पूजा के संस्थापक हिसाबी राय के नेतृत्व में होगा सारा कार्यक्रम संपन्न,
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावे मटका फोड़ कार्यक्रम का होगा आयोजन
सार्वजनिक गणेश पूजा समिति रेलवे मैदान पाकुड़ इस साल 27 वां वर्ष मनाने जा रहा है।समिति की ओर से इस वर्ष भव्य कार्यक्रम भी आयोजित की जा रही है।ऐसे तो हर साल समिति की ओर से रेलवे मैदान में आकर्षक पंडाल के साथ साथ आकर्षक प्रतिमा व पूजा संपन्न कराया जाता रहा है, पर इस बार 27 वर्ष होने के उपलक्ष्य पर समिति की ओर से अलग करने की तैयारी की जा रही है। गणपति महोत्सव की तैयारी गणेश पूजा के संस्थापक हिसाबी राय के देखरेख में जोरों पर है। समिति के अध्यक्ष अनिकेत गोस्वामी ने बताया कि इस वर्ष रेलवे मैदान में गणपति महोत्सव का आयोजन 27 अगस्त से 30 अगस्त तक किया जाएगा। गणेश महोत्सव को सफल बनाने के लिए समिति के कार्यकर्तागण जोरदार तैयारी में जूटे हैं।
भगवान गणपति की भव्य प्रतिमा होगी स्थापित…
पूजा के अध्यक्ष अनिकेत गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि गणेश पूजा के 27 वर्ष होने के उपलक्ष्य पर इस वर्ष विघ्नहर्ता भगवान बाबा गणपति की भव्य प्रतिमा रेलवे मैदान, पाकुड़ में स्थापित की जाएगी।चार दिवसीय आयोजित होने वाले इस भव्य कार्यक्रम में 27 अगस्त को गणपति प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा पुष्पांजलि एवं संध्या 7:30 बजे आरती तथा भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा,जिसमें जमालपुर के व्यास विजय चौधरी,मोनी सिंह,मुकेश मिश्रा,पुरण कुमार,शिवा मंडल एवं उनके मंडली द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत की जाएगी।दूसरे दिन संध्या में बच्चों का नृत्य प्रतियोगिता सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
डीसी व एसपी एक साथ करेंगें उद्घाटन…
उपरोक्त महोत्सव का उद्घाटन उपायुक्त पाकुड़ मनीष कुमार व पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी संयुक्त रूप से करेंगे।वहीं 28 अगस्त को नृत्य प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा 30 अगस्त को दोपहर तीन बजे डांडिया व मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।इसके उपरांत प्रतिमा के नगर भ्रमण के बाद प्रतिमा का विसर्जन बागतीपाड़ा स्थित मनसा मंदिर तालाब में किया जाएगा।
गणेश पूजा के संस्थापक हिसाबी राय ने बताया कि गणपति महोत्सव के निमित पिन्टू हाजरा,सचिव अजित कुमार मंडल,तनमय पोद्दार,संजय राय,जितेश रजक,मनीष सिंह,विशाल साहा,बुबाय रजक,निर्भय सिंह,नितिन मंडल,अंशराज,अंकित मंडल,अंकित शर्मा,रातुल दे,अभिषेक राज चौधरी, ओमप्रकाश नाथ,अमन भगत रवि पटवा इत्यादि पूजा की तैयारी में उत्साह के साथ लगे हुए हैं,संपूर्ण रेलवे मैदान,पूजा स्थल और स्टेशन रोड को भगवा झंडे से सजाया जा रहा है।ध्रुव भगत के द्वारा भव्य पंडाल का निर्माण ध्रुव रिंकू भगत,पंडाल के मिस्री बिपु सरदार,राजु रजक के टीम के द्वारा करवाया जा रहा है व विद्युत सज्जा की तैयारी की जा रही हैं तथा पुरोहित सजल चटर्जी एवं काली राय के द्वारा पूजा की विधिवत तैयारी हो रही है।प्रतिमा शिल्पकार तोतन पाल गणपति के प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।पूजा स्थल के चारों ओर नगर परिषद पाकुड़ के द्वारा साफ सफाई करवाया जा रहा है।
27 वां गणपति महोत्सव पर पाकुड़ के रेलवे मैदान में समिति की ओर से भव्य तरीके से पूजा संपन्न कराने को लेकर की जा रही तैयारी
ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन की बैठक में पाकुड़ शाखा ने भी की शिरकत , रखे वक्तब्य ।
ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन, पाकुड़ शाखा द्वारा केंद्रीय सभासदों की बैठक में पाकुड़ शाखा ने लिया भाग ।
ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन कोलकाता की 130वी केंद्रीय सभासदों की बैठक जो 21 अगस्त से लेकर 23 अगस्त 2025 तक रेलवे कम्युनिटी हॉल नैहाटी में आयोजित हो रही है ,इसमें पाकुड़ शाखा की ओर से शाखा सचिव संजय कुमार ओझा एवं केंद्रीय सभासद विक्रम भारती ,प्रसून पाराशर एवं गौतम प्रसाद यादव ने भाग लिया । इस अवसर पर ईस्टर्न रेलवे के 40 शाखा से आए हुए सभी शाखा सचिव एवं केंद्रीय सभासदों ने अपना वक्तव्य रखा ।इस बैठक से पहले ईस्टर्न जोनल डेमोक्रेटिक वूमेन एवं यूथ कमिटी का सम्मेलन 21 तारीख को हुआ ,जिसमें ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव कामरेड शिवगोपाल मिश्रा तथा कामरेड वी वेणुगोपाल ने भाग लिया ।उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का सुझाव दिया तथा भरोसा दिलाया कि रेलवे के साथ जो भी मांगे लंबित है, उन सभी के लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा ।पाकुड़ शाखा की ओर से शाखा सचिव संजय कुमार ओझा ने अपना वक्तव्य रखते हुए मुख्य रूप से ओपन लाइन में काम करने वाले सभी पर्यवेक्षकों के लिए साप्ताहिक विश्राम अथवा 15 दिन में 48 घंटे का एक विश्राम अवधि सुनिश्चित करने की मांग उठाई ,जो की रेलवे बोर्ड द्वारा प्रस्तावित है ।आज हमारे रेलवे विभाग में काम करने वाले सभी पर्यवेक्षक काम के अत्यधिक दबाव से मानसिक रोग ,शारीरिक रोग का शिकार हो रहे हैं तथा वह अपने पारिवारिक समस्याओं पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे पा रहे हैं ।इन सब परिस्थितियों में उन्हें नियमित विश्राम देने की आवश्यकता है ,ताकि उनकी कार्य क्षमता मैं वृद्धि हो, परंतु पदाधिकारी के उत्पीड़न के कारण वह हताश एवं निराश हैं ।इसलिए ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा की ओर से पूरे डिवीजन में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा ,जिसमें हावड़ा मंडल के सभी पर्यवेक्षक हस्ताक्षर करेंगे एवं आने वाले समय में इस मांग को मंडल प्रबंधक हावड़ा के समक्ष रखा जाएगा ।साथ ही साथ उन्होंने विगत दिनों में जिस प्रकार से सिगनलिंग विभाग के कर्मचारी की रेल दुर्घटना में मृत्यु हो रही है उससे काफी चिंतित होते हुए उन्होंने सिग्नल विभाग के कर्मचारियों के लिए रिस्क अलाउंस बहाल करने के लिए मांग उठाई । साथ ही उन्होंने सभी पर्यवेक्षक के कार्यालय में एसी लगाने हेतु एवं सभी इंटरलॉकिंग पैनल रुम में एसी लगाने के लिए भी मांग उठाई ।
आज भ्र्ष्टाचार , चार मरे पाँच घायल से निकल , बहुत दिनों बाद बच्चों के साथ जानकारी साझा कर सकारात्मक पत्रकारिता से मिली सन्तुष्टि।
हर सुबह की तरह आज बुधवार को भी मैं राजपाड़ा के ऐतिहासिक नित्यकाली मंदिर में अपनी आस्था की हाज़री लगाने 9 बजे के आसपास पहुँचा। मन्दिर में कबूतरों का एक विशाल झुंड रोज मेरी प्रतीक्षा करता है। जाते ही वे सभी मेरे आसपास फड़फड़ाहट का कोलाहल करते स्नेह लुटाता है। मैं भी कुछ न कुछ उनके लिए ले जाता हूँ।
यहाँ भी कुछ बाँटने का अवसर मैंनें ढूँढ लिया…
लेकिन आज वहाँ मुझे बच्चों का भी स्कूल ड्रेस में एक बड़ा झुंड दिखा। सभी बच्चे मन्दिर के कोने कोने में घूम और देख रहे थे , स्वाभाविक रूप से मोबाइल के कैमरे भी सेल्फी के लिए चमक रहे थे। मैंनें अपनी दैनिक पूजा के बाद उन बच्चों से बातचीत करना चाहा , मैं ने उनसे पूछा कि आज स्कूल के बदले यहाँ आपलोग दिख रहे हैं !
