Monday, August 18, 2025
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सरकार की नशे पर दोहरी नीति से माननीय गुरूजी भी होंगे असहमत। नशे के विरुद्ध संघर्ष में शिबू सोरेन रहे हैं उदाहरण।

*हेमंत सरकार भी गजबे है!एक ओर शराब दुकान पंचायत में खोल रही दूसरे तरफ नशा के खिलाफ अभियान में करोड़ों रूपये खर्च कर रही:आजसू जिलाध्यक्ष आलमगीर*

*झारखंड सरकार नशा मुक्ति के लिए करोड़ो खर्च कर रही है, दूसरे तरह शराब दुकान खोलने में व्यस्त है:आलमगीर आलम*

पाकुड़: झारखंड में हेमंत सरकार का दो ऐसा निर्णय अपने आप में उलझा हुआ है. एक ओर राज्य सरकार नशा के खिलाफ अभियान चला रही है. तो दूसरी ओर नई शराब नीति बना कर गाँव में शराब दुकान खोलने की तैयारी कर रही है. ऐसे में अब चर्चा और सवाल दोनों उठने लगा. आखिर जब शराब दुकान बढ़ेगी तो जाहिर है कि झारखंड में शराबियों की संख्या भी बढ़ेगी. तो फिर ये *हेमंत सरकार* नशा के खिलाफ अभियान क्यों चला रही है. नशा तो हर तरह से खराब होता है. चाहे शराब हो या धूम्रपान या तंबाकू सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है यह बातें *आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम* ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी।
सबसे पहले बात शराब नीति की करेंगे. इसमें क्या बदलाव होने वाला है और क्या कुछ नया है. पहले एक प्रखण्ड में एक या दो शराब की दुकान होती थी. लेकिन नई शराब नीति के तहत पंचायत स्तर तक शराब दुकान खोलने की योजना है. इसके अलावा नई शराब नीति के तहत रात 11 बजे तक शराब दुकान खुलेगी.साथ ही दुकान में ही शराब पीने की व्यवस्था होगी. जिससे बिक्री बढ़े और राजस्व में बढ़ोतरी हो सके.
*आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम* ने कहा कि
दूसरी ओर इसी हेमंत सरकार के द्वारा नशा के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है.यह किसी भी राज्य सरकार के लिए अच्छी बात है. नशा हर तरह का खराब होता है. चाहे शराब हो या तंबाकू. लेकिन इस नशे के खिलाफ अभियान पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है कि आखिर सरकार करना क्या चाह रही है.पहले शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए दुकान बढ़ा रही है. दूरी तरफ नशा के खिलाफ अभियान चला कर जागरूक कर रही है. इसपर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है. अखबार से लेकर न्यूज चैनल और शहर में बड़े बड़े होर्डिंग लगा कर नशा को ना कहने के लिए कहा जा रहा है.
*आजसू जिलाध्यक्ष आलमगीर आलम* ने कहा कि शराब को भी झारखंड में बैन कर दे. आखिर तंबाकू और धूम्रपान पर रोक और शराब का ठेका रात 11 बजे तक खोल कर शराब पिलाना यह समझ से बाहर की बात है. कई लोगों ने तो कहा कि जागरूकता के नाम पर करोड़ों का खेल खेला गया है और कुछ नहीं है. सरकार की नीति ही साफ नहीं है कि करना क्या है।
इस प्रेस विज्ञप्ति के बावत उन्होंने फोन पर कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन अभी बीमार हैं , मैं उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। उनका पूरा जीवन संघर्ष का रहा । आदिवासी सहित पूरे समाज में नशा के विरुद्ध जन जागरण के प्रति वे सक्रिय रहे। उन्हें भी सरकार की इस नीति से निराशा तथा असहमति होगी।

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