Saturday, December 6, 2025
Homeजीवनीइतिहास के भूले हुए पन्नों से।।

इतिहास के भूले हुए पन्नों से।।

उमानाथ पांडे के FB वॉल से साभार
—–
1955 मे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के कामराज एक बच्चे को मजदूरी करते हुए देख लेते है, बच्चे से पूछते है कि स्कूल क्यों नहीं जाता तो बच्चे ने कहा “खाना क्या आप दोगे?”

कामराज चेन्नई लौटते है और यही से मिड डे मिल की शुरुआत होती है जो आज गेम चेंजर बन गयी है। कामराज उस जमाने के चंद्रबाबू नायडू थे, उनकी वज़ह से उस जमाने मे तमिलनाडु के गाँवों मे टीवी पहुँचा और सड़के बनी। खुद तीसरी कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं कर सके क्योंकि पिता का देहांत हो चुका था।

ऐसे दौर से निकले कामराज कभी स्वतंत्रता संग्राम मे लड़े तो कभी कांग्रेस के एक ऐसे नेता बने जिन्हे आजाद भारत का पहला चाणक्य कहा जा सकता है। या सच कहु तो अमित शाह के बाद दूसरा नाम इन्ही का है।

1954 से 1963 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे, महत्वाकांक्षी बहुत थे मगऱ एक पैसे का घोटाला नहीं किया बस राजनीति और जनकल्याण मे लगे रहे। 1963 मे ज़ब देखा कि कांग्रेस मे गुटबाजी हो रही है तो इस्तीफा देकर संगठन मे लग गए।

नेहरू ने यही निष्ठा देख चेन्नई से दिल्ली बुला लिया और पूरे देश मे कामराज प्लान लागू कर दिया, कांग्रेस के जिन मुख्यमंत्रियों या नेताओं के 10 साल पूरे हो चुके थे उन्हें संगठन के काम मे लगा दिया। नेहरू इंदिरा गाँधी के लिए सड़क बना रहे थे और कामराज उनका साथ दें रहे थे।

नेहरू की मृत्यु हुई तो कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष थे उन्होंने मोरारजी देसाई से दुश्मनी लेकर लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनवाया और ज़ब शास्त्री की मृत्यु हुई तो इंदिरा गाँधी को। लेकिन यही कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से मैंने इन्हे चाणक्य की पदवी मे अमित शाह के बाद रखा है।

1967 मे इंदिरा गाँधी ने मन बना लिया कि वो इस बुजुर्ग मंडली की ऊँगली पर नहीं नाचेगी, 1967 मे चुनाव भी थे। कांग्रेस को 283 सीटें मिली, ये बहुत कम थी क्योंकि उन दिनों विपक्ष बहुत कमजोर था। जनसंघ ने 35 सीटें जीत ली थी, कामराज ने जनसंघ को भविष्य का खतरा बताया था।

कितने सटीक थे कामराज क्योंकि जनसंघ ही बीजेपी का पुराना नाम है, खैर इंदिरा गाँधी ने राष्ट्रपति चुनाव मे पहली बार कामराज को शिकस्त दी। 1969 मे कामराज ने नीलम संजीवा रेड्डी को राष्ट्रपति पद पर बुलाया मगर इंदिरा ने वी वी गिरी को आगे कर दिया, रेड्डी हार गए और इस तरह इंदिरा गाँधी को पार्टी विरोध करने के चलते कांग्रेस से बाहर कर दिया गया।

इंदिरा गाँधी ने अलग पार्टी कांग्रेस R बनाई और कामराज के धुरविरोधी करुणानिधि का समर्थन किया। इंदिरा गाँधी मन बना चुकी थी कि कामराज को उनके घर मे घेरकर हरायेगी, इसे ऐसे समझिये कि 1971 के चुनाव मे तमिलनाडु मे कामराज को हराने के लिए इंदिरा ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा।

कामराज बुरी तरह हारे और उनकी स्थिति बिना दाँत के बाघ जैसी हो गयी, 1975 मे कामराज का निधन हुआ और उन्हें भारत रत्न भी मिला। इंदिरा गाँधी आपको शायद विलेन लगे लेकिन अच्छा ही किया, इंदिरा ने उस कांग्रेस की नींव रखी जो सिर्फ गाँधी परिवार पऱ केंद्रित हो और उसी का फायदा आज बीजेपी का मिल रहा है।

वो बीजेपी जिसने तब महज 35 सीटें जीती थी, कामराज को याद कीजिये इसलिए नहीं कि वे देश के एक बड़े नेता थे या दिल्ली चेन्नई मे उनके नाम से सड़के है बल्कि इसलिए क्योंकि वे विकसित तमिलनाडु के शिल्पकार है।

वो बच्चा जो पिता के गुजर जाने के कारण पढ़ लिख नहीं सका, आर्थिक तंगी भी देखी। बुरे दौर से निकलकर खुद को इतना सक्षम बनाया कि करोड़ो जीवन को संवारा और दिल्ली मे दो दो प्रधानमंत्री बनाये।

ऐसी ही पृष्ठभूमि से आये लालू मुलायम ने करोड़ो की सम्पत्ति बनवाई, मायावती ने मूर्तियां बनवाई, ठाकरे ने मातोश्री बनवाया मगर एक बार के कामराज के घर के फोटो गूगल पर देखिये। अब तो म्यूजियम बन गया है मगर असल घर एकदम साधारण था। कामराज यदि एक बार प्रधानमंत्री बने होते तो आज भारत की तस्वीर बहुत अलग होती।

Comment box में अपनी राय अवश्य दे....

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments