Homeप्रेरकसुधीर ने रक्तदान कर बचाई 17 वर्षीय बच्ची की जान प्रेरक सुधीर ने रक्तदान कर बचाई 17 वर्षीय बच्ची की जान By Kripa sindhu Bachchan Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp May 31, 2025 8 सुधीर ने रक्तदान कर बचाई 17 वर्षीय बच्ची की जान Comment box में अपनी राय अवश्य दे.... Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp Previous articleस्टेशन परिसर में बनेगा सेल्फी प्वाइंट एवं लगेगा एटीएम,किया गया स्थल निरीक्षण।Next articleसुधीर ने रक्तदान कर बचाई 17 वर्षीय बच्ची की जान RELATED ARTICLES प्रेरक *दिवाली के पूर्व संध्या पर दीप सज्जा एवम् रंगोली प्रतियोगिता:कला और संस्कृति का संगम का आयोजन* October 16, 2025 प्रेरक एक थे जनरल मानेकशॉ , जैसा शायद ही कोई हो सकता ! August 8, 2025 प्रेरक *दिशोम गुरुजी का जाना झारखंड के लिए गहरा आघात उनकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं , एक जीवन जो प्रेरणा था, मानो आसमान में खो गया... August 5, 2025 Most Popular *दिवाली के पूर्व संध्या पर दीप सज्जा एवम् रंगोली प्रतियोगिता:कला और संस्कृति का संगम का आयोजन* October 16, 2025 फर्जी आधार कार्ड बनाने वालों पर प्रशासन की कार्रवाई, कई ठिकानों पर छापेमारी। सिर्फ सूचनात्मक , लेकिन मंथन और चिंतन करें। October 12, 2025 *आत्मनिर्भर भारत बनाने में आम लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण : – बजरंगी* October 12, 2025 सुचारु परिवहन और ऑटो-टोटो परिचारण पर हुआ गहन विचार, दिए गए कई निर्देश। October 12, 2025 Load more Recent Comments on एक थे जनरल मानेकशॉ , जैसा शायद ही कोई हो सकता ! on एक सेल्यूट तो बनता है न , अपने जांबाज पहरेदारों के नाम ? on एक सेल्यूट तो बनता है न , अपने जांबाज पहरेदारों के नाम ? ATIK SHEKH on हम तुम्हें जीने सीखा देंगे , तुम आओ तो सही : अजहर Kundan kumar on उसे देखना भी नहीं चाहते , और फिर नज़र भी उसी पर रखते हो ! Sudip Kumar Trivedi on फर्जी कम्पनियों के नाम पर गटक गये करोड़ों , ग़ज़ब का बुना गया जाल , झारखंड के देवघर से कोलकाता तक के गड़बड़ सफ़र में दिल्ली , हैदराबाद तक के लोग हैं शामिल। Suman Mishra on महिला दिवस पर भी छूट गई संध्या के दर्द की कहानी , क्या उसके जीवन में कभी सवेरा आएगा ? सुमन मिश्रा on मीटिंग ख़बर तो बनी, लेकिन अमृत महोत्सव को जमीन पर उतारने का सही प्रयास ख़बर बनने से छूट गया suman mishra on किसी ने मुनासिब नही समझा बुलबुली के माँ के दर्द को जानना Suman Mishra on वाचिक विराम: प्रोफेसर मनमोहन मिश्र की अनुपम यादें और विचार Champak Kumar Dutta on भारत का भविष्य अभी और कितने ही “मणिपुर” की राह पर है अग्रसर BHASKAR CHANDRA PANDEY on शहरों में कराहती कल का नटखट बचपन, सुनी पड़ी सिसकियाँ लेता बृद्ध वर्तमान आशीष आनन्द सिन्हा on शहरों में कराहती कल का नटखट बचपन, सुनी पड़ी सिसकियाँ लेता बृद्ध वर्तमान Prashant Kumar Hembrom on पाकुड़ जिले के कोल माइंस, रोज़गार के साधन या प्रताड़ना का अभिशाप , निर्णय करना मुश्किल