उनके साथ आये शिक्षक भी वहीं थे। पता चला कि आज बेगलेस डे है। उनके शिक्षक उन्हें जिले से रूबरू कराने ऐतिहासिक जगहों पर घुमा रहे हैं। फिर वापस लौट कर विद्यालय में भी कार्यक्रम में भाग लेंगे।
मैंनें उन्हें पूछा मन्दिर घूम लिए ? उन्होंने बताया हाँ। वे फिर सिद्धो कान्हू पार्क भी जाने वाले थे। मैंनें मन्दिर और सिद्धो कान्हू पार्क और वहाँ स्थित मॉर्टेलो टावर तथा सन्थाल हूल के विषय मे विस्तार ऐतिहासिक जानकारी दी। उन्हें कभी पाकुड़ के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी किसी ने नहीं दी थी। अपने जिला के इन ऐतिहासिक जानकारी को सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए। उन्हें लगा कि इतिहास के दृष्टिकोण से अपना जिला कितना समृद्ध है। उनके शिक्षक ने भी मुझे अपने स्कूल में आमंत्रित कर बच्चों को पाकुड़ और झारखंड के विषय में ऐतिहासिक जानकारी बताने , साझा करने का आग्रह किया। शिक्षक और शिक्षिका जो वहाँ उपस्थित थीं , के प्रयासों से मुझे काफी सन्तोष हुआ।
ऐसे भी किसी भी राज्य की प्रतियोगिता में राज्य के इतिहास से जुड़ी जानकारियों पर प्रश्न पूछे जाते हैं और इस उम्र में ऐसी जानकारियाँ बच्चों की शिक्षा के आधार नींव को मजबूत करेगा।
पाकुड़ उपायुक्त ने बेगेलेष डे के कार्यक्रम को अपनी निगरानी में चलाकर बहुत ख़ूब किया है , लेकिन इसे सिर्फ विद्यालय के कार्यक्रम तक सीमित न रखकर शिक्षकों ने बहुत ही सराहनीय प्रयास का परिचय दिया है।
ऐसे बेगेलेष डे के कार्यक्रमों के समाचार मीडिया में आ रहे हैं लेकिन सिर्फ वहीं तक के जहाँ जिला प्रशासन मौजूद रहता है। प्रशासन अपना काम तो कर ही रहा है, पर उसके सकारात्मक प्रभाव कहाँ तक पड़ा है , यह भी जनता तक आनी चाहिए।
हम पत्रकारों का भी शिक्षा और छात्रों के प्रति यह जिम्मेदारी बनती है कि सिर्फ मध्यान्ह भोजन की कमी की खबरों तक सीमित न रह कम से कम सप्ताह में एक दिन किसी विद्यालय में जाकर बच्चों से वो जानकारी साझा करें , जो उनके जीवन और प्रतियोगी परीक्षाओं में काम आए।
जैसे विकास की रौशनी सिर्फ वहीं तक पहुँचती है, जहाँ तक बाबुओं की गाड़ी के चक्के घूमते हैं लेकिन कुछ बाबू पैदल सुदूर इलाकों तक भी पहुँच कर विकास को वहाँ तक पहुँचाने का काम भी तो कर रहे हैं। क्यूँ न हम पत्रकार भी सकारात्मक पत्रकारिता का परिचय देते हुए , कुछ ऐसा करें जो मील का पत्थर सावित हो।
भ्र्ष्टाचार तो आज की तारीख़ में शिष्टाचार बन गया है , पर कुछ जगहों पर सकारात्मक पहल भी दिखता है , उसे भी समाज को परोसें।
आज बच्चों की जिज्ञासाओं से मैं काफ़ी प्रभावित हुआ और उस विद्यालय के प्रयास से आनन्दित भी।
बिना किसी भेदभाव के अपने जिला के इतिहास को जानकर बच्चे भी आनन्दित और संतुष्ट दिखे।
जय हिंद , जय झारखंड , जिन्दावाद पाकुड़।
हर देश , हर समाज और हर संस्कृति का अपना अपना एक व्याकरण होता है ।
डॉ संजय की कलम—
भारत का व्याकरण
कामिनी , कंचन और कृति मनुष्य की स्वाभाविक कमजोरी है । फिर नम्रता , विनम्रता , विनय भाव और भी कई मनुष्य के आभूषण भी है। किंतु विनय तो ठीक पर छल विनय ठीक नहीं। स्वतंत्रता तो ठीक पर स्वछंदता ठीक नहीं। ऐसा लोग कहते हैं और लोग यूं ही कहते हैं , ऐसा मानना ठीक नहीं ।
मनुष्य है तो भाव पक्ष तो है ही ,उसी तरह वस्त्र है , कम वस्त्र है , संक्षिप्त है और अति संक्षिप्त भी है । टेस्ट ड्राइव भी है ,आप जैसा चाहो वैसा ठीक है ,पर सब के लिए ठीक हो आवश्यक नहीं । संविधान ने इसपर कुछ कहा नहीं और कहना भी नहीं चाहिए। पर,कोई तो कहता है ,किसी को तो कहना चाहिए । अब बात तो ऐसी हो गई कि एक नेता जी हुए दिल्ली के ,उनपर आरोप लगा वो जेल गए ,पर उनके तर्क थे और संविधान के बारे बात किया कि मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए । पर बाकी राजनेताओं ने तो आरोप लगते ही इस्तीफा दिए । कई उदाहरण है , झारखंड भी उसमें है ।
फिर सही क्या है , किसे सही बोला जाए केजरीवाल जी को ? नहीं ,बिल्कुल नहीं।
फिर हम कैसे रहे न रहे ,ये मेरे मामले है , आप कौन ? तो ऐसा भारत में नहीं चलता। और नहीं चलना चाहिए किसी भी सभ्य देश और समाज में ऐसा नहीं चलना चाहिए ।
मेरा ऐसा मानना बिल्कुल नहीं है कि भारत को छोड़ बाकी असभ्य है ।मेरा मानना है कि कोई भी देश हो उसके कुछ मौलिक और पारंपरिक नियम तो होंगे। उनकी भाषा होगी।उनके यहां कुछ प्रचलित शब्द
होंगे , जैसे माता , पिता ,समाज ,भाई बहन , फिर शर्म भी एक शब्द होगा, हया भी होगी , कुल और परंपराएं भी होगी।
कुछ नियम भी होंगे,हर कुछ के यानि जानवरों और मनुष्यों के लिए अलग अलग दृष्टि भी होगी , मसलन सड़क पर हमारे यहां कुत्ते तनोरंजन करते मिल जाते है ।आप कुत्ते के द्वारा सड़क पर जो तनोरंजन करते देखते है ,आप उन्हें टेस्ट ड्राइव भी कह सकते है । लोग इसे स्वाभाविक मानते हैं पर अगर , मनुष्य ऐसा करने लगे तो समाज स्वीकार न करें शायद!
फिर हम एक अलग और श्रेष्ठ समाज में रहते हैं ।
तो भाषा के विकास के साथ व्याकरण की भी आवश्यकता महसूस हुए होंगे और हमारे यहां तो सूत्र रूप में व्याकरण रच दिया गया l आप कितना भी अच्छा बोले और लिखे पर अगर व्याकरण के अनुरूप न बोले तो गड़बड़ है ।
फिर,अभी भी हमारे गांवों में और कुछ छोटे शहरों में बड़े भाई का दोस्त भी बड़ा भाई बन जाता है ।उतना ही सम्मान जितना बड़े भाई का । दोस्त भी अपनी मर्यादा जानता है छोटे भाई बहन भी। महाविद्यालय के दिनों में श्वेत धूम्र सटीका यानी सिगरेट पीते कोई बड़े भाई के दोस्त ने देख लिया तो हालत खराब और यह वाकया अगर विद्यालय स्तर पर हो गई तो पिटाई बड़े भाई के दोस्त द्वारा ही होना तय ।
यह समाज और ये है समाज की खूबसूरती ।
हॉल के दिनों में दो संतो के द्वारा किश्तों में किए जाने वाले तनोरंजन पर जो टिप्पणी की गई ,उसपर बहुत बबेला हुआ ।संतों को भला बुरा कहा गया ।
पर मेरा मानना है कि आप अपने निजी जीवन को सुलभ बनाएं या सुलभ शौचालय ,ये आपकी मर्जी ,पर ये जो संत है ये सनातन समाज के अभिभावक हैं और इन्हें कोई नियुक्त नहीं करता पर ,इन्हें विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है ।समाज इनका आदर करता है और करता रहेगा ।
और एक स्वस्थ समाज और देश का एक व्याकरण होता है ,अगर हमें ठीक रहना है तो व्याकारण का अनुकरण नहीं अनुकीर्तन करना ही होगा ।
—– डॉ संजय
18अगस्त
कृष्ण पक्ष दशमी,सोमवार
*ब्यंगली एसोसिएशन झारखंड, पाकुड़ शाखा।*
स्वतंत्रता आन्दोलन के सर्व-कनिष्ट शहीद खुदीराम बोस के पुण्य तिथि आज दिनांक – 11 अगस्त 2025 ब्यंगली एसोसिएशन झारखंड के पाकुड़ शाखा के द्वारा उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया गया है। पाकुड़ शहर के खुदीराम चक में स्थित एसोसिएशन के समर्पित सदस्य श्रीमती बेला मजुमदार के द्वारा प्रतिष्ठित शहीद खुदीराम बोस के आदम कद मूर्ति पर माल्यार्पण कर शहीद को स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया है।
तत्कालीन अनुशिलन समिति के सदस्य होते हुए शहीद प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर स्वतंत्रता आन्दोलन के एक हिस्से के रूप में किंग्सफोर्ड को मारने के कार्यक्रम में पकड़े गए एवं फांसी की सज़ा के कार्यान्वयन दिनांक – 11.08.1908 के दिन विहार के मुजफ्फरपुर केन्द्रीय कारागार में शहीद हो गए। शहीद खुदीराम बोस के जन्मतिथि एवं पुण्य तिथि ब्यंगली एसोसिएशन झारखंड के पाकुड़ शाखा के द्वारा प्रतिवर्ष श्रद्धा के साथ मानाया जाता है।
शहीद खुदीराम बोस के मूर्ति पर माल्यार्पण कार्यक्रम में राजकुमार टिबरीबलवाल, रोहित टिबरीबल, विजय दास, नीलरतन दास, फिरोज, श्याम भगत मोहम्मद कलीम, निरंजन घोष प्रबीर भट्टाचार्य, माणिकचंद्र देव, सोमनाथ दास, पंचानन सरकार, मानव घोष, संजय भगत एवं अन्य भाग लिये है।
*कोयला परिवहन से चौपट होती खेती, प्रदूषण और दुघर्टना के खिलाफ चलेगा अभियान – सीपीएम*
* *16 अगस्त से 31 अगस्त तक स्थानीय ज्वलंत मुद्दों को चिन्हित कर 1 से 15 सितंबर के बीच प्रखंड कार्यालयो पर होगा धरना – प्रदर्शन*
*दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी गयी*
* पाकुड़ 11 अगस्त, 2025
सी पी एम जिला सचिव गोपीन सोरेन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि , पाकुड़ जिले में कोयला खनन के लिए जो कोल ब्लाक आवंटित किए गए हैं. वहां इन कोल कंपनियों द्वारा यहां आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन की रक्षा के लिए बने संताल परगना काश्तकारी कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए स्थानीय दलालों के माध्यम से रैयतों के जमीन की लूट जारी रखे हुए हैं. अमरा पाड़ा के पचुआडा कोल ब्लाक के समीप बसे गांवों में इनका इतना आतंक है कि आम आदिवासी रैयत कंपनी के खिलाफ मुंह तक नहीं खोलते हैं. दुसरी ओर कोयला खनन करने वाली इन कंपनियों
द्वारा किए गए एमओयू में जो वादे किए गए थे वे केवल कागजी रह गए हैं. जिससे यहां कई समस्याएं पैदा हो रही है. कोयला कंपनियों द्वारा कोयले का उत्खनन करने के बाद उसके परिवहन सेे कई समस्याओं से यहां के ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. . आमरा पाड़ा के ओपेन कास्ट कोयला खानों से कोयला निकाल कर निजी कंपनियों द्वारा बड़े – बड़े बड़े डंपर /हाइवा वाहनों से कोयला दुमका और पाकुड़ के डम्पिंग यार्ड तक संडक मार्ग से भेजा जाता है. कोयला के परिवहन में सैकड़ों वाहन कोयले की धुल उड़ाते हुए राजमार्ग से गुजरते हैं जिसके चलते भारी प्रदूषण हो रहा है और कभी हरा भरा दिखने वाला यह इलाका कोयले के काले डस्ट से रोड के किनारे बसे गांवों को अपने आगोश में ले लिया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोयले को ढंक कर ले जाने और रास्ते में पानी का छिड़काव करने का दिशानिर्देश केवल कागजों तक सीमित रह गया है. इस प्रदूषण के कारण यहां का पर्यावरण संतुलन भी नष्ट होता जा रहा है.कोयला परिवहन से उड़ने वाली काले गर्द के उड़ने से वातावरण में कोयले के महीन कणों की मौजूदगी से लोगों को श्वांस की बीमारी हो रही है. इसके अलावा अनियंत्रित बड़े वाहनों के परिचालन से रोज दुघर्टनाएं भी होती हैं. कोयला की ढुलाई से रोड के दोनों ओर के आधा – आधा किलोमीटर के किनारे की खेती भी धूल कणों के खेत की मिट्टी में जम जाने से चौपट हो रही है.
इस ज्वलंत मुद्दे पर आज सीपीएम की पाकुड़ जिला सचिवमंडल की विस्तारित बैठक मे गहन चर्चा कर इस मुद्दे पर प्रचार अभियान संगठित किए जाने के लिए एक कार्ययोजना बनायी गयी. बैठक को रांची से आए पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, झारखंड राज्य किसान सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा और जिला सचिव गोपीन सोरेन किसान सभा के जिला संयोजक सैफुद्दीन शेख, आदिवासी अधिकार मंच के हुडिंग सोरेन, रिजाउल करीम, सीटू के देवाषीश दत्ता गुप्ता जनवादी महिला समिति की मुकुल, आर. पी. पासवान, मो. नादेर हुसैन समेत पार्टी और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया. बैठक की अध्यक्षता प्रो. शिबानी पाल ने की बैठक में अमरापाडा, लिटटीपाडा, हिरणपुर, महेशपुर और पाकुडिया लोकल कमिटी के सचिव भी शामिल थे.
एक महत्वपूर्ण देश के शक्तिशाली मुखिया का बचकाना और अमान्य हास्यास्पद बयान , जो विश्व को अमान्य है।
विश्व मंच और डोनाल्ड ट्रंप
हाल के दिनों में , विश्व के सर्वाधिक शक्ति शाली देश के शक्तिशाली नेता का बयान आया । यह बयान शक्तिशाली देश भारत की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आया । यह हास्यास्पद बयान विश्व के शक्तिशाली,एक नेता का हो सकता है ,विश्वास करने योग्य नहीं है । भारत की अर्थव्यवस्था को मृत बोला गया।
अब अर्थशास्त्र और राजनीति अथवा अंत राष्ट्रीय वातावरण का बहुत ज्ञान नहीं रखने वाला व्यक्ति भी ट्रंप के बयान को बचकाना कह सकता है ।
निसंदेह ट्रंप और मोदी जी में तुलना ठीक नहीं ।होना भी नहीं चाहिए ।इसमें कोई संदेह नहीं कि ट्रंप ने पुरुषार्थ कर एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया है ।पर पुरुषार्थ से वो वह अर्जित नहीं कर पाए ,जो भारत कर पाया ।
भारत धर्म,अर्थ काम और मोक्ष की बात करता है ।पर ,ट्रंप के लिए धर्म और मोक्ष कोई मायने नहीं रखता होगा ,पर मोदी जी ,भारत को आत्मसात् किए है,इसलिए ये शांत ,संतुलित और निरंतर शारीरिक और मानसिक रूप से दृढ़ हैं।
पुरुषार्थ हमे अंतर्मुखी होना सिखाता है ,पर ट्रंप के लिए यह कुछ और है ।
मागा का नारा देकर सत्ता में आए ट्रंप अब विचलित सा व्यवहार कर रहे है।
एक समय था जब बड़ी से बड़ी बातें सचिव स्तर के या विदेश मंत्रालय कहते थे ,पर अब छोटी से छोटी बातें स्वयं राष्ट्रपति कहतें हैं।
यह शायद बड़ा बदलाव है जो कही न कही अमेरिका को कमजोर करता है।
देह की एक सीमा है।दिमाग तो देह पर निर्भर करता है।उम्र भी कोई चीज होती है ।
भारत के दर्शन और परंपरा का आप अनुकीर्तन करते है तो सौ वर्षों तक और उससे भी अधिक वर्षो तक दोनों ही स्तर पर स्वस्थ रह सकते है। पर ,अन्य देशों की जीवन शैली पर भी निर्भर करता है।
डोनाल्ड साहब और मस्क का प्रकरण, एपल के सी ई ओ को भारत में निर्माण करने के लिए धमकी हो या फुलवामा और टैरिफ , प्रत्येक मामला बहुत कुछ कहता है।रूस से तेल खरीदना हो या अब पाकिस्तान भारत को तेल देगा जैसी बातों पर लोग हास परिहास कर रहे हैं।
भारत शास्त्री जी के कार्यकाल को नहीं भूला है।
परमाणु परीक्षण पर अमेरिकी रवैए को नहीं भूला है और चाइना के धोखे को भी नहीं भूला है।
अगर कोई समर्थ देश इस तरह परेशान है तो समझना चाहिए कि भारत ऊंचाई पर जा रहा है ।आर्थिक रूप से लगातार मजबूत कर रहा है।
कोरोना महा मारी के मार से निकल कर , वैश्विक मंदी में भी स्थिर रहकर अपने को मजबूत रखा ।
जहां तक पाकिस्तान से तेल लेने की बात है तो भारत बैठा नहीं है ,वैकल्पिक ऊर्जा में भारत अव्वल आने वाला है।
हम ऐसा काम कर रहे है कि पेट्रोल की जरूरत ही हमें न हो ।
ट्रंप साहब फैसला लीजिए ,पर अपने पद का बोध लेकर और अगर भारत के बारे में ,तो भारत बोध होना आवश्यक है।
जहां तक दोस्ती की बात है तो हमारा दर्शन है ,हमारा ध्येय है “वसुंधरा परिवार हमारा”।
डॉ संजय
अगस्त 04 /25
श्रावण शुक्ल पक्ष , दशमी,सोमवार
एक थे जनरल मानेकशॉ , जैसा शायद ही कोई हो सकता !
*फील्ड मार्शल का ड्राइवर*
जैसा कि हम जानते हैं, ये ड्राइवर आर्मी हेडक्वार्टर्स की ट्रांसपोर्ट कंपनी, धौला कुआँ, दिल्ली से चयनित आर्मी सर्विस कोर के सिपाही होते हैं।
स्वाभाविक है कि सेना प्रमुख (Army Chief) के पास अपनी सरकारी ड्यूटी के लिए एक से अधिक ड्राइवर रहे होंगे। सभी सेवा में लगे सैनिकों की तरह, ड्राइवर को भी हर साल छुट्टी लेने का अधिकार होता है। ऐसे ही एक ड्राइवर थे हरियाणा के निवासी हविलदार श्याम सिंह।
एक दिन जनरल सैम मानेकशॉ, नॉर्थ ब्लॉक में एक बैठक से हँसते हुए बाहर निकले। ड्राइवर, सख्त सावधान की मुद्रा में खड़ा था और उसने तुरंत गाड़ी का दरवाजा खोल दिया। अप्रैल का महीना था – एक सुखद, नरम धूप और हल्की हवा वाला दिन।
“तुम्हें पता है श्याम सिंह,” जनरल ने हँसते हुए कहा, “आज रक्षामंत्री ने मेरा नाम ही बदल दिया। मुझे श्याम कहकर बोले – श्याम, मान भी जाओ।”
जनरल मानेकशॉ का इशारा रक्षामंत्री बाबू जगजीवन राम की उस विनती की ओर था, जो प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कहने पर पूर्वी पाकिस्तान पर अप्रैल में हमले के लिए की गई थी। सैम ने यह कहकर मना कर दिया था कि अगर अप्रैल में हमला हुआ तो भारत को 100% हार मिलेगी।
“वैसे श्याम और सैम में ज्यादा फर्क नहीं है – बस एक H और Y का ही तो खेल है,” जनरल ने मुस्कुरा कर कहा।
जब युद्ध समाप्त हो गया और जनरल मानेकशॉ के रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आने लगी, उन्होंने देखा कि श्याम सिंह कुछ असामान्य रूप से तनावग्रस्त रहने लगे हैं। उनके चेहरे पर बेचैनी साफ झलक रही थी, जो जनरल ने तुरंत भांप ली।
“क्या बात है श्याम सिंह, इन दिनों तुम्हारा चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारे घर की भैंस ने दूध देना बंद कर दिया हो?”
