काले पत्थरों के लिए मशहूर पाकुड़ कई और चीजों के लिए मशहूर है। हर मशहूर चीजों से धीरे धीरे रूबरू कराऊँगा , लेकिन फ़िलवक्त जो कहने जा रहा हूँ , वह है अवैध विस्फोटक।
अभी कल ही पाकुड़ पुलिस ने दो बंगाल के लोगों को 1148 जिलेटिन के साथ पकड़ा। समाचार माध्यमों में कोलाहल मचा। बड़ी खेप पकड़ी गई। यह भी कहा गया कि अब जाँच होगी कि यह कहाँ इस्तेमाल होने वाला था।
खैर जाँच तो होनी ही चाहिए , लेकिन क्या जिलेटिन खुद विष्फोट हो जाता है ? यह एक बड़ा तकनीकी सवाल है !
जिलेटिन है तो विष्फोट, लेकिन अकेले यह अमोनियम नाइट्रेट और पेट्रोलियम पदार्थ का एक प्रोसेस किया हुआ स्टीक जैसा विषेष कागज़ में लिपटा एक ऐसा पदार्थ है , जिसमें डेटोनेटर न लगाया जाय तो विष्फोट नहीं होता।
पाकुड़ में पत्थर उद्योग में औद्योगिक विस्फोटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
बहुत पहले इसे मेनवली उपयोग किया जाता था , लेकिन अब इसे इलेक्ट्रिकल विष्फोट किया जाता है। खैर अगर जिलेटिन बरामद हुआ है तो अवैध जिलेटिन भी कहीं न कहीं होगा , पहले उसकी जाँच और जप्ती होनी चाहिए।
विस्फोटक की जप्ती पाकुड़ में कोई नई बात नहीं है। पिछले दस वर्षों का ही पुलिस रेकॉर्ड खंगाला जाय तो दर्जनों गवाहियाँ मिलेंगी। इसी जिलेटिन और डेटोनेटर में डीजल मिलाकर अमोनियम नाइट्रेट भी पत्थर खदानों के विष्फोट छिद्र में डाला जाता है जो उस विष्फोट को कई गुना ज्यादा ताकतवर बना देता है ,जिससे उत्पादन भी कई गुना ज्यादा हो जाता है। मतलब साफ है कम विस्फोटक में ज्यादा उत्पादन।
पाकुड़ में एक ही विस्फोटक बेचने का लाइसेंस है। विस्फोटक अनुज्ञप्ति प्राप्त लीजधारकों को उनके अनुज्ञप्ति की मात्रा के अनुसार ही विस्फोटक सामग्री मिलता है। यह बात और है कि कुछ अनुज्ञप्ति धारी अपनी उत्पादन क्षमता से अधिक मात्रा की अनुज्ञप्ति ले रखे हैं, जिसे वो क्या करते हैं, यह भी जाँच का विषय है।
अब दूसरा सवाल उठता है कि जब अनुज्ञप्तिधारी लीजधारकों को वैध रूप से विस्फोटक आपूर्ति की व्यवस्था है तो फिर ये अवैध विस्फोटक बंगाल या अन्य कहीं से क्यूँ आता है ? वह भी इतनी बड़ी मात्रा में ?
इतना ज्यादा विस्फोटक का यहाँ प्रतिदिन खपत आख़िर होता कहाँ है। कोई अवांछनीय या अलगाववादी तत्व इसका फायदा तो उठा ही सकता है लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में वे शायद ही लें। मतलब साफ है कि ये विस्फोटक यहाँ अवैध खनन में उपयोग होता होगा।
इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री का कालाबजारी या तस्करी इस बात का सबूत है कि पाकुड़ में पत्थरों का अवैध खनन होता है और उसमें अवैध विस्फोटकों का धड़ल्ले से उपयोग होता है। इसका सबूत खनन विभाग के उन फाइलों का रिटर्न भी देगा , जिनको विस्फोटक अनुज्ञप्ति नहीं है।
दशकों से जप्त विस्फोटकों का कहाँ उपयोग होगा की जाँच की बात तो सुनता आया हूँ , लेकिन …….
विस्फोटक की कहानी की कई लम्बी किस्तें हैं। धीरे से सब सुनाऊँगा मेरे ब्लॉग पर कलम की सफ़र में। आगे बंगाल तथा अन्य स्थानों से आनेवाले विष्फोट कथा😊और हाँ 1148 जिलेटिन तो जप्त हो ही चुका है , अब उतने ही डेटोनेटर भी जप्त हो जाय तो ठीक हो , बिना डेटोनेटर के जिलेटिन तो बिना सिंदूर और बिंदी की ब्याहता है। हैय कि नय ?🙏
जिलेटिन तो जप्त हो गया, डेटोनेटर कहाँ छूट गया हजूर ?
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