Saturday, October 18, 2025
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आस्था का केंद्र है पाकुड़ का नित्यकाली मंदिर, दूर दूर से मन्नतें माँगने आते हैं लोग

पाकुड़ । राजापड़ा महल्ले में स्थित नित्यकाली मंदिर सिर्फ़ पाकुड़ ही नहीं, बल्कि तंत्र साधकों के बीच दूर दूर तक विख्यात है। स्वाभाविक रूप से तंत्र साधकों से जुड़े लोग नित्यकाली काली के दर्शन करने आते रहते हैं। बंग्ला सन 1222 यानी सन ई. 1700 के उत्तरार्ध में बना यह मंदिर अपने अंदर एक गूढ़ इतिहास और कई किंवदंतियों को समेटे हुए है।

तांत्रिक विधि से स्थापित यह मंदिर पाकुड़ की समृद्ध इतिहास की कहानी, मंदिर के अंदर स्थित मूर्तियों की ज़ुबानी ही सुनाती बरबस नज़र आ जातीं हैं।

नित्य पूजन लेने वाली माँ नित्यकाली की दक्षिणामूर्ति शिव सहित एक ही काले पत्थर को तराश कर बनाई गई है। माँ के पैरों तले लेटे शिव की मूर्ति गुप्तकालीन मूर्तिकला प्रतिबिंब सा है, तो माँ की मूर्ति मध्यकालीन ऐतिहासिक मूर्तिकला का परिचायक सा दिखता है। काली की मूर्ति के ठीक सामने आँगन की दूसरी ओर गणेश की मूर्ति स्थापित है। स्वस्तिक की तरह दिखनेवाले मंदिर का आँगन में हर तरफ सफ़ेद और काले पत्थरों के 34 शिवलिंग स्थापित हैं, जिसे तांत्रिक मान्यताओं के अनुसार विभिन्न भैरव की उपाधि प्राप्त है, लेकिन सामान्य श्रद्धालुओं के लिए ये शिवलिंग के रूप में मात्र पूज्य हैं, जबकि तंत्र साधक जो गुप्त रूप से मंदिर में सामान्य वेशभूषा में आकर पूजा करते हैं , इन शिवलिंगों की पूजा विभिन्न भैरवों के रूप में करते हैं।

इस मंदिर की स्थापना से सम्बंधित कई कहानियां प्रचलित हैं। कहते हैं कि राजा पृथ्वी चन्द्र शाही ने जब मोहनपुर से राजापाड़ा में राजवाड़ी एवम अपनी प्रजा सहित राजकर्मचारियों के लिए एक छोटे कस्बे का निर्माण कराया तो , आम जनजीवन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया , तालाब, सड़क, नालियाँ यहाँ तक कि श्मशान तथा कब्रिस्तानों तक की व्यवस्था का प्रावधान रखा। इसी क्रम में एक रात राजा शाही को माँ नित्यकाली ने स्वप्नादेश दिया कि राजवाड़ी के बगल में एक निश्चित स्थान पर खुदाई करवाओ , वहीं एक बड़ा काला सा शिलाखंड निकलेगा , उसे बनारस के एक नियत मूर्तिकार से मूर्ति का निर्माण करा कर मेरा पँचमुंडासन पर स्थापना कर मंदिर बनवाओ।

उधर बनारस में भी उस नियत मूर्तिकार को भी पाकुड़ आकर मूर्ति बनाने का आदेश स्वप्न में माँ ने दे रखा था। सुबह जब तक राजा राजपुरोहित से इस स्वप्नादेश की चर्चा करते , बनारस के वो मूर्तिकार राज प्रासाद में पहुँच चुका था। स्वयं तंत्र के अच्छे जानकार रहे राजा शाही  ने पूरी व्यवस्था के साथ वर्तमान में स्थित कालिसागर तालाब के पास खुदाई करवाई, स्वप्नादेशानुसार काला शिलाखंड मिला और मंदिर का निर्माण भी हुआ। ऐसी ऐतिहासिक कहानियों को समेटे यह मंदिर आज भी पाकुड़ के समृद्ध इतिहास की कई कहानियां कहता और गढ़ता खड़ा है।

आस्था के इस ऐतिहासिक प्रतीक से जुड़ी अनेक कहानियां कहता मन्दिरों के शहर पाकुड़ में अन्य पंथ के भी कई गवाह उपस्थित हैं, क़स्बे से नगर बने इस शहर को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाता है। हम समय समय पर इन ऐतिहासिक गलियारों से अपने पाठकों को रु-ब-रु कराते रहेंगे।

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर सभी पत्रकारों को बधाई और आज ही लिखी मेरी दो कविताएं

हिन्दी पत्रकारिता दिवस की सभी पत्रकार मित्रों को बधाई।
हिन्दी पत्रकारिता की श्याही ने कई इबारतें लिखी है, इसकी श्याही कभी न सूखे इसका हम सभी मित्र संकल्प लें।
जय पत्रकारिता
हिन्दी पत्रकारिता जिन्दावाद

गमला और खुला आँगन

मैं और तुम,
एक ही आँगन में,
उपजे दो पौधे,
बिलकुल अगल बगल,
समय के साथ बढ़े,
आँधियों में भी ,
झोकों ने हमेशा,
हमें गले मिलाकर,
सहारा बनाया एक दूसरे का,
मैं खुले आँगन में झेलता रहा,
कड़ी धूप-बारिश और हवा के तेज थपेड़े,
समय ने उस आँगन से,
तुम्हें उठाकर सजी – सुंदर,
कंक्रीट की बालकोनी के गमले में सजा दिया,
छोटे से गमले में,
रसायनिक खादों में ख़ूब फले तुम,
छाँव तो नही दे पाए,
पर फलों से ख़ूब नवाज़े तुमने,
मेरी आँगन में मैंनें फल तो कम दिए,
या यूँ कहो दिए ही नही,
लेकिन आँगन के खुले आसमान,
तथा उसकी अंतहीन गहराई लिए जमीन में,
मेरी जड़ें गहरे उतरी,
टहनियों ने खुलकर हाथ फैलाये,
बालकोनी से फल तोड़ लोग,
मेरी फैली शाखों की छाँव में,
सकून से फल खाएं सबने,
बस फल तोड़ने में लोग ,
तुम्हारे गमले में जड़ें हिला आये,
और मेरी छाँव में सकूँ से बैठे,
गद्दारों ने खोद दिए जड़ मेरे।
हम दोनों के जगह बदले,
वातावरण बदला,
तुम्हारे चारो तरफ़ चमक-धमक
मेरे पास वही पुरानी और
पुरानी कहानी,
न अब तुम,
न मैं अब
कुछ भी समझ सकते
एक दूसरे को,
ऐसे भी तुम्हें गैरों से कब फ़ुर्सत
मैं अपने गम से कब ख़ाली ?

तेरी महक़ में अब क्यूँ बू निकले !

तेरे आने की,
किसी भी रूप में,
जब ख़बर निकले ,
न तेरी महक़,
और न ही तुम निकले ,
हर बार तेरे चारों ओर ,
वही सड़ांध की बू निकले ,
हाय तेरी महक़ को,
तरस गया मैं ,
मगर क्या करूँ ?
न तुम निकले ,
न तेरी महक़ निकले ,
नहीं नहीं अब मुझे तेरी ,
ज़ुस्तज़ु भी नही ,
मैंनें क्या समझ रखा था ,
और तुम क्या निकले !
छोड़ो शिकायतें नहीं तुमसे,
तुम जो भी निकले ,
बहुत ख़ूब निकले ,
एक हम थे कि ,
बड़े नादां निकले ,
तेरे वादे पे जिये हम ,
क्या कहें कि हम क्या क्या निकले।

Puja Singhal, ED जाँच में जेल में कीड़ों-मच्छरों से कटवा रही है, इधर कारवाई के नाम पर तोड़े जा रहे सिर्फ़ कन्वेनर। अवैध खनन को क्यूँ छुपाया जा रहा ?

प्रशासनिक करवाई कर रहा कंफ्यूज्ड , खदानों को क्यूँ नहीं हो रही नापी ?

क सुधि भारतीय नागरिक होने के नाते प्रशासनिक सक्रियता की दिशा से मैं हतप्रभ तथा कंफ्यूज्ड हूँ। ED ने झारखंड में छापा क्यूँ मारा है ? क्या क्रशर अवैध चल रहे हैं , या खनन अवैध हो रहा है, इसलिए ? ED ने छापा मनरेगा घोटाले पर मारा। बिच्छू के बिल से साँप निकल आया। ED ने साँप पर तहकीकात शुरु की। पन्नें खुलते गए, कारवां बढ़ता गया।
चलिए प्रशासन की ED के ख़ौफ़ से हो रही कन्फ्यूज करने वाली कार्रवाइयों को समझते हैं—

क्रशरों को क्यूँ तोड़ा जा रहा है ?

क्रशर पूरे संथालपरगना के हर जिले में तोड़ा जा रहा है। सबसे पहले ये समझें कि अगर क्रशर बिना किसी आदेश के सरकारी जमीन पर है। तो अंचलाधिकारी उसे भेकेट कराने की करवाई नियमानुसार कर सकते हैं। अगर क्रशर रैयती जमीन पर है, तो उसे किस नियम के अनुसार तोड़ा जा रहा है ? तथा उसे तोड़ने पर अवैध खनन कैसे बंद हो सकता है ? कोई कागज़ी कमी नियमानुसार है तो सम्बंधित विभाग करवाई करेगा, तोड़ने के अलावा। क्या क्रशर में पत्थर आसमान से बरसता है ? नहीं ।

अब तक खदानों पर क्या हुआ ?

उन क्रशरों को पत्थर कहाँ से प्राप्त होता है ? खदानों से ही न ? तो अवैध खनन अगर हुआ तो कहाँ हुआ ?
स्वाभाविक रूप से खदानों से। अब तक कितने खदानों की नापी कर घनफुट के हिसाब से मूल्यांकन कर रॉयलटी पर डिमांड के लिए FIR हुआ। एक भी FIR में इस बात का उल्लेख है ? एक सुधि और सजग नागरिक होने के नाते कहूँगा अभी भी समय है। प्रशासन सप्लीमेंट्री FIR दर्ज कर।

अनुज्ञप्ति के अनुसार हो नापी

नन लेसी की अनुज्ञप्ति के अनुसार नापी कर खनन किये गए पत्थर की मात्रा निकाली जाय। फिर उसका मिलान उसके रिटर्न से मिलान कर करवाई हो तो सरकार को राजस्व की हुई हानि की रिकभरी हो। लेकिन सिर्फ क्रशरों को तोड़ आईवॉस हो रहा है।

लीज एरिया से बाहर हुआ है खनन

पाकुड़ के छः प्रखण्डों के सैकड़ों खनन एरिया में लीज एरिया से बाहर खनन किया गया है। ये लोग पहुँच वाले हैं। लीज दस एकड़ में है, तो खनन तीस एकड़ में है। सभी सम्बंधित पदाधिकारी इससे वाक़िब हैं, पर हजूर के पेट में विद्या के अलावे सबकुछ है। नतीज़न लक्ष्मीपुत्रों से सरस्वतीपुत्र मजबूरन हार जाते हैं। मेरे जैसे बीचवाले ताली बजानेवाले पत्रकार और गाल बजानेवाले छुटभैये नेता अपनी ज़मीर बेच लेते हैं। वो भी कौड़ी के भाव।

खैर ये लोग 14/4 , 16/4 के कन्वेनर तोड़ कर करवाई का झांसा दे रहे हैं। कोई बोल्डर क्रशर ध्वस्त होते किसी ने देखा ? अरे अब तो लोग पैसे ख़र्चा कर अपना बेकार पड़ा क्रशर भी तोड़वाने की फ़िराक़ में हैं। बकाए के कारण रैयत और मजदूर उन्हें बंद बेकार पड़े क्रशर उठाने नहीं देते। वे लोग उसे प्रशासन के पेलोडर से तुड़वा और फर्जी जप्ती दिखाकर स्क्रेप में बेचने की जुगत लगा रहे हैं।

ग़ज़ब का तमाशा चल रहा है भाई ! अभी बहुत कुछ खुलेगा मेरे पेज़ पर। मैं भी कार्रवाइयों नियमों की खनन में लगा हूँ। बेचारी Puja जेल में कीड़ों-मच्छरों से कटवा रही, और इधर अवैध खनन के कार्रवाइयों में ही कीड़े लग गए हैं।

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कार्रवाइयों में हो रही कानूनी कोताही, अरे ED घर बसाने नहीं आई, वापस लौट ही जाएगी  |  अपनी आगे की सम्भावनायें बनाये रखनी है

संथालपरगना के सभी जिले में अवैध खनन के विरुद्ध प्रशासन रेस है। स्वयं जिले के सिविल मुखिया पुलिस कप्तान को लेकर रद्दीपुर जैसे सुदूर इलाके जा रहे हैं। जबकि चुनाव भी सर पर था। अद्भुत सक्रियता, अकल्पनीय तथा अद्वितीय सक्रियता से आम जनता हतप्रभ हैं। सच कहें तो हम पत्रकार भी अचंभित हैं। पहले जब हम अवैध खनन पर कुछ प्रशासन से पूछते थे। तो रटा रटाया जवाब मिलता था। ऐसा नहीं होता, या जाँच कराएँगे कह कर टाल दिया जाता था।

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अब क्या हो गया ?

