Tuesday, October 21, 2025
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कैसी चली है अबके हवा मेरे शहर में!

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क्या हो गया है हमारे समाज को ? किस मानसिकता का शिकार हो गया है युवावर्ग ? क्यूँ हो गई है सोच इतनी हिंसक ?
अजीबो-गरीब घनाएं सामने आ रही हैं।

पाकुड़ के मालपहाड़ी ओपी क्षेत्र के चंगाडंगा बागान टोला में बीते दिनों सनकी पति द्वारा पत्नी की दिनदहाड़े हत्या कर भागने की कोशिश के नकाम प्रायस के दौरान पुलिस के गिरफ्त में आ जाने की खबर। हाज़त में चिल्लाने और बार बार बेहोश होने के कारण पुलिस ने मानवीयता दिखाते हुए,अपने रूम में सुलाया। अमानवीय व्यवहार वाले उस युवक ने पुलिस वालों को चकमा दे अपनी फरारी से पुलिस पर दाग लगाया और सस्पेंशन का सामूहिक दण्ड भी दिलवा दिया।

गुरुवार को उसी थाना क्षेत्र के चंगाडंगा बागान टोला में ही रात को सनकी पत्नी ने पति सजारुल शेख का हत्या करने की कोशिश की, नाकामयाब रही। फिलहाल पत्नी को पुलिस गिरफ्तार कर लिया है और पति सजारुल शेख का सदर अस्पताल सोनाजोरी में इलाज चल रहा है।

इधर अन्नपूर्णा कालोनी के एक युवक ने दिल्ली में आत्महत्या कर ली।

पूरे पाकुड़ समाज का हर वर्ग सम्प्रदाय हतप्रभ है। क्यूँ पूरा युवा समाज स्वयं एवं अन्य तथा परिवार के प्रति इतना हिंसक हो गया है ? पूरे समाज को मनोवैज्ञानिक इलाज की जरुरत है। मैं स्वयं अवाक हूँ ।
अभी इससे ज़्यादा लिखने में भी स्वयं को असमर्थ पाता हूँ।😥

कोयला ले जा रहे हो, तो हमें भी बिजली के उजाले दो भई! पड़ोसी और दोस्ती का दस्तूर तो यही कहता है

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जब कभी कोई उद्योग कहीं लगाया जाता है जहाँ अधिक मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है तो उस उद्योग कम्पनी द्वारा अपने उपयोग, तथा कम्पनी के कारण विस्थापित लोगों के उपयोग के लिए स्थानीय स्तर पर विजली उत्पादन का स्रोत बनाया जाता है। अपने उपयोग के बाद शेष बिजली स्थानीय ग्रिड को दे दिया जाता है। जिससे उस क्षेत्र के लोगों को बिजली की कमी कम से कम उस उद्योग के कारण न हो।

जब कोई खनन किसी और प्रदेश या देश के लिए बिजली उत्पादन हेतु किया जाता हो तो खनन क्षेत्र में ऐसा और आवश्यक और उचित हो जाता है, क्योंकि खनन करने या करवानेवाली कम्पनी को बिजली उत्पादन का अनुभव होता है , तथा उन्हें एवं उनके विस्थापितों के लिए बिजली आवश्यक होता है।

पाकुड़ में पश्चिम बंगाल के सरकारी बिजली कम्पनी को कोयला ब्लॉक खनन के लिए मिला है। बीजीआर कम्पनी को बंगाल विद्युत विभाग ने खनन, परिवहन एवं लोडिंग की जिम्मेदारी दी है।

पश्चिम बंगाल विद्युत विभाग ने खनन पर नज़र रखने के लिए अपना कार्यालय भी खोल रखा है, लेकिन ये सिर्फ़ दलालों के भरोसे है। जिस खनन क्षेत्र को बंगाल बिजली बोर्ड ने बीजीआर को दे रखा है, उसका देखभाल के उद्देश्य के लिए यह भी ध्यान रखना है कि खनन क्षेत्र में चोरी सहित किसी तरह की अनियमितता तो नहीं हो रही, या फिर विस्थापितों को सभी देय सुविधायें समुचित मिल रही या नही। क्योंकि सरकार ने कोल ब्लॉक बंगाल बिजली विभाग को दिया है, इसलिए वे कैसे और किससे खनन करा रहे ये उनका मामला है।

