Friday, November 22, 2024
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अवैध लॉटरी पर पुलिस की कारवाई ने रंग उड़ा दिये हैं सफेदपोश माफियाओं के

पाकुड़ नगर थाने की पुलिस ने एटीम लॉटरी की एक बड़ी खेप के साथ दो लोगों को हिरासत में लेकर बड़े घर भेज दिया। ऐसे पुलिस की ये बड़ी कारवाई सराहनीय और चौकाने वाली है।
क्योंकि बड़े पैमाने पर ये एटीम लॉटरी का खेल बहुत दिनों से चल रहा था, लेकिन इतने बड़े पैमाने एटीम लॉटरी कभी जप्त नहीं किया गया था।
अब स्वाभाविक रूप से सवाल पाकुड़ या संथालपरगना से बाहर के पाठकों के मन में उठेगा कि ये लॉटरी होता क्या है!
वास्तव में ये लॉटरी स्थानीय तौर पर छापा जाता है और इसे कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अपने एक सिम्बल के साथ छपवाता है, तथा तगड़े कमीशन पर बेरोजगार युवाओं को बेचने के लिए उपलब्ध कराता है। प्रतिदिन अलग-अलग माफियाओं का लाखों की संख्या में ये एटीएम लॉटरी बाज़ार में खपा दिया जाता है।इसे ढोना( केरी ) करना भी आसान है। जैसे आपने 10 लॉटरी खरीदा तो एक लॉटरी पर ही 1गुना 10 अंकित होता है, यानी आप 10 लॉटरी के धारक हो गये।
खैर एक बात और कि इसके खेल भी प्रतिदिन नहीं होता , और तो और सिक्किम या केरला लॉटरी के जिस नम्बर पर इनाम लगता है, उसी के आधार पर महीने में एक बार इनाम दिया जाता है।
अब ज़रुरी नहीं , कि किसी आम आदमी या खरीददार को ही इनाम मिले , बल्कि ये इनाम किसी आश्रयदाता मतलब प्रोटेक्शन देने वाले को भी मिल सकता है। अच्छा ये बताना तो भूल ही गया कि जिसे एटीएम लॉटरी लग गई, उसे पैसे भी इनामवाले मिल ही जाये। हाँ अगर कोई विशेष व्यक्ति है, तो उसे कम बेसी कर इनाम के पैसे मिल जाते हैं।
इस अवैध लॉटरी के खेल में बहुत खेल है भैया।
अच्छा इस अवैध लॉटरी के धंधे ने अपना पैर पसारा कैसे ? तो ये बताना लाज़मी है कि पहले भी यहाँ लॉटरी का कारोबार था। स्वाभाविक रूप से लोगों को इसकी लत लगी हुई थी। कई लोग इनाम मार भी जाते थे। इस लॉटरी ने पाकुड़ को चार करोड़ इनाम मारने वाले भी दिये हैं, लेकिन वो लॉटरी दूसरे राज्यों के वैध लोटरियाँ होतीं थीं। आम जनता में गरीबी और रोजगार की कमी, उसपर लॉटरी द्वारा जुआ खेलने की बुरी लत तथा बर्बाद होते परिवारों को देख राज्य सरकार ने लॉटरी पर प्रतिबंध लगा दिया। फिर भी दूसरे राज्यों के वैध लोटरियाँ यहाँ आतीं रहीं, जो यहाँ आते ही अवैध हो जातीं थीं। इसमें बेचनेवाले पकड़ाते रहे।
इसी को मौका बना कर धुरंधरों ने स्थानीय एटीएम लॉटरी को जन्म दिया, और जुआ के एडिक्टेड गरीब इसके शिकार बनते रहे।
एटीएम लॉटरी के कारोबारियों ने अब तक यहाँ करोड़ों बनाये , और इसे बनाने में जमकर सुविधाशुल्क भी बाँटे। हुआ तो यहाँ तक कि ये अवैध कारोबारी इतने अपनी भरती जेब से इतने रसूखदार बन गए कि दूसरे राज्यों की वैध लोटरियाँ भी बाजार से दबाबों के कारण गयाब होतीं रहीं और एटीम लॉटरी के अवैध बाज़ार ने बाज़ार पर कब्ज़ा कर लिया।
ये अवेध धंधा खादी, ख़ाकी और कलम का भी पोषण करने लगी , और ये सभी मिलकर एटीम लॉटरी का।
लेकिन वो कहते हैं न कि कानून के हाथ बहुत मजबूत और लम्बे होते हैं। व्यवस्था बदली , शासन-प्रशासन में टीम बदली, परिस्थितियों ने भी रंग बदल लिया, और रंग दिख गया।
होली के दस्तख़त के बीच , पुलिस की करवाई ने कितनों के रंग उड़ा दिए।
पुलिस इस मामले की रंग से जाँच कर दे , कितने ही रंग चढ़ेंगे और कितने ही सफेदपोशों के रंग उड़ेंगे कहना मुश्किल है। फ़िल्वक तो पुलिस ने एक जनोपयोगी बड़ी कामयाबी हासिल की है।

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