चूँकि मुझे राजनीति से कोई मतलब नहीं है , लेकिन फ़िलवक्त की राजनैतिक उठा पटक को देखते हुए आग्रह है , कि यह पोस्ट मेरे कांग्रेसी मित्र और सपाई (सपरिवार पार्टी) भाई न पढ़े। बरनोल बहुत महंगा है।
मेरे मित्र सभी पार्टियों में है, मैं उन्हें ठेंस पहुँचाना नहीं चाहता🙏
भूमध्यसागर की शांत लहरों को चीरते हुए देर रात एक विशाल युद्धपोत की आकृति उभरती है। तुर्की का तटरक्षक बल सतर्क हो जाता है, लेकिन जल्द ही पता चलता है कि यह भारतीय नौसेना का युद्धपोत त्रिखंड है। तुर्की तुरंत संदेश भेजता है, “रुकें, वरना परिणाम भुगतने होंगे।” सुबह तुर्की में आपातकालीन बैठक होती है, और भारतीय युद्धपोत को 18 घंटे का अल्टीमेटम दिया जाता है: “लौट जाएँ, नहीं तो जिम्मेदारी आपकी होगी।” लेकिन त्रिखंड की ओर से कोई जवाब नहीं आता।
दरअसल, भूमध्यसागर का यह हिस्सा लंबे समय से तुर्की और सऊदी अरब अपनी निजी संपत्ति मानते आए हैं, और वे तटीय देशों को इस क्षेत्र में आने-जाने से रोकते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला भारत से पड़ा, जो किसी की दादागिरी के आगे झुकने वाला नहीं। अगले दिन तुर्की के युद्धपोत आक्रामक ढंग से त्रिखंड को घेर लेते हैं और दोबारा अल्टीमेटम देते हैं। इस बार त्रिखंड से एक संक्षिप्त जवाब आता है: “हम अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत अपने मार्ग पर हैं। किसी की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। पीछे हटने का सवाल ही नहीं।”
इसी बीच, त्रिखंड के पीछे ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस तीन और भारतीय युद्धपोत पहुँच जाते हैं। तुर्की अब नाटो का हवाला देकर यूरोप में हंगामा मचाने की कोशिश करता है। लेकिन यह भारतीय युद्धपोत त्रिखंड, जो रूस के कालिनिनग्राद शिपयार्ड में बना है, ग्रीस और फ्रांस के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए ग्रीस जा रहा था।
अल्टीमेटम का समय खत्म होने को था, तभी फ्रांस का बयान आता है: “भारतीय युद्धपोत अपने निर्धारित रास्ते पर हैं और किसी की सीमा का उल्लंघन नहीं कर रहे।” तुर्की अपनी कमजोर स्थिति देखकर बैकफुट पर आ जाता है, और भारतीय युद्धपोत पूरे गर्व के साथ ग्रीस की ओर बढ़ जाता है।
भारत ने न केवल हिंद महासागर में, बल्कि लाल सागर में चीन की दादागिरी को चुनौती दी, बल्कि अब भूमध्यसागर में तुर्की को भी उसकी औकात दिखा दी। यह भारत की बढ़ती सामरिक ताकत और वैश्विक सम्मान का प्रतीक है।
जय हिंद! जय माँ भारती! 🇮🇳🚩