Friday, October 18, 2024
Homeप्रेरकसमाजसेवी लुत्फ़ल हक को वर्ष का सबसे प्रेरणादायक अवार्ड से नावाजा गया

समाजसेवी लुत्फ़ल हक को वर्ष का सबसे प्रेरणादायक अवार्ड से नावाजा गया

:–यु ए ई और भारत के मिनिस्टर ने अपने हाथों से किया सम्मान

:–बॉलीवुड के मशहूर सिंगर कुमार सानू ने लुत्फ़ल हक के नाम के कसीदे पढ़े

पाकुड़-पाकुड़ के मशहूर समाज सेवी लुत्फ़ल हक को दुबई के पांच सितारा होटल में वर्ष का सबसे प्रेरणादायक सामाजिक कार्यकर्ता का अवार्ड से नावाजा गया है.श्री हक को बतौर चीफ गेस्ट यूनाइटेड अरब एमीरेट्स के पूर्व मंत्री डॉक्टर मोहम्मद सईद अल किंदी,भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु,बिहार के केबिनेट मंत्री अशोक चौधरी,दुबई के अध्यक्ष एवं सी ई ओ चेम्बर मोहम्मद अली रशीद लूटाह एवं बॉलीवुड के मशहूर सिंगर कुमार सानू ने अपने हाथों से सम्मानित किया है.अतिथियों ने मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर उज्जवल भविष्य की कामना की.अतिथियों ने अपने सम्बोधन में कहा की भारत के सबसे एक छोर में बसा झारखंड के पाकुड़ शहर के लुत्फ़ल हक ने जिस तरह गरीबों,जरूरतमंदो एवं जाति मजहब से उठकर जो काम कर रहें है वह वाकई काबिल ए तारीफ है.बिना कोई भेदभाव और निःस्वार्थ से काम करना अपने आप में मिशाल क़ायम करने का काम कर रहे है. उल्लेखनीय है की दुबई के पांच सितारा होटल में इंडो अरब लीडर्स समिट एंड अवार्ड 2024 का कार्यक्रम आयोजित किया गया था.जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के पचास लोगों को सम्मानित किया गया. जिसमे भारत के मशहूर मशहूर डॉक्टर,व्यवसाई,शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता,साइंटिस्ट, इंजीनियर आदि को सम्मानित किया गया.इधर अवार्ड मिलने के बाद समाजसेवी लुत्फ़ल हक़ ने मीडिया को बताया की प्रतिदिन दर्जनों फरियादी आते है उन्हें कभी भी खाली हाथ नहीं लौटाता हूँ.कभी कभी मेरे पॉकेट में रूपये नहीं होने के बाद भी दूसरे से मदद लेकर गरीबों को बाँट देता हूँ.क्यूंकि गरीबों को मदद करने से कुछ भी कमी नहीं आएगी. उन्होंने कहा इसी का प्रतिफल है की आज मुझे देश के साथ साथ विदेश में भी सम्मान मिल रहा है.

कौन है लुत्फ़ल हक़…..

लुत्फ़ल हक़ पश्चिम बंगाल और झारखंड के सीमा पर बसा ओदित्य नगर के एक गरीब परिवार में जन्म लिया.गरीबी इतनी की अगर दोपहर का भोजन किया तो शाम में चूल्हा जलाने के लिए सोंचना पड़ता था की रात में क्या खाना खाऊंगा. जिसे लेकर लुत्फ़ल ने बंगाल छोड़कर झारखंड के पाकुड़ पहुँच गए. इसके बाद परिवार चलाने के लिए एक छोटी सी किताब की दुकान कर लिए. जबकि लुत्फ़ल हक पढ़े लिखें नहीं होने के बाद भी किताब बिक्री कर रहे थे.जब उससे भी परिवार को चलाने में दिक्क़त हो रही थी पत्थर खदान और क्रेशर में मजदूरी करने लगे और धीरे धीरे अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर पाकुड़ सबसे बड़े पत्थर व्यवसाई के रूप में जाने जाते है. सबसे अधिक झारखंड सरकार को टैक्स भी देते है. पिछले डेढ़ वर्ष से लगातार रेलवे स्टेशन पर गरीब और जरूरतमंदो को निःशुल्क भोजन कराते है. कोरोना काल में सबसे अधिक राशन बाँटने, ऑक्सीजन सिलिंडर देने,गरीबों और जरूरतमंदो को ठण्ड के मौसम में कंबल बाँटने का,पर्व त्यौहार में हमेशा बढ़चढ कर सहयोग करते है.

Comment box में अपनी राय अवश्य दे....

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments