यूँ ही कोई हमसफ़र नहीं होता,
साथ चलना बहुत ज़रूरी है।
कोटालपोखर । एक ही तो दिल है, कितनी बार जीतोगे? यह फेमस डायलॉग साल 1970 में आई बॉलीवुड फिल्म कटी पतंग की है। यह डायलॉग फिल्म की कहानी में भावनात्मक गहराई और संघर्ष को दर्शाता है। लेकिन यहां इस डायलॉग का इस्तेमाल किसी फिल्मी कलाकारों के लिए नहीं है, बल्कि देश विदेश में सम्मान हासिल कर चुके पाकुड़ के जाने-माने समाजसेवी लुत्फल हक के लिए है। जिन्होंने जाति धर्म से ऊपर उठकर हर वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने में कभी पीछे नहीं हटे हैं। किसी भी गरीब जरूरतमंद को मदद पहुंचाने की बात हो या शिक्षण संस्थानों या फिर मंदिर-मस्जिद या मदरसों में आर्थिक सहयोग देना हो, हमेशा आगे रहते हैं। लुत्फल हक की दरियादिली का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि, उनके द्वार पर आने वाले खाली हाथ नहीं लौटते। इधर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के भक्तिमय माहौल के बीच समाजसेवी लुत्फल हक ने धार्मिक सौहार्द का वो मिसाल कायम किया है, जिसकी जितनी भी प्रशंसा करें कम है। दरअसल समाजसेवी लुत्फल हक सोमवार को पड़ोसी जिला साहिबगंज के कोटालपोखर में पिछले करीब 27-28 साल से संचालित सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचे। उन्हें सरस्वती शिशु मंदिर के नए वर्ग कक्ष के निर्माण को लेकर आयोजित भूमि पूजन में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। शिशु मंदिर परिसर में भूमि पूजन का कार्य विधिवत संपन्न हुआ। जिसमें समाजसेवी लुत्फल हक मुख्य रूप से शामिल हुए। लुत्फल हक ने भूमि पूजन में हिस्सा लेकर जहां धार्मिक सौहार्द का अनोखा मिसाल पेश किया, वहीं उन्होंने इसी दौरान वर्ग कक्ष के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग की घोषणा भी कर दिया। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन को दो नए वर्ग कक्ष के निर्माण में आर्थिक सहयोग का भरोसा दिलाया। इस दौरान भूमि पूजन में सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल, सचिव भवेश साह, अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, संरक्षक मुनीलाल शर्मा, अशोक साह सहित सैंकड़ों बच्चें और उनके अभिभावक मौजूद थे। शिशु मंदिर के वर्ग कक्ष के निर्माण में लुत्फल हक के सहयोग की घोषणा से बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों में खुशी छा गई। अभिभावकों ने समाजसेवी लुत्फल हक की प्रशंसा करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। वहीं सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य सहित प्रबंध समिति के तमाम पदाधिकारी ने समाजसेवी लुत्फल हक का धन्यवाद किया। लुत्फल हक ने कहा कि समाज और देश के विकास के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। मेरा दिली ख्वाहिश है कि समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिले। इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। मैं सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल, सचिव भवेश साह, संरक्षक मुनीलाल शर्मा और अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सहित तमाम लोगों का आभार व्यक्त करता हूं कि मुझे शिक्षा के इस मंदिर में अतिथि के रूप में शामिल किया गया। लुत्फल हक ने कहा कि मुझे खुदा ने सेवा का मौका दिया है, मैं इसके लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं। यह मेरे जैसे व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि मेरे पास जो भी लोग उम्मीद लेकर आते हैं, जहां तक हो पाता है, मैं उन्हें मदद करने का प्रयास करता हूं। शिक्षा के मामले में सहयोग की जब भी बात आती है, मुझे ज्यादा खुशी होती है। इस सरस्वती शिशु मंदिर के दो वर्ग कक्ष के निर्माण में जितना भी हो पाएगा, सहयोग करूंगा। ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को वर्ग कक्ष में बैठने और पढ़ाई करने में सहूलियत हो। उन्होंने कहा कि खुदा ने चाहा तो मैं आगे भी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मदद करता रहूंगा। इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल ने बताया कि इस शिक्षण संस्थान की स्थापना साल 1997 में हुई थी। उस दौरान भवन नहीं होने से एक सरकारी पुस्तकालय में पठन-पाठन का काम होता था। आगे चलकर खपरैल का एक छोटा सा भवन बनाया गया। अपने स्थापना काल से ही सरस्वती शिशु मंदिर भवन की कमी झेल रही है। जिससे बच्चों को पढ़ने और पढ़ाने में दिक्कतें आती है। इसलिए सरस्वती शिशु मंदिर का पक्का भवन निर्माण के लिए पहल शुरू किया गया। इसके लिए समाजसेवी लुत्फल हक जी से मुलाकात कर उन्हें हमने समस्याओं को रखा और वर्ग कक्ष निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल ने कहा कि मैंने लुत्फल हक जी के बारे में सुन तो था, लेकिन पहली ही मुलाकात में उनकी दरियादिली देख भी लिया। उन्होंने एक ही अनुरोध पर सरस्वती शिशु मंदिर के लिए वर्ग कक्ष के निर्माण के लिए सहयोग के अनुरोध पर हामी भर दी। लुत्फल हक जी से आश्वासन मिलने के बाद वर्ग कक्ष निर्माण के लिए आज भूमि पूजन का आयोजन किया गया। यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। प्रधानाचार्य ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन समाजसेवी लुत्फल हक के इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता है।