“नहीं साहब, वो बात नहीं है,” और फिर वह कुछ और बोले बिना चुप हो गए।
दिन बीतते गए और रिटायरमेंट का समय करीब आता गया। एक दिन श्याम सिंह ने जनरल से कहा:
“साहब, एक निवेदन है जो सिर्फ आप ही पूरा कर सकते हैं।”
“हाँ, बोलो श्याम सिंह।”
“साहब, मैं समय से पहले सेवा से निवृत्त होना चाहता हूँ। कृपया मेरी छुट्टी की सिफारिश करें।”
“लेकिन बात क्या है? कोई ज़मीन-जायदाद का मुकदमा है या पारिवारिक परेशानी? तुम अपनी पूरी सेवा पूरी करो। मैं तुम्हें नायब सूबेदार बनवा दूँगा, लेकिन सेवा मत छोड़ो,” जनरल ने समझाया।
“नहीं साहब, बात कुछ और है, लेकिन मैं वह तब तक नहीं बता सकता जब तक सेवा से मुक्त नहीं हो जाता।”
जनरल ने उसकी साफगोई और इज़्ज़त की भावना को समझा और आवश्यक कार्रवाई कर दी। जब ड्राइवर की रिहाई के आदेश आ गए, जनरल ने फिर पूछा:
“अब तो खुश हो? अब बताओ क्यों जल्दी रिटायर हो रहे हो?”
ड्राइवर सावधान मुद्रा में खड़ा हो गया और बोला:
“साहब, आपकी गाड़ी चलाने के बाद मैं किसी और की गाड़ी नहीं चला सकता। यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान था। मैं इसी इज़्ज़त के साथ घर जाना चाहता हूँ।”
फील्ड मार्शल हँसे और बोले:
“तू बहुत बड़ा बेवकूफ है! तुम हरियाणवी लोग भी ना – एकदम ज़िद्दी और पक्के!”
लेकिन अब जब छुट्टी के काग़ज़ बन चुके थे, कुछ नहीं किया जा सकता था। वह तो ठेठ हरियाणवी था – जो मन में ठान ले, फिर पीछे नहीं हटता।
फिर भी जनरल ने एक दिन उससे पूछा:
“रिटायरमेंट के बाद क्या करेगा?”
“कुछ न कुछ कर लूंगा साहब, कोई नौकरी ढूंढ़ लूंगा।”
“तुम्हारे पास खेती की ज़मीन कितनी है?”
“कुछ भी नहीं साहब, मैं तो गरीब परिवार से हूँ।”
जनरल सन्न रह गए। एक निर्धन व्यक्ति, जिसने सिर्फ इसलिए नौकरी छोड़ दी क्योंकि वह किसी और की गाड़ी नहीं चला सकता था।
जिस दिन ड्राइवर विदा हुआ, सैम मानेकशॉ ने उसे एक लिफाफा दिया।
“श्याम सिंह, इसे घर जाकर ही खोलना।”
“जी साहब।” ड्राइवर ने सलाम किया और चला गया।
घर पहुँचकर वह नौकरी ढूँढ़ने में व्यस्त हो गया और लिफाफा भूल ही गया। एक दिन उसे माल ढोने वाले ट्रक की ड्राइवरी का काम मिल गया। फिर एक दिन उसकी पत्नी बोली:
“मैं तुम्हारी आर्मी की वर्दी संदूक में रख रही थी, ये लिफाफा तुम्हारी जेब में मिला।”
“अरे, इसे तो मैं भूल ही गया था। मैंने इसे नहीं खोला क्योंकि मुझे ज्यादा पढ़ना-लिखना नहीं आता। साहब ने शायद मुझे एक प्रशंसा पत्र दिया होगा, जैसे बड़े अफसर देते हैं।”
“फिर भी, इसे खोलो और स्कूल मास्टरजी से पढ़वा लो, मैं जानना चाहती हूँ इसमें क्या है।”
तो दोनों पति-पत्नी गाँव के स्कूल गए और हेडमास्टर से निवेदन किया कि वह पत्र पढ़कर सुनाएँ।
मास्टरजी ने चश्मा पहना, लिफाफा खोला और काग़ज़ को देखकर चुपचाप रह गए।
“क्या हुआ मास्टरजी, ऐसे क्या देख रहे हैं?” श्याम सिंह ने पूछा।
“क्या तुम्हें पता है ये क्या है?”
“नहीं साहब।”
“यह एक हस्तांतरण पत्र (transfer deed) है। 1971 की जीत के बाद हरियाणा सरकार ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को 25 एकड़ ज़मीन युद्ध जागीर के रूप में दी थी। उन्होंने वह सारी ज़मीन तुम्हारे नाम कर दी है। अब तुम 25 एकड़ के मालिक हो।”
यह सुनकर पत्नी ने गुस्से में पति को डाँटा:
“तू तो पूरा बेवकूफ निकला! मैं तो इस लिफाफे को चूल्हा जलाने के लिए जलाने ही वाली थी! भगवान का शुक्र है मैंने पहले पूछ लिया। तू तो सबसे बड़ा मूर्ख है!”