अगर केप्टिव पावर प्लांट लगाकर वे अपना एवं विस्थापितों के उपयोग की बिजली नहीं बना सकते और वो हमारे पाकुड़ के ही ग्रिड से लेंगे, तो वे हमारे पड़ोसी राज्य के हैं, अपने यहाँ से हमारे स्थानीय ग्रिड में उतनी बिजली मंगा लें कि पाकुड़ के लोगों को बिजली की कमी न हो।

ये कैसा न्याय है, कि हमारे आँगन से कोयला खोदकर आप ले जाएं, बिजली भी उत्पादन करें, और हमें हमारी उजाले से अलग रखें। हमारे हिस्से की बिजली हमारे ग्रिड से तो लें, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़े रखें।

आश्चर्य इस बात का है, कि हमारे रहनुमाई करने वाले नेतृत्व भी रहबरी पर उतर कर इधर उधर की बातों में उलझाए रखते हैं।

आप इधर उधर की बात न करें, ले जाएँ कोयला, लेकिन उजालों से कहें पाकुड़ के आँगन में भी बिजली की कमी न हो। हमारे हक़ पर यूँ डाका न डाले। प्रकाश और विकास की हमें भी जरुरत है, अपनी और उनकी विकास काफ़ी नहीं है हजूर।

हमारे घर अँधेरा क्यूँ भाई, जबकि हमारा हक़ मरनेवालों का आँगन है चकाचौंध ! कोई तो जवाब दो

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पाकुड़ में बिजली का गुम होते रहना इस भीषण गर्मी में एक समस्या है। लोग हैरान परेशान हैं। समाचार माध्यमों द्वारा बिजली समस्या पर वक़्त बेवक़्त काफ़ी लिखा जाता है।

बड़े नेताओं की तो छोड़िए, छुटभैय्ये नेता भी बिजली की अंधेरी दुनियां में चिल पों कर अपनी नेतागिरी को चमका रहे हैं।
उधर उपायुक्त सीएसआर फंड पर बैठकें करते हैं। एक नही लगभग हर माह एक करते है। कोल कम्पनियों से शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, अन्य संरचनाओं के निर्माण, मेडिकल केम्प लगाने आदि पर तलब करते हैं।

कुल मिलाकर विस्थापितों को सभी सुविधाएं उपलब्ध हो इसकी तलब कर जानकारी लेते हैं और उसके विस्तार तथा सही रूप से संचारण हो इसका निर्देश भी देते हैं। लेकिन जो लोग विस्थापित नहीं हुए, कोल कम्पनी उनका हिस्सा और अधिकार जो हड़प रहे हैं, उस ओर जाने-अनजाने न तो राजनीति और न ही शासन-प्रशासन की नज़र जाती है। न कोई आंदोलन न ही निर्देश दिया जाता है।

एक बड़े उद्योग के लगने पर उसे बड़ी मात्रा में बिजली की भी आवश्यकता होती है। कम उत्पादन वाले झारखंड में पाकुड़ वासियों को जो उनके उपयोग के लिये बिजली मिलती है, उसमें पहले से ही क्रशरों द्वारा बिजली की खपत बड़े पैमाने पर थी, अब विद्युत उत्पादन करनेवाली कम्पनी एक खनन करनेवाली कम्पनी से खनन करा रही है। अर्थात दो दो बड़ी कम्पनी काम कर रही है, और हमारे हिस्से की बिजली खपत कर रही है, जबकि इन कम्पनियों को अपनी खपत की और विस्थापितों सहित क्षेत्र के विकास के लिए “केप्टिव पावर प्लांट” लगाने की आवश्यकता और नियम भी है। इसके लिए जरूरी नहीं कि स्टीम पावर प्लांट ही लगाएं, बल्कि नदी नालों के किनारे पर सोलर पावर प्लांट लगा कर भी अपने, अपने विस्थापितों की आवश्यकता लायक एक से पाँच मेगावाट विजली उत्पादन करना चाहिए, लेकिन ऐसा है नहीं, जबकि हमारे यहाँ से कोयला ले जाकर ये बिजली ही उत्पादन कर रहे हैं।

