अमिताभ बच्चन की एक फ़िल्म थी “शराबी”। उसमें कुछ गुंडों की पिटाई के बाद एक डायलॉग अमिताभ कहते थे “एक आप लोग हैं और एक वे थे। आप सबने इस फ़िल्म को देखा ही होगा।
इन दिनों टीभी ऑन करते ही मुझे वो डायलॉग याद आ जाता है। बंगाल के सन्देशखाली के शाहजहां की चर्चा आम है । उनकी करतूतों ने न सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे देश को शर्मसार किया है। ड्राइवर और सब्जी बेचने वाले शाहजहां राजनीति में आने के बाद न सिर्फ इस क़दर अमीर बन गया कि ED के रडार पर आ गया, बल्कि उनके करतूतों के पन्ने उलटने लगे , और की ऐसी कहानियां सामने आने लगीं कि सभी चैनलों पर बहस जारी है। लोग छी छी कर रहे हैं।
इधर घनघोर गरीबी से जूझते अपने मेहनत से सफ़ल हुए एक व्यवसायी इसपार झारखंड में प्रतिदिन 300 गरीबों को खाना खिला रहे हैं। मोटरसाइकिल रखने की क्षमता रखनेवाले सवारों में जागरूकता लाने के लिए हेलमेट बाँट रहे हैं। कड़कती ठंड में कम्बल , टोपी बाँटने के साथ फरियादियों की सहायता में हर वक़्त हाज़िर उन्होंने कोरोना और उसके बाद भी हजारों परिवार को राशन उपलब्ध कराकर भुखमरी के कगार से बाहर निकाला।
अपने समाजसेवी कर्मो के कारण देश विदेश में सम्मानित वो समाज के लिए एक आदर्श और सम्मान बन गये हैं।
गरीबी की गलियों से निकले वो अपनी बदली स्थिति को सेवा की दिशा देकर पूरे समाज बिरादरी और देश राज्य के लिए सम्मान का विषय बन गये हैं , वही सन्देशखाली के शाहजहां ने पूरे देश को शर्मसार करने का काम किया है।
हाँलाकि दोनों की तुलना किसी भी कीमत पर नहीं की जा सकती, ( इसलिए मैं उनका नाम नहीं लिख रहा ) लेकिन वो कहते हैं कि पद, प्रतिष्ठा , पैसा रिवॉल्वर और शराब सभी को हजम नहीँ होता।
ठीक उसी तरह गरीबी को मात देकर वो जहाँ मसीहा सावित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सन्देशखाली के साथ पूरे देश को शाहजहां ने सिसकियों में धकेल दिया है।
इससे ये सावित हो जाता है कि ईश्वर ने अगर आपको एक ईंट भी दिया है तो आपके कंस्ट्रक्टिव विचार दीवाल खड़ी करने में सक्षम होगा , और डिस्ट्रक्शन के विचार किसी के सर फोड़ने को ईंट प्रेरित करेगा।
करतूतें कराती सम्मानित और शर्मसार भी
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