Monday, August 18, 2025
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*दिल्ली पब्लिक स्कूल पाकुड़ के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस -2025,उत्साह पूर्वक मनाया गया

डी. पी एस, पाकुड़ में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 , बहुत ही उत्साह पूर्वक मनाया गया। वैश्विक उत्सव के 11वीं वर्षगांठ पर “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” विषय के तहत, इस वर्ष का आयोजन समग्र कल्याण और पर्यावरण सद्भाव को बढ़ावा देने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। इस विषय को परिपूर्ण करने और बच्चों को योग के महत्व के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से विद्यालय में योग से संबंधित कई तरह की गतिविधियों का आयोजन किए गए। कक्षा नर्सरी से लेकर के 12वीं तक की कक्षाओं में योग के साथ ही साथ योग से संबंधित प्रश्नावली, निबंध प्रतियोगिता तथा चित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

विद्यालय में आयोजित योग शिविर में सभी शिक्षक गण और विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान शारीरिक प्रशिक्षक श्री प्रवीण सोरेन की देखरेख में बच्चों तथा शिक्षकों को सर्वप्रथम योग शपथ दिलवाई गई। इसके उपरांत विभिन्न तरह के प्राणायाम एवम आसन किये गए।कार्यक्रम में बच्चों ने योग के साथ-साथ बहुत ही आकर्षक मानव पिरामिड भी प्रस्तुत किया।

विद्यालय के निदेशक श्री अरुणेंद्र कुमार जी ने सभी को योग दिवस की बधाई दी और अपने अनुभव से बताया कि योग एक परिवर्तनकारी अभ्यास है, जो मन और शरीर के मध्य सामंजस्य, विचार और क्रिया के बीच संतुलन, संयम और पूर्ति का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ और अनुशासित व्यक्ति ही स्वस्थ पर्यावरण और समाज का निर्माण कर सकता है।’योग चित्तवृत्ति निरोधः’ अथार्त योग का उद्देश्य बहुत व्यापक है यह मन की चंचलताओं को नियंत्रित करता है यानी हमारे शरीर और मन को अनुशासित करता हैं । यह हमें आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाता है, जहाँ मन शांत और स्थिर होता है।अतः उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी को नियमित योग का अभ्यास करने की सलाह दी।

विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री जे.के शर्मा जी ने योग के महत्व को समझते हुए बताया कि ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ : यानी, कर्मों की कुशलता ही योग है आज के तनाव भरे वातावरण में योग ही एकमात्र ऐसा साधन है जो हमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक शांति प्रदान करता है । छात्रों में एकाग्रता को बढ़ाने के लिए उनका नियमित योग अभ्यास आवश्यक है, क्योंकि ध्यान वह अवस्था है जब मन बाहरी विषयों से पूरी तरह मुक्त होता है। यह आत्मा से जुड़ने और भीतर की शांति पाने का माध्यम है।

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