*जानवर हो कर महात्मा के रुप में मोक्ष प्राप्त किया 🙏🙏*
*पशु योनि में जन्म लेकर भी ईश्वर के सान्निध्य में जीवन यापन किया। कासरगोड के हरि मंदिर के तालाब में सारा जीवन व्यतीत करते हुए, कभी किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाई।*
*मांसभोजी शरीर पाकर भी कभी मांस का सेवन नहीं किया, किसी छोटे मोटे जीव तक को नुकसान नहीं पहुंचाया मंदिर के प्रसाद के रूप में प्राप्त गुड़ – चावल पर ही गुजारा किया।*
*75 वर्ष की आयु, 10 अक्टूबर 2022 को देहत्याग कर श्रीहरि के चरण कमलों में स्थान प्राप्त किया। इस असाधारण जीव को पिछले 70 वर्षो से मंदिर और तालाब का रक्षक माना जाता था, लाखों लोग मात्र उसे देखने मंदिर आते थे।*
*ऐसा अभूतपूर्व और विलक्षण जीवन जीने वाले ग्राह श्रेष्ठ ‘बाबिया’ को शत शत नमन।*
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