कुछ दलाल टाइप लोग के कारण, और हमारे कमजोर कम पढ़े लिखे जनप्रतिनिधियों की अकर्मण्यता हमारे हिस्से के अधिकार लूटने के बाद भी एक दम से दम मारे रहते हैं। कभी कभी विस्थापितों के लिए आवाज़ उठाते भी हैं, तो वो आवाजें चाँदी के जूतों से बंद करा दी जाती रही हैं। बदकिस्मती हमारी कि गर्मी की तपिश में भी हमारी जनता बिना बिजली के रहने को मजबूर रहती है, और हमारे हक़ मरनेवालों के आँगन में बिजली की चकाचौंध है।

डीसी ने सीएसआर मामलों को लेकर सभी कोल कंपनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक

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बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 में सीएसआर अंर्तगत किए जाने वाले कार्यों की योजना पर चर्चा करते हुए कोल कम्पनियों के प्रतिनिधियों को आवश्यक निर्देश दिया

पाकुड़। उपायुक्त श्री मृत्युंजय कुमार बरणवाल की अध्यक्षता में सीएसआर मामलों को लेकर कंपनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक का आयोजन समाहरणालय सभा कक्ष में किया गया। इस बैठक में मुख्य रूप से सीएसआर से कंपनी अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों के विकास करने हेतु आवश्यक निर्देश दिया गया। बीजीआर (सीएसआर) कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष 2023 -24 में शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य, विभिन्न संरचनाओं के निर्माण आदि क्षेत्रों में कार्य किए जा रहे हैं। उपायुक्त ने अमड़ापाड़ा प्रखंड में मेडिकल कैंप लगाने का निर्देश दिया। मेडिकल लगाने के पूर्व व्यापक प्रचार-प्रसार करें, ताकि प्रखंड के लोगों को मेडिकल कैंप के बारे में जानकारी मिल सके। उपायुक्त ने सभी कोल कम्पनियों के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि सीएसआर मद का उपयोग अमड़ापाड़ा प्रखंड में ज्यादा से ज्यादा हो। साथ ही साथ उपायुक्त ने प्रकृति विहार पार्क को सौन्दयीकरण करने का निर्देश दिया। एंडेवर अकादमी को लेकर उपायुक्त ने नये भवन का चयन करने का निर्देश दिया और कहा कि अभी कोचिंग में एक ही बैच संचालित किए जा रहे हैं। नये भवन मिल जाने के बाद बैच की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।

इस बैठक में उप विकास आयुक्त मो० शाहिद अख्तर, सहायक समाहर्ता डॉ कृष्णकांत कनवाड़िया, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी श्री अजय सिंह बड़ाईक, जिला कल्याण पदाधिकारी श्री विजन उरांव, जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक मुकुल राज, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अंजू कुमारी, पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राहुल कुमार, जिला खेल पदाधिकारी राहुल कुमार,बीजीआर के वाइस प्रेसिडेंट अनिल रेड्डी, एसएमपीओ पवन कुमार एवं विभिन्न कोल कम्पनी के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

पाकुड़ के समाजसेवी लुत्फ़ल हक को हाउस ऑफ कॉमन लंदन में मिला अवार्ड

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पत्थर के व्यवसायी को ख़ुदा ने दिया है ऐसा नर्म दिल,कि मिल रहे अवार्ड ख़ुद गौरवान्वित हो रहा।

लुत्फ़ल हक पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव उदितनगर के रहने वाले हैं। वे अपनी शुरुआती जिंदगी काफी ग़रीबी से गुजारे हैं।जब पेट की आग बुझ नहीं पा रहे तो वे पश्चिम बंगाल से झारखंड के पाकुड़ रोजगार की तलाश में आ गए और वे स्टोन क्रशर में मजदूरी करने लगे। मजदूरी करते करते वे अपने बच्चों को बड़ा किया। धीरे-धीरे वे पत्थर की व्यवसाय में जुड़े और वर्तमान में वे पत्थर व्यवसाय के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य में जुड़ गए। प्रतिदिन वे अपने निजी खर्च से ढाई सौ से तीन सौ गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं । आज लुत्फुल हक़ जरूर सामर्थवान हैं, लेकिन कभी भूखे रहे पेट ने भूख की जलन को भुला नही।

शायद इसी लिए " लुत्फुल की समाज सेवा कहती है, कि " दर्द-ए-दिल दर्द-ए-ज़िगर जाने, और बेदर्द कोई ख़ाक जाने" उनके पास जो भी फरियादी आते हैं वो खाली हाथ नहीं जाते हैं।

जो लोग ईमानदारी से अपनी जिंदगी में सही दिशा में योजना के साथ मेहनत करते हैं, वे जरूर ही अपनी जिंदगी में सफलता हासिल करते हैं। क्योंकि कई बार इंसान की किस्मत भले ही साथ नहीं दे, लेकिन उसके द्वारा किया गया कठिन परिश्रम उसे सफलता हासिल करवाने में मदद करता है। यह कोई स्वप्न नहीं बल्कि हकीकत है। इस हकीकत को पाकुड़ के चर्चित समाजसेवी लुत्फ़ल हक ने कर दिखाया है। लुत्फ़ल हक को यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ कॉमन लंदन में आयोजित इंडो-यूके ग्लोबल बिजनेस कॉन्क्लेव एंड अवार्ड 2023 में ब्रिटिश गवर्मेंट की मिनिस्टर ने अवार्ड से नवाजा है। लुत्फ़ल हक को जरूरतमन्दों, असहाय और गरीबों को सहायता करने को लेकर अवार्ड से नवाजा है।झारखंड राज्य के सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ में रहते हुए और अपने छोटे से व्यवसाय से हर जरूरतमंदों को सहयोग करना, गरीबों को दान देना आदि की चर्चा हाउस ऑफ कॉमन लंदन में भी सुनने को मिला। अवार्ड कार्यक्रम में ब्रिटिश गवर्मेंट के सांसद सह शैडो मिनिस्टर फोर इंटरनेशनल ट्रेड यूके पार्लियामेंट रूथ कैडबरी ने अपने हाथों से नवाजा है। कार्यक्रम में ब्रिटिश सरकार के सांसद लार्ड रिचर्ड हेरिंगटन, सांसद बोर्नेस बर्मा, सांसद सीमा मल्होत्रा, सांसद बेलरी वाज, सांसद बीरेंद्र शर्मा, सांसद शैलेश वारा मौजूद थे। मंत्री रूथ कैडबरी ने लुत्फ़ल हक के कार्यों की सराहना की है। वे कहती है दिन दुखियों, गरीबों और लाचारों का मदद करना ही सबसे बड़ा धर्म है। इधर लुत्फ़ल हक को ब्रिटिश गवर्मेंट की शैडो मिनिस्टर से अवार्ड मिलते ही उनके आंसू छलक पड़े। लुत्फ़ल हक कहते हैं कि जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। इसलिए मैं गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा में लग चुका हूं। मेरे जिस्म में जब तक जान रहेगा, मैं गरीबों की सेवा करता रहूंगा।

लुत्फ़ल हक को भारत के साथ साथ विदेशों में भी मिले है अवार्ड…

लुत्फ़ल हक को सर्वप्रथम मुंबई में आयोजित अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद द्वारा आयोजित सम्मेलन में उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में कर रहे कार्यों को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने उन्हें सम्मानित किया था।इसके बाद कोलकाता में आयोजित बंगाल इंटरनेशनल एक्सलेंस अवार्ड- 2023 में शर्मिला टैगोर, मुंबई में आयोजित इंटरनेशनल एक्सलेंस अवार्ड माधुरी दीक्षित और ग्लोबल एक्सलेंस अवार्ड सोनाली बेंद्रे ने अवार्ड से नवाजा है। वहीं आगरा में आयोजित इंडो-नेपाल बांग्लादेश मीडिया सम्मिट कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य कानून मंत्री एसपी सिंह बघेल ने सम्मानित किया था। इसके अलावा मलेशिया के कुआलालंपुर में मलेशिया के पूर्व मंत्री ने सम्मानित किया था।

जनता की समस्याओं का समाधान हो सबकी प्राथमिकताः उपायुक्त

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पाकुड़। आम जनमानस के समस्याओं के समाधान और त्वरित निष्पादन को लेकर उपायुक्त श्री मृत्युंजय कुमार बरणवाल के द्वारा समाहरणालय सभागार में जनता दरबार का आयोजन किया गया। इस दौरान जिले के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने जनता दरबार में आकर अपनी समस्याओं को उपायुक्त के समक्ष रखा। इस दौरान उपायुक्त द्वारा वहां उपस्थित सभी लोगों से एक-एक कर उनकी समस्याएँ सुनी गयी एवं आश्वस्त किया गया कि संज्ञान में आए हुए सभी शिकायतों की जाँच कराते हुए जल्द से जल्द सभी का समाधान किया जाएगा।

