्र तथा सुरक्षित है।