दलितों पर राजनीति करने वाली आज की सभी पार्टियों , और दलित नेताओं से एक सवाल बनता है , दक्षिणेश्वर काली मंदिर सहित देश में दर्जनों यादगार काम करने वाली रानी रासमणि के योगदान को इतिहास के पन्नों पर और सिलेबस में जगह क्यूँ नहीं मिली !😢
इसलिए कि वो दलित थीं ?
सवाल कुरेदने वाली है , लेकिन मैंनें बंगला में रानी रासमणि सीरियल जब देखा तो उनके जैसी लोकनायिका और तपस्विनी को देश के लिए योगदान करने के बाद भी कैसे भुला दिया गया ?
ये सवाल मुझे कुरेदते रहा , और उनके योगदान को ढूंढ कर जानने का प्रयास करता रहा।
एक संक्षिप्त विवरण मुझे साभार मिला है , मैं अपने पाठकों से साझा करना चाहता हूँ।
संकलन कर्ता का नाम याद नहीं आ रहा , फिलवक्त मैं उनसे क्षमा याचना करते हुए , पाठकों के समक्ष रखता हूँ। क्योंकि ये जानना लोगों के लिए ज़रूरी है।🙏
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क्या आप ऐसी किसी महिला के बारे में जानते हैं, जो हमारी वास्तविक नायिका हैं, आदर्श हैं और गुमनाम भी ?
इस सवाल का जवाब शायद ही मिल सके!
एक अकेली महिला , तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी देश, समाज और संस्कृति को कितना कुछ दे सकती है, बिना इसका श्रेय लेने का प्रयास किये।
सामाजिक आंदोलनों के तत्कालीन पुरोधा राममोहन राय और ईश्वर चन्द्र विद्यासागर तक को खुलकर विद्रोही आंदोलनों में साथ देनेवाली नायिका को क्यूँ इतिहास के पन्नो पर कोई कोनाभर जगह नही मिली ?
हमारी नायिका क्या एक ऐसी महिला नही बन सकती ?
कृपया इसे जरूर पढ़ें।
सभार प्राप्त जानकारियों के अनुसार —
*1.* हावड़ा में गंगा पर पुल बनाकर कलकत्ता शहर बसाया
*2.* अंग्रेजों को ना तो नदी पर टैक्स वसूलने दिया और ना ही दुर्गा पूजा की यात्रा को रोकने दिया
*3.* कलकत्ता में दक्षिणेश्वर मंदिर बनवाया
*4.* कलकत्ता में गंगा नदी पर बाबू घाट, नीमतला घाट बनवाया
*5.* श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर का पुनरोद्धार करवाया
*6.* मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि की दीवार बनवाई
*7.* ढाका में मुस्लिम नवाब से 2000 हिंदुओं की स्वतंत्रता खरीदी
*8.* रामेश्वरम से श्रीलंका के मंदिरों के लिए नौका सेवा शुरू किया
*9.* कलकत्ता का क्रिकेट स्टेडियम इनके द्वारा दान दी गई भूमि पर बना है।
*10.* सुवर्ण रेखा नदी से पुरी तक सड़क बनाया
*11.* प्रेसिडेंसी कॉलेज और नेशनल लाइब्रेरी के लिए धन दिया
क्या इस महान हस्ती को आपके सिलेबस में शामिल किया गया ?
मुझे पूरा विश्वास है कि 99% भारतीय इस महिला को नहीं जानते होंगे 😢
इन महान हस्ती का नाम है *रानी रासमणि* । ये कलकत्ता के जमींदार की विधवा थी। 1793 से 1863 तक के जीवन काल में रानी ने इतना यश कमाया है कि इनकी बड़ी बड़ी प्रतिमाएं दिल्ली और शेष भारत में लगनी चाहिए थी।
*रानी रासमणि* कैवर्त जाति की थी जो आजकल अनुसूचित जाति में शामिल है।
हमारे देश की राजनीति ने और चाटुकार इतिहासकारों ने *रानी रासमणि* को अपेक्षित सम्मान क्यों नहीं दिया, यह तो समझ आता है, किंतु देश के दलित नेताओं ने *रानी रासमणि* को नायिका क्यों नहीं बनाया यह समझ के परे है 🤔
अब वर्तमान केंद्र सरकार से निवेदन करूँगा कि रानी रासमणि पर शोध की व्यवस्था करें। सिर्फ़ पश्चिम बंगाल में वोट नहीं है , वहाँ हमारा समृद्ध इतिहास भी है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जैसे संत और विवेकानंद जैसे राष्ट्रनायक की पृष्ठभूमि तैयार करने वाली रानी रासमणि को देश कैसे भूल गया ?
बार बार ये सवाल मेरे मन में उठता है , मैं सरकारों के सामने भी उठाऊँगा।
सिर्फ़ विवेकानंद जयंती मनाने और मंदिरों में कैमरे के साथ हाज़री बनाने से नहीं होगा , मूल जमीनी आधार को जनता के सामने लाना होगा🙏 बस यही प्रार्थना है।