इसके अलावे जनता दरबार के दौरान जमीन से संबंधित, शिक्षा विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संबंधित मामले एवं विभिन्न आवेदन शिकायत के रूप में आये, जो कि जिले के विभिन्न विभागों से संबंधित थे। ऐसे में जनता दरबार में सभी शिकायतकर्ता की समस्याएँ को सुनने के पश्चात उपायुक्त ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निदेशित किया गया कि सभी आवेदनों का भौतिक जांच करते हुए, उसका समाधान जल्द से जल्द करें। इसके अलावे उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि इन शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह के अंदर अपना प्रतिपुष्टि उपायुक्त कार्यालय को समर्पित करे, ताकि शिकायतों के निष्पादन में आसानी हो।

बीमार खून की खरीद बिक्री बाँट रहा बीमारियों का कारवां

ड्रग्स एडिक्टेटों की कहानी की तीसरी कड़ी: मैं आपको थोड़ा बैक गियर में ले चलता हूँ। बात तकरीबन 1998-99 सन की है। पाकुड़ कोर्ट केम्पस में चाय की दुकान चलाने वाले मेरे एक मित्र के भतीजे के लिए ओ पोजेटिव ब्लड चाहिए था। संयोग से मेरा यही ग्रुप है। एक दिन चाय पीने के दौरान उसने मुझसे चर्चा की। मैंनें कहा कि मेरा तो है, मैं देने को भी तैयार हूँ। मैंनें उससे कहा यार मैं शराब बहुत पीता हूँ, तुम्हारा भतीजा कम उम्र का है, कहीं मेरे अल्कोहलिक खून से उसका बुरा न हो जाय🤔।

मैंनें उसे कहा मुझे एक दिन का समय दो, चिकित्सक से बात करूँ कि मैं बिना किसी हानि पहुँचाये उस बच्चे को ब्लड डोनेट कर सकता हूँ या नहीं। मैंनें अपने और उसने हिरणपुर मिशन के चिकित्सकों से बात की। चिकित्सकों ने सप्ताह भर शराब छोड़ने के बाद ब्लड डोनेशन की अनुमति दी। मैंनें ऐसा ही किया, और कई महीनों तक एक के बाद एक बार कई बार उसे ब्लड डोनेट किया। वो बच्चा आज भी स्वस्थ एवं जीवित है।

ये वास्तविक कहानी मैंनें इसलिए बताया कि आज भी ब्लड डोनेशन के अब कई ग्रुप तक बन गए हैं। पाकुड़ में ‘एक पहल‘ की पहल ने ब्लड बैंक को जिंदा कर ब्लड डोनेशन का एक ऐसा माहौल बना दिया कि आज लीगल रूप से इंसानियत फाउंडेशन, मीरा फाउंडेशन ने अनगिनत लोगों की जान ब्लड डोनेशन से बचाई है। ये लोग स्वस्थ लोगों के ब्लड डोनेशन से स्वस्थ ब्लड के द्वारा गरीबों का भला कर रहे हैं।

लेकिन कुछ नर्सिंग होम यहाँ ऐसे हैं, जो ड्रगिष्टों और गलत काम मे लिप्त लोगों से ब्लड खरीदकर बीमारों में और बीमारी बाँट रहे हैं। दशकों से ऐसे नर्सिंग होम बीमार और नशेड़ियों से ब्लड खरीद कर, उन्हें नशे और दुर्व्यसन के लिए पैसे मोहय्या करा रहे हैं, तो दूसरी ओर बीमारों में और बीमारी बाँट कर ऐसे नर्सिंग होम चाँदी काट रहे हैं।

बहुत जरूरी है कि नशेड़ियों को चिन्हित कर, उनके ब्लड और यूरिनल टेस्ट करा कर, उनमें वयाप्त ड्रग्स के प्रकार का पता लगाया जाय और ड्रग्स की गंगोत्रीयों के रास्ते उसके उद्गम ग्लेशियर तक पहुँचा जाय।

मैं तो सिर्फ जाँच के तरीकों की ओर इशारा भर कर सकता हूँ, बाँकी तो भगवान मालिक।

पूर्व के अंक:

बुद्धिजीवी, समाज, पत्रकार की सकारात्मक सोच और पुलिस की कड़ाई ही इलाज़ है, नशे में डूबे रुग्ण भविष्य का

आपने मेरा ड्रग्स पर लिखा आलेख पढ़ा होगा, पूरे आलेख से ये बात तो समझ में आ गई होगी कि पाकुड़ के युवा कल के वर्तमान, आज का भविष्य किस क़दर नशे की आग़ोश में हाँफ रहा है। कुछ लोगों की समृद्धि की भूख हमारे भविष्य से किस क़दर खेल रहा है।

मेरे पूर्व के आलेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करें Click here

मैंनें अपने आलेख के अंत मे लिखा था कि समाज के ऐसे कोढों से निपटने के लिए पुलिस को उत्तरप्रदेश की नीति अपनानी चाहिए। अगर कहें सही तो हाँ ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि परिवार, समाज, प्रदेश और देश के लिए तैयार होती इस निकम्मी फसल को संवारने के लिए थोड़ी अंगुलियों को टेढ़ी तो करना पड़ेगा।

पुलिस को अपने ख़ुफ़िया सूचना तंत्र से ये पता लगाना होगा कि समाज के कौन कौन से युवा ऐसे नशें की गिरफ़्त में है, उन्हें उठाकर आवश्यक हो तो थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर ड्रग्स की गंगोत्री का पता लगाना होगा। जब ऐसे स्थानीय गंगोत्री का पता चल जाय, तो फिर इन गंगोत्रीयों को जन्म देने वाले जहरीले ग्लेशियर का पता लगाना आसान हो जाएगा।

पुलिस को सूचना तंत्र को मजबूत कर ऐसे कदम उठाने होंगे, और हमारे जैसे पत्रकारों को अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर कंस्ट्रक्टिव जनर्लिज्म, और समाज को सकारात्मक भाव से पुलिस को मदद कर इस जहरीले रैकेट पर विराम लगाना होगा। यहाँ समाज के सभी वर्गों को सकारात्मक रवैया अख्तियार करना होगा।

वरना सोचें कि हमारी अगली पीढ़ी नशें की गिरफ़्त में कैसे एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है? एक कैसा भविष्य हम समाज, प्रदेश और देश को परोस जाएँगे। जिस पीढ़ी के कदम लड़खड़ाते रहेंगे, पलकें बोझिल और दिमाग सुप्त रहेगा, वो कैसा भविष्य होगा !

सोचकर ही रूह तक सिहर उठता है।
खून तक बेचकर नशे की आगोश में ऊंघता हमारा ये भविष्य ? हे भगवान

Note:- (अवश्य पढ़े) तीसरी कड़ी में पढ़े खुनबेचवा ड्रगिष्टों की कहानी

बैध धंधों की आड़ में मालामाल हो रहे नशे के कारोबारी, लुट और मिट रहे युवा वर्ग और परिवार

आपको याद होगा ड्रग्स पर मेरा एक आलेख जिसमें ड्रग्स के चिठ्ठे खोले थे, मैंनें आगे भी लिखने का वादा किया था, ड्रग्स के कारोबार के अब पुलिस भी करवाई से चिठ्ठे खोल रही है।

आज भी यहाँ पाकुड़ और झारखंड के अन्य स्थानों पर यही हाल है। पाकुड़ मुफस्सिल थानेदार ने ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे संगठित नशे के कारोबार पर जमकर धावा बोला। मैं थानेदार का नाम नही लिख रहा, क्योंकि कुछ ख़बर्नबिशों को भी अच्छा काम करनेवाले अधिकारियों का नाम लिखना और होंसला अफजाई करना हज़्म नहीं होता। चाय नास्ते की दुकान पर नशे के कारोबार करने वाले कुछ लोग मुफस्सिल क्षेत्र में पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।

आपको आश्चर्य होगा, कि नगर के कई दुकान ऐसे हैं, जहाँ लस्सी की दही और उसके घोल के साथ तथा बिरयानी के चावल के बीच मटन-चिकन के साथ ड्रग्स की पुड़िया परोस दी जाती है। आख़िर लस्सी के घोल और बिरयानी के बीच मटन-चिकन से गलबहियाँ खेलते ड्रग्स का अंदाजा कोई पुलिसवाला भला कैसे लगाए ?

विष्मय है, कि ऐसी लस्सी और बिरयानी बेच लोग करोड़पति बन गए हैं। इधर काला धंधा करते लोग, उधर कोयले की कालिमा ढोने में कई कई डम्फर लगाए बैठे हैं। कई महल्ले ऐसे हैं, जहाँ रोज कमाने खाने वालों के युवा बच्चे ड्रग्स की अंधेरी गलियों में अपने परिवार तक को खींच कर डूबा रहे हैं, और करमजले कुछ लोग सही की आड़ में युवाओं और परिवार, समाज, राज्य और देश को निगलते हुए अपनी औकात बढ़ा रहे हैं।

ऐसे पाकुड़ जिले का तस्करी से बहुत पुराना रिश्ता रहा है। 1980 के दशक में पाकुड़ भी सी आर, भी सी पी और सुता की तस्करी के लिए बदनाम रहा, उस समय जब धूलियांन-डाकबंगला से टमटम ही पाकुड़ तक आने का साधन था। उस समय टमटम के बैठने वाली जगह के नीचे के बॉक्स में तस्करी के समान पाकुड़ आता था, रास्ता भी एकमात्र था। आज दर्जनों रास्ते हैं, और सैकड़ों साधन है आने जाने के, इसलिए ड्रग्स बेधड़क यहाँ पहुँच रहा है।

बंगलादेश और नेपाल से आसानी से ड्रग्स कालियाचक पश्चिम बंगाल पहुँचता है, और कैरियर उसे पाकुड़ पहुँचा जाता है। पिछले दिनों मुफस्सिल थाने एरिया में 5 जने ड्रग्स के साथ एक स्कूल प्रांगण से पकड़े गए थे। सभी लड़के अल्पसंख्यक समुदाय से थे। पहले से लेकर अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही तस्करी के कार्यों से जुड़े देखे गए, उसका सबसे बड़ा कारण बंगलादेश से घुसपैठ, पारिवारिक रिश्ते सीमा पार भी होना और भाषाई समानता इसे और आसान बना देता है।

लेकिन अब ये मिथक टूट चुका है और यहाँ ये सिलसिला बदला है, ड्रग्स सीमा इसपार तो पुराने तरीकों से ही पहुँचता है, लेकिन पाकुड़ में सिर्फ़ अल्पसंख्यक इस धंधे में सामिल नहीं हैं, बल्कि सामाजिक समरसता के लिए मशहूर पाकुड़ में ड्रग्स के कारोबार ने इस सामाजिक समरसता को और मजबूत किया है। समरसता से यहाँ किसी को शिकायत नहीं, लेकिन सभी समुदायों के युवा इस ड्रग्स की चंगुल में फँस कर देश के भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं।

कालियाचक के कैरियर पाकुड़ में ड्रग्स पहुँचा कर चन्दन के टीके पर भी तस्करी की कालिख़ लगा रहे हैं, और यहीं मालपहाड़ी रोड पर पहुँच वाले परिवार की ये चन्दन में लिपटी कालिख़ देवता के मन्नतों से मिले आशीषों यानी पूरे युवा वर्ग को नशे के अंधकार के रास्ते अकाल मौत के मुँह में धकेल रहा है।

80 के दशक में कई टमटम वालों को बड़ा उद्योगपति बनते देख उन्हें अपना आदर्श मान चुके आज के युवा इस नशे के कारोबार के रास्ते धनपति बनने की फ़िराक़ में मौत के अंधे कुएँ का ये सामान पूरे झारखंड को परोस रहे हैं।

ख़ास कर पाकुड़ की एक बड़ी युवा आबादी इस नशे का आदि बन चुका है। तक़रीबन हर समुदाय और वर्ग का युवा का परिवार और अभिवावक सशंकित है। युवा पैसे के अभाव में नशे तक अपनी पहुँच बनाये रखने के लिए छोटे-मोटे अपराध की राह भी पकड़ चुके है। युवा वर्ग आक्रामक और आक्रोश की गिरफ़्त में भी महशूस किये जा रहे हैं।

ये ड्रग्स के नशेड़ी युवा बाहर अपराध की मानसिकता के बीच लड़ाई झगड़े तो करते ही हैं, इनसे घर के लोग भी परेशान हैं। इन्हें नशे न करने की घरेलू सलाह घरवालों को इनके कोप का शिकार बनाये हुए है। माता पिता तक को जलाकर मार देने की बात कहते हैं। ड्रग्स के चंगुल के साथ ये युवा समाज, परिवार, देश और अपने भविष्य के लिए बोझ और खतरा बन गये हैं।

ऐसे युवाओं पर प्रशासनिक कड़ाई और क्रूरतम करवाई जरूरी है। कब कहाँ ऐसे युवाओं की ड्रग्स की जरूरत किसी लोमहर्षक घटना का कारण बन जाय कहना मुश्किल है। कई ऐसे जगह हैं, जहाँ युवाओं को इसके गिरफ्त में जाते देखा जा सकता है। उसपर अभी तहकीकात जारी है, लेकिन अभी तक की जानकारी बताती है कि नगर में नगर थाना के सामने रथमेला मैदान का अंधकार इन्हें बहुत भाता है। स्टेडियम जैसे रात्रि एकांत जगह सहित नगर में कई ऐसे सम्मानित रहे घर हैं, जहाँ कुछ विनिमय पर ड्रगिष्टों को स्थान उपलब्ध कराया जाता है, जो एक भयावह भविष्य की ओर संकेत करता है।

ऐसे समाज के कोढों से निपटने के लिए पुलिस को उत्तरप्रदेश की नीति अपनानी चाहिए। ऐसे भी ऐसे बोझ समाज, परिवार, प्रदेश और देश के लिए किसी काम के नहीं।

उपायुक्त ने जेएसएलपीएस के कार्यों की समीक्षा

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छुटे हुए सभी दीदियों का वोटर आईडी कार्ड बनवाने में सहयोग करने का दिया निर्देश

सभी प्रखंडों के बीपीएम को प्रतिदिन बैंक के शाखा प्रबंधकों के साथ समन्वय स्थापित कर लिंकेज कराने का दिया निर्देश

उपायुक्त श्री मृत्युंजय कुमार बरणवाल ने शनिवार को समाहरणालय सभागार में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी,पाकुड़ की विभिन्न योजनाओं के प्रगति की समीक्षा की।

समीक्षा के क्रम में उपायुक्त श्री मृत्युंजय कुमार बरणवाल ने छुटे हुऐ सदस्यो को लोकोस में जोड़ना, छुटे हुए सभी दीदियों का वोटर आईडी कार्ड बनवाने में सहयोग करना,बैंक लिंकेज करवाना तथा सभी प्रखंडों के बीपीएम को प्रतिदिन बैंक के शाखा प्रबंधकों के साथ समन्वय स्थापित कर लिंकेज कराने का दिया निर्देश। दीन दयाल उपाध्याय – ग्रामीण कौशल योजना के तहत बेरोजगार युवक एवं युवतियों को प्रशिक्षण के लिए भेजना,पलाश मार्ट की दीदियों की सालाना आय बेहतर करना एवं उनके लिए मॉडल बिजनेस प्लान तैयार करने का निर्देश दिया गया।

बैठक के दौरान उपायुक्त ने मुद्रा लोन, क्रेडिट लिंकेज, लाइवलीहुड फार्म, ऑर्गेनिक फार्मिंग, बिरसा हरित ग्राम योजना, जोहार परियोजना,उड़ान परियोजना, फुलो झानो आशीर्वाद अभियान, चास हाट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के तहत नर्सरी करवाना,दीदी बगिया, हुनर योजना के अंतर्गत वेजकार्ट, सिलाई मशीन,पिंक टोटो दीदियों के द्वारा किये जा रहे मासिक आय का भी जानकारी ली। साथ ही साथ अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की।

जेएसएलपीएस डीपीएम प्रवीण मिश्रा के द्वारा पीपीटी के माध्यम से प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया।

मौके पर सभी प्रखंडों के बीपीएम,बीपीओ,वाईपी समेत अन्य उपस्थित थे।