Tuesday, December 30, 2025
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*भारतीय भाषा उत्सव-25: समापन दिवस-“भाषा की एकता, देश की पहचान”*

डी.पी.एस, पाकुड़ न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है, बल्कि विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भी कटिबंध है । इसी कटिबद्धता के अंतर्गत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्देशानुसार 4 से 11 दिसंबर तक डीपीएस, पाकुड़ के प्रांगण में मनाए जा रहे भारतीय भाषा उत्सव- 25 का दिनांक 11/12/25 को समापन समारोह बहुत ही सद्भाव पूर्ण एवम् मनोरंजन से परिपूर्ण रहा। डीपीएस, पाकुड़ में 4 दिसंबर से ” अनेक भाषा भाव एक ” थीम के अंतर्गत सात दिन तक अलग – अलग थीम के साथ चलने वाले भाषा उत्सव -25 का 11 दिसंबर को राष्ट्र महाकवि सुब्रामण्या भारती की जयंती पर भाषाई सद्भावना के साथ समापन समारोह संपन्न हुआ । समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आदरणीय श्री शेष नाथ सिंह जी ( प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पाकुड़ ) ने दीप प्रज्वलन कर भाषा उत्सव – 25 के समापन समारोह का विशेष सभा के साथ शुभारंभ हुआ। आज का विषय था ” विविध भाषाई एकता प्रस्तुत करती कविताएं और लघु नाट्य मंचन।”
डीपीएस के बच्चों ने अतिथि महोदय के समक्ष ” भारतीय भाषा अनेक – भाव एक” की बानगी प्रस्तुत करते हुए विभिन्न भाषाओं जैसे गुजराती बंगाली, हिंदी,उड़िया, तमिल,तेलगु पंजाबी, अंग्रेजी आदि भाषाओं में कविता पाठ के साथ साथ बच्चों ने कई भारतीय भाषाओं में बहुत ही मनोरंजक और ज्ञानवर्धक नाटक का भी मंचन किया।
न्यायाधीश महोदय जी ने सीबीएसई के तत्वाधान में डी.पी.एस द्वारा किए गए इस विविध भाषाई भावनात्मक एकता कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई दिया। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। जितना संभव हो हमें अपना भाषा ज्ञान बढ़ाने के साथ-साथ कम से कम अपनी प्रांतीय भाषा को जरूर सीखना चाहिए।इससे हमें प्रांतीय सभ्यता, संस्कृति, लोकाचार और साहित्य को समझने -सिखने में मदद मिलती है। क्योंकि भाषाएं केवल संवाद का साधन नहीं, सांस्कृतिक विरासत की धड़कन भी हैं”
डी.पी.एस, पाकुड़ के प्रधानाचार्य श्री जे.के. शर्मा जी ने विद्यालय में एक सप्ताह से चल रहे इस भाषा उत्सव के बारे अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि ” यह आयोजन सीबीएसई द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार किया गया था।इसके सभी विषय भाषाई सद्भाव पर जोर देते है। उत्सव के सात दिनों के लिए अलग-अलग थीम रखी गई थी। भाषा उत्सव 25, के पहले दिन 4 दिसंबर को भाषा वृक्ष प्रदर्शनी और भाषा विरासत दीवार, दूसरे दिन 5 दिसंबर को भाषाओं में कविता व संगीत । तीसरे दिन 6 दिसंबर को भाषा मेला के तहत विभिन्न भारतीय त्योहार खान -पान, लोकगीत आदि व भाषा पॉडकास्ट का आयोजन किया गया। चौथे दिन 8 दिसंबर को कहावतों में एकता व भाषा मित्र सहयोग कार्यक्रम हुआ। पांचवें दिन 9 दिसंबर को भाषा बंधु पत्र व बहुभाषी कहानी श्रृंखला , छठे दिन 10 दिसंबर को भाषा अन्वेषण क्लब और सातवें दिन काव्य पाठ और विविध भाषाई लघु नाट्य मंचन थीम के साथ आयोजन संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के द्वारा बच्चों ने यह समझा कि विविध भारतीय भाषाओं की भावना एक ही है। इस दौरान छात्रों को विभिन्न प्रांतो के साहित्य, संस्कृति,भौगोलिक स्थिति, खान-पान, वेशभूषा,, त्यौहार आदि के बारे में व्यावहारिक रूप से सीखने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ।

विद्यालय के निदेशक श्री अरुणेंद्र कुमार जी ने कार्यक्रम के दौरान पधारे सभी मुख्य अतिथि गण के प्रति आभार प्रकट करते हुए भारतीय भाषा उत्सव-25 के सफल आयोजन के लिए डीपीएस के प्रधानाचार्य, शिक्षक गण और सभी छात्र-छात्राओं को बाधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के विविध भाषाई एकता उत्सव के माध्यम से बच्चों को यह सीख मिलती है कि वे किसी देश या क्षेत्र की विभिन्न भाषाएँ सीखें, एक-दूसरे का समर्थन करें और राष्ट्रीय पहचान व संस्कृति को मजबूत करें, न कि अलग-थलग पड़ें; यह विविधता में एकता का प्रतीक है, जहाँ हर भाषा को समान सम्मान मिलता है और शिक्षा व प्रशासनिक कार्यों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि सांस्कृतिक जुड़ाव और आपसी समझ बढ़े, जैसा कि भारत में भाषाई राज्यों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेप) के माध्यम से किया जा रहा है।

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