केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार 4 से 11 दिसंबर तक ” पुरे भारत में भारतीय भाषा उत्सव-25 के रूप मनाया जा रहा है। डीपीएस पाकुड़ के प्रांगण में दिंनाक 04/12/25 को अनेक भाषा -भावना एक : थीम के तहत भाषा उत्सव का बहुत भव्य शुभारम्भ हुआ । कार्यक्रम के दूसरे दिन यानी 05/12/25 को मुख्य अतिथि के रूप में पाकुड़ जिला शिक्षा अधिकारी सुश्री अनीता पूर्ति जी मौज़ूद रहीं।उत्सव का दूसरा दिन बच्चों के लिए बहुत ही भाव पूर्ण, ज्ञानबर्धक होने के साथ-साथ मनोरंजक भी रहा।
भाषा उत्सव – 25 के दूसरे दिन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सुश्री अनीता पूर्ति जी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।इसके उपरांत विद्यालय के बच्चों ने भारत की विभिन्न भाषाओं जैसे हिंदी, बांग्ला, गुजरती, कन्नड़, असमिया, उड़िया, संस्कृत आदि में अपना परिचय देते हुए कविता पाठ कर माहौल को बहुत ही मनोरम और भावपूर्ण बना दिया। साथी साथ शिक्षकों और बच्चों ने मिलकर विभिन्न भाषाओं में माधुर लोक गीत -संगीत प्रस्तुत कर भाषाई विविधता में एकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि सुश्री अनीता पूर्ति जी ने बच्चों द्वारा बिभिन्न भषाओं में कविता पाठ और गायन की प्रशंसा करते हुए भारतीय भाषा उत्सव – 25 के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हम इतनी भाषाओं के बीच रहते हैं। हमें भारत में कई भाषाओं को जानने समझने का मौका मिलता है। जितनी भाषाओं का हमें ज्ञान होता है, हम उतने ही प्रबुद्ध होते हैं। सभी भारतीय भाषाओं का भाव एक ही है। कविता किसी भी भाषा की भावनात्मक अभिव्यक्ति का सबसे सरल माध्यम है। ”
डी.पी.एस के निदेशक श्री अरुणेंद्र कुमार जी ने भाषा उत्सव के दूसरे दिन की महत्ता यानी कविता पाठ और बिभिन्न भाषाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ” कविता या लोक गीत सिर्फ शब्द या वक्तव्य नहीं, बल्कि हमें अपनी भावना व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम हैं जो व्यक्ति और समाज को नैतिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से समृद्ध करता है, हमें अपनी कला और संस्कृति से जोड़ता है और एक बेहतर भविष्य की ओर प्रेरित करता है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री जे के शर्मा जी कहा कि भाषा उत्सव के दूसरे दिन बिभिन्न भाषाओं में कविता और लोक संगीत के माध्यम से बच्चों के मध्य भारतीय विविधता में एकता को दर्शाने और इसके मूल्यों को समझाने में मदद मिलेगी। वे एक -दूसरे की भाषा,कला संस्कृति को करीब से जान सकेंगे जिससे नैतिकता के साथ-साथ उनके बीच आपसी सद्भावना भी बढ़ेगी। उत्सव के दौरान सभी बच्चे अपनी प्रस्तुति देते समय काफी उत्साहित दिखे और साथ ही साथ दर्शक दीर्घा में मौज़ूद बच्चे भी विभिन्न भाषाओं में पठित कविता और लोक संगीत सुनकर आनंदित हुए।👆
भावयोग, कर्मयोग और ज्ञानयोग का माध्यम – भारतीय भाषा उत्सव -25 मनाने की हुई है शुरुआत।
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