इस तरह यह कहानी है महान जनरल सैम मानेकशॉ की – जिन्होंने अपनी युद्ध जागीर सोनीपत के पास अपने ड्राइवर को दे दी और अपनी फील्ड मार्शल की पेंशन आर्मी विडोज़ वेलफेयर फंड को दान कर दी।
*क्या कोई उनके बराबर आ सकता है⁉️*
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“साभार।”
गुरुजी स्वर्गीय शिबू सोरेन के व्यक्तित्व की छवि मानो हेमन्त में उतर सी गई हो
स्वर्गीय दिसोम गुरु शिबू सोरेन भौतिक शरीर में हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी अमिट छवि एक संस्मरण बन हमारे बीच जीवनपर्यंत रहेगा। ऐसे तो सैकड़ों बार उनसे मिल चुका हूँ, लेकिन एक पत्रकार होने के नाते तीन बार उनके साक्षात्कार के लिए अकेले में भीड़ से अलग मिला, पर एक बार भी साक्षात्कार सूट नहीं कर सका। जब कभी उनसे मिला, कभी लगा ही नहीं कि किसी राजनेता से मिल रहा हूँ। ऐसा लगा जैसे किसी आध्यात्मिक गुरु के सामने बैठा हूँ, और इनसे राजनैतिक सवाल क्या करना। हर बार उनसे बातचीत कर आशीर्वाद ले वापस आ गया। एक आश्चर्यजनक ओज और सादगी के बीच ऐसा कभी मुझे लगा ही नहीं कि इस व्यक्ति ने कभी कानून और सरकार के विरुद्ध उग्र विद्रोह किया होगा, और पुलिस इन्हें ढूंढती रही होगी।
क्योंकि उनकी बातों में कहीं विद्रोही की महक नहीं आती थी, बस अन्याय के विरोध की सुगंध के साथ प्रकृति तथा आदिवासियों की संस्कृति की सुरक्षा की बात रहती थी। बाबा शिबू सोरेन की बात करना एक ऐसी अनुभूति दे जाता कि वहाँ मैं पत्रकारिता भूल जाता, और उनकी बातों में डूब जाता था।
एक बार पाकुड़ के पनेम कोल ब्लॉक के सर्वेसर्वा पूज्य स्वर्गीय डी एन शरण से बातचीत में सुना था कि बाबा शिबू सोरेन ने एकबार झारखंड के कहीं दूसरे जगह उनसे कहा था, कि एक बात हमेशा याद रखें कि खनिजों पर सरकार का अधिकार होता है कानूनन, लेकिन जमीन आदिवासियों तथा प्रकृति की है। खनिज निकालने के बाद उसे समतल कर प्रकृति को वैसे ही आदिवासियों के द्वारा सौंप दें जैसा खनिज निकालने के लिए लिया था। वरना प्रकृति अपना बदला लेगी।
आज जो विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक आपदा दिख रही है, उससे लगता है, शिबू सोरेन बाबा कितने दूरदर्शी थे।
शरण साहब से दिसोम गुरु बाबा के विषय में और भी बहुत कुछ सुना था। एक ऐसी छवि मेरे मस्तिष्क में दिसोम गुरु की बन गई थी कि उनसे राजनैतिक सवाल पूछने के लिए मेरा कभी मुँह ही नहीं खुला।
जब भी उनसे बात हुई अलग राज्य और आदिवासियों के हित की झलक उनकी बातों से बिखरती थीं।
उनका कहना था, अलग राज्य बनेगा, आदिवासी चुनाव जीत कर आएँगे, सरकार बनाएँगे, चलाएँगे तभी तो आदिवासी सशक्त होंगे। नई नई चीज सीखेंगे, और दुनियाँ के साथ कदम मिलाकर चलेंगे।
वे कहते थे, मैंनें महाजनों का उग्र विरोध कर आंदोलन किया, कि आदिवासी अन्याय के विरुद्ध मौन न रह उसका विरोध करे। मैंनें अपने हक़ के लिए उन्हें जगाने का प्रयास किया। उन्होंने कई बार कहा था, जब आंदोलन की जरूरत थी किया, जब अलग राज्य के लिए राजनीति की जरुरत थी, वह भी किया। उद्देश्य सिर्फ झारखंड और यहाँ के निवासियों आदिवासियों के कल्याण से जुड़ा था।
गुरुजी सबसे मिलते थे, कभी लगा ही नहीं कि आंदोलन की ताप में खरा सोना बनकर निकला यह अमूल्य धरोहर आम जनता से अलग है। सबसे घुल जाने की उनकी वही प्रबृत्ति आज नेमरा में हेमन्त सोरेन में दिख रही है। वहाँ सहजता के साथ सगे सम्बंधियों और नेमरा की आम जनता के बीच वे बिलकुल गुरुजी की छवि बिखेर रहे हैं।
विधिवत श्राद्धकर्म में लगे हेमन्त सोरेन भी आज मुझे उसी तरह व्यक्तिगत रूप से प्रभावित कर रहे हैं, मानो गुरुजी की छवि उनमें उतर गई हो …..