पाकुड़ प्रखंड क्षेत्र में ईशा नदी पर की गई कथित मिट्टी भराई मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश अग्रवाल ने झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। मामला पिछले चार महीने से न्यायालय में लंबित था, जिसकी आज डिग्री (अंतिम आदेश) प्राप्त हो गई। आदेश प्राप्त होने के साथ ही सुरेश अग्रवाल ने औपचारिक रूप से नई जनहित याचिका भी दर्ज की, जिसमें नदी क्षेत्र में अवैध रूप से मिट्टी भरने और प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ किए जाने का गंभीर आरोप लगाया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जमाबंदी संख्या 289, प्लॉट संख्या 769 में लगभग 24 बीघा 5 कट्ठा 4 धुर भू-भाग ईशा नदी का हिस्सा है। आरोप है कि प्रखंड विकास कार्यालय द्वारा इस भूमि का प्रकलन तैयार कर स्वीकृति देने के बाद वहां बड़ी मात्रा में मिट्टी भराई कर दी गई। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों—प्रखंड विकास पदाधिकारी, उप-विकास आयुक्त, अंचल अधिकारी और उपायुक्त—को बार-बार लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन किसी भी स्तर पर उचित कार्रवाई नहीं की गई।
हँलांकि उच्चस्तरीय जाँच ही इस पर से पर्दा उठा सकता है, लेकिन फिलवक्त आरोप में स्थल के परिदृश्य जान डाल रहे हैं।
सुरेश अग्रवाल के अनुसार, नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बदलते हुए लगभग 25 बीघा क्षेत्र में मिट्टी डालकर उसे खेल मैदान में तब्दील कर दिया गया, जो पर्यावरणीय और कानूनी दोनों दृष्टियों से गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर तालाब, कुआँ, नदी, जलकुंड, नहर व दोवा निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, दूसरी ओर प्राकृतिक जलस्रोतों को मिट्टी भरकर नष्ट किया जा रहा है, जो सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन है।
सुरेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि पाकुड़ प्रखंड विकास कार्यालय और चाचंकी उर्फ रघुनंदनपुर पंचायत के मुखिया की मिलीभगत से ईशा नदी में रातों-रात मिट्टी भराई की गई, जिसकी शिकायतें जिला प्रशासन को बार-बार भेजी गईं, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ करना न केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि कानूनी अपराध भी है। इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए उन्होंने न्यायालय के हस्तक्षेप को क्षेत्र की जनता के लिए बड़ी राहत बताया।