पाकुड़ सदर प्रखंड के मनिरामपुर के दो युवक बीते दिनों लाखो के अवैध एटीएम लॉटरी के साथ पकड़े गये। ये तो मात्र एक वानगी है। जिले के सभी प्रखंडो में ऐसी लोटरियाँ अपना पैर पसारे हुए है। आख़िर इस अवैध लॉटरी की नदी की कोई तो उदगम स्थल होगा ?
फ़िल्वक जानकार बताते हैं कि इस अवैध की नदी में कई अवैध नाले विभिन्न स्थानों से आकर मिलते हैं। इसमें हिरणपुर प्रखंड से भी एक बड़ी भागेदारी है। सूत्रों के अनुसार हिरणपुर के साहा और यादव जी की जोड़ी एक कलम की छाँव तले भी इबारत , लिखते हैं, तो पाकुड़ में मंडल जी , भगत जी और बाबा जी अपनी कहानियों को अमलीजामा पहनाने का काम करते हैं।
ये सारे साहा जी, यादव जी , मंडल जी , भगत जी , बाबा जी आदि सभी सांकेतिक उदाहरण हैं। यहाँ इतने समाजिक सौहार्द के साथ अवैध लॉटरियों के नाले बहाये जाते हैं, कि ये सभी मिलकर एक नदी बन जाती है। यहाँ के माफियाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों के अलावे बंगाल में भी प्रिंटिंग के यूनिट बैठा रखे हैं। ये एटीम लोटरियाँ बंगाल में तो बिकती नहीं , क्योंकि वहाँ लॉटरी पर प्रतिबंध नहीं है , स्वाभाविक रूप से वहाँ अन्य राज्यों सहित बंगाल के भी ओरिजनल लोटरियाँ ही बिकतीं हैं, और अवैध एटीम लॉटरी के लिए पाकुड़-साहेबगंज तो है ही।
कुल मिलाकर स्थानीय स्तर पर छापकर बाज़ार में उतरने वाले इस अवैध लॉटरी की कहानी के पीछे बड़े बड़े सफेदपोशों के हाथ को नकारा किसी क़ीमत पर नहीं जा सकता।
पुलिस ने इस मामले में लोगों को चिन्हित कर आगे और करवाई की बात कही है। आगे सिर्फ़ परिणाम का इंतजार लोगों को रहेगा।
बिना कोई टेक्स चुकाए किये जाने वाले इस अवैध लॉटरी ने कितने ही दिनों से गरीबों की जेब पर डाका डाला है। ये लॉटरी बेचने वाले एक ओर मालामाल हो रहे हैं, तो दूसरी ओर इस बुरी आदत के शिकार इसे खरीदने वाले और फ़कीरी के फाँके में डूबते जा रहे हैं।
लॉटरी के सफेदपोशों के गिरेबान तक पहुँचेंगे कानून के हाथ ?
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