ब तो स्वयं जिले के मुखिया केमरे पर अवैध को स्वीकार कर रहे हैं। ख़ुद अवैध खनन को स्वीकार कर करवाई की सूचना दे रहे हैं। उन सूचनाओं को सूचना विभाग डिजिटली प्रसारित कर रहे हैं। कुछ लोग जो हमें मतलब पत्रकारों को अवैध की खबरों पर हँसते थे,चिढ़ाते थे। अब आँख चुराने लगे हैं।

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यूँ सूचना प्रसारित कर रहे सूचना विभाग, नीचे पढ़िये–

जिला खनन टास्क फोर्स जिले में अवैध माइनिंग, अवैध परिवहन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। उपायुक्त पाकुड़ के निर्देशानुसार आज मालपहाड़ी थाना के सुंदरापहाड़ी मौजा में चार अवैध रूप से संचालित क्रेशर को सील करते हुए उसके संचालकों-
(1) अब्दुल शेख (2) सलाउद्दीन शेख (3) अक्कीबुल शेख (4) शमसुद्दीन शेख
पर बिना लाइसेंस के क्रेशर चलाने के कारण मालपहाड़ी ओपी में प्राथमिकी दर्ज कराया गया है।

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साथ ही साथ ओजारुल शेख और अल्लीउल शेख के क्रेशर का सीटीओ फेल होने के बाद भी संचालित रहने के कारण टास्क फोर्स द्वारा उसे सील किया गया और इसकी सूचना प्रदूषण विभाग झारखंड सरकार को दिया जा रहा है।

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मौके पर जिला खनन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी पाकुड़ सदर, खान निरीक्षक, माल पहाड़ी ओ0पी0 के प्रभारी अंचल निरीक्षक, अंचल अमीन सहित अन्य उपस्थित थे।

अब भी कहा जा रहा, कुछ नहीं होगा

हँलांकि कहने और देखने में कार्रवाई हो रही है। लेकिन अगर कानूनी तकनीकी ढंग से देखा जाय तो इसमें कई खामियाँ हैं। हाँलाकि अख़बार और मीडिया क्रशरों के ध्वस्त करने की ख़बर छाप-चला रहे हैं। लेकिन मैंनें किसी भी क्रशर को ध्वस्त होने का वीडियो नहीं देखा। ध्वस्त करने के नाम पर सिर्फ पेलोडर-बुलडोजर से क्रशर के फीतों तथा उसके स्टैंड के एंगीलों को गिराया जा रहा है। और वहाँ खड़े होकर फोटो तथा वीडियो खिंचाया जा रहा है। ये फीते और स्टेंड मामूली खर्चे पर फिर खड़े हो जाएंगे। तथा खिंचाए गए फ़ोटो वीडियो से ये सावित किया जाएगा कि मैंनें आपके क्रशर को बचा लिया। फिर इस पर सुविधाशुल्क वसूले जाएँगे।

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करवाई की बनाई जा रही सिर्फ रेकॉर्ड

ये करवाई की कयावद सिर्फ एक रिपोर्ट भर बना कर भेजना है। लोगों को करवाई की झलक भर दिखानी है। जाँच एजेंसियों को भरमाना है। को ED यहाँ घर बसाने आई है, चले जायेंगे वापस। करवाई करनी है, यो क्रशरों के फाउंडेशन को ध्वस्त कर दिखाए प्रशासन। नही ऐसा नहीं किया जाएगा। Puja गईं जेल ,जाएं। नपेंगे बड़े अफ़सर नप जाएं। राजनीति विखरेंगी बिखर जाएं। हमें तो आगे भी चुना और राजस्व की चपत लगाने की संभावना बनाए रखनी है। अच्छा कोई भी जानकर बता देगा ये गैर तकनीकी करवाई और FIR पर खड़ी केश कोर्ट में कैसे भरभरा कर गिर जाएगी। खैर कोई बात दे इससे पहले सैकड़ों क्रशर सील हुए, क्या हुआ उनका। दर्जनों FIR हुए , कहाँ खड़ी है वो !

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ति का अंत स्वाभाविक है। भत भरमाओ भई जनता , अधिकारी और एजेंसियों को। सँभल जाओ। या फिर पूछ आओ Puja से जेल की बनींदी रातें और बेदर्द कीड़ों मकोड़ों की कहानियों को।

पत्थर खदानों ने सिर्फ़ Puja को पूजा नहीं, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को लीला भी हैं

puja को पूजने में सुरक्षा नियमों की हुई खुल कर अनदेखी  |  अभी भी खुली आँखों से पदाधिकारियों को नहीं दिखतीं सुरक्षा में कमी

पत्थर खदानों के जितनी संख्या में Puja पूजी गईं हैं। उससे कहीं अधिक ज़िंदगियाँ लील चुकी है,पाकुड़ के पत्थर खदान ! आश्चर्य है कि कोई इस ओर ध्यान तक नहीं देता। सरकारी अमलें ED के ख़ौफ़ से रेस तो हुईं हैं।लेकिन सुरक्षा नियमों पर आँखें अभी भी बंद है। ऐसा नहीं है कि पहले अधिकारी दौरा नहीं करते थे। पर ये दौरायें किनसे कितना वसूलना है तक के उद्देश्य तक सीमित थीं। लेकिन अब भी सिर्फ़ अवैध को बंद करने की कयावद में दौरा हो रहे हैं। भैया इसी दौरे में वैध में अगर नज़र दौड़ा लेते तो दौरा सार्थक होता।लेकिन नहीं अभी तो सिर्फ आईवॉस करना है, तथा ख़ुद को बचाना है।

नहीं होती सुरक्षा नियमों पर अमल

सुरसा की तरह मुँह बाए धरती के सीने पर ये खाइयों जैसे सैकड़ों फूट गहरे खदान आपको कहीं भी दिख जाएंगे। ये एशिया प्रसिद्ध काले पत्थरों को उगलने वाले खदान हैं। यही खदान अभी puja मामले में चर्चा में है। इन खदानों ने कितने व्यवसायियों और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने वालों सरकारी और गैर सरकारी अमलों को कड़ोरों रुपये उगल कर दिए हैं । कितने दिए हैं, इसकी कल्पना करना अबअसम्भव नहीं है। अगर आप इन खदानों के मालिकों और इनसे जुड़े आज तक पदस्थापित सरकारी अमलों की सम्पत्तियों की बृहत उच्च स्तरीय जाँच या अवलोकन करें , तो देश विदेश में इसके तार जुड़े मिलेंगे। जो ED जाँच से दिख रहा है। सैकड़ों उदाहरण है। पर ये खदान कितनी ज़िंदगियाँ लील चुकी हैं। अब तक ये अंदाज़ा लगाना तक मुश्किल है। पालतू पशुओं की तो छोड़ दें ।इंसानों को भी निगलने में इन पाताल छूती गड्ढों को कोई परहेज़ नही है। दुखद और चिंता की बात ये है, कि इसी तरह के एक खदान ने एक मालिक तक को ही लीलने से नही छोड़ा। कुछ दिनों पहले प्रदीप भगत नाम के एक पत्थर व्यवसायी अपने ही खदान में मोटरसाइकिल से फिसल कर गिर गये, और दुखद अंत को प्राप्त हो गये। कितने ही लोग असुरक्षित और खनन नियमों को अँगूठा दिखनेवाले खदानों में अपनी जान गवाँ चुके हैं, लेकिन हर जान की एक क़ीमत लग जाता है यहाँ।

खदानों को देखिए न, माइंस और मिनरल एक्ट तथा खान सुरक्षा के तमाम नियमों को ताख़ पर रख कर खुले खदानों की खुदाई से कितने लोगों को ख़ुदा की ख़ुदाई बचा सकती है। एक ग़लती हुई नही कि ख़ुदा के प्यारे होने से कोई नही बचा सकता। नियमों के अनुसार मोटे तौर पर हर पाँच फुट की खुदाई पर पाँच फीट चौड़ा एक बैंच होना है। और ऐसे ही बैंचों की क्रमबद्धता के साथ सीढ़ी नुमा खनन का नियम है। खदान के किनारे बृक्षारोपण और सुरक्षित घेराबंदी आवश्यक है। सड़क से नियत दूरी पर ही खनन करने का नियम है।
लेकिन यहाँ आइए, देखिए कहीं बेंच नहीं दिखेगा। वो बिलकुल मुख्य सड़क के किनारे है।

पाकुड़ प्रशासन ने DC-SP के नेतृत्व में की सख़्त कारवाई, माफियाओं में ख़ौफ़

जिला प्रशासन लगातार अवैध कार्यो पर अंकुश लगाने के लिए अलर्ट मुड में है, वही महेशपुर प्रखंड के रद्दीपुर ओपी थाना क्षेत्र अंतर्गत सुंदरपहाड़ी क्रशर क्षेत्र में गुरूवार को जिला खनन टास्क फोर्स ने छापेमारी अभियान चलाई।

अभियान पाकुड़ उपायुक्त वरूण रंजन, एसपी ह्रदीप पी0 जनार्दनन के उपस्थिति में चलाई गई। वही सुंदरपहाड़ी क्षेत्र में इससे पूर्व माफियाओं के खिलाफ एसी कार्रवाई नहीं की गई है। इस छापेमारी से क्रशर मालिकों में भय का माहौल है। सुंदरपहाड़ी क्रशर क्षेत्र पश्चिम बंगाल सीमा से सटी हुई है।

जिससे क्रशर मालिक मुनाफा के लिए झारखंड के राजस्व को पड़ोसी राज्य भेज देते है। जिससे राज्य के राजस्व को ओनेपोने कीमत पर बेचने से सरकार को हानी होती है।

जिला प्रशासन कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल को जाने वाली कई रास्ते को अवरुद्ध कर दिया है। साथ ही वाहनों की गहनता से जांच करने के लिए चेक पोस्ट भी लगाई गई है। वही जिला खनन टास्क फोर्स ने छापेमारी के दौरान अवैध खादान व अवैध तरीके से चल रहे क्रशर प्लांट तक छापेमारी की गई। इस संबंध में *उपायुक्त वरूण रंजन* ने कहा कि जिला प्रशासन अवैध माइंनिग व अवैध परिवहन को रोकने के लिए हर कदम उठा रही है। बताया कि छापेमारी के दौरान *तीन जगहों को चिन्हित किया गया है।* जो अवैध तरीके से चलाए जा रहे थे। साथ ही कई एसी भी माइंस है। जिसका संबंधित पेपर कई महीने पूर्व ही वेलिड खत्म हो चुकी है। एसी भी जगहों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

उन्होनें कहा कि जितने भी पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली सड़के है। वहां चेक पोस्ट लगाने के लिए चिन्हित की गई है। साथ ही चेक पोस्ट पर मजिस्ट्रेट की भी नियुक्ति की गई है मजिस्ट्रेट वाहन व माल ढुलाई चालान व संबंधित कागजात की जांच करेंगे। साथ ही अवैध कार्य को लेकर निगरानी रखेंगे। कहा कि इसको लेकर जिला प्रशासन टॉल फ्री नंबर 1950, 06435 – 222064, 9262216191 जारी की है. जिस पर किसी तरह का सुचना दे सकते है। कहा कि जिला खनन टास्क फोर्स अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण पर तुरंत कार्रवाई करेगी।

मौके पर एसडीओ हरिवंश पंडित, डीएमओ प्रदीप साह, महेशपुर एसडीपीओ नवनीत एंथोनी हेंब्रम, जिला सूचना पदाधिकारी डॉ. चंदन, सीओ रितेश जयसवाल, खान निरीक्षक पींटू कुमार महेशपुर थाना प्रभारी सुनिल कुमार रवि, रद्दीपुर ओपी थाना प्रभारी दिलीप कुमार मल्लीक सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

सुंदरपहाड़ी में तीन क्रशर सील

जिला खनन खनन टास्क फोर्स के द्वारा अवैध माइनिंग एवं अवैध क्रशर के खिलाफ शक्त कार्रवाई की गई। सुंदरपहाड़ी में संचालित अली मोहम्मद का लीज का अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध तरीके से खनन जारी रखा जाता था। जिसको लेकर एआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। वही किरण सेख का क्रशर सील करते हुए ध्वस्त किया गया। वही मकरुद्विन सेख के माइंस पर एआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। वही अर्जुनदहा मौजा में एक क्रशर को सील किया गया। साथ ही एआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। वही खारुटोला मौजा में भी एक क्रशर को सील की गई। वही बाघमुड़ा मौजा के सुरेश राय जिस पर पूर्व में भी अवैध तरीके से खनन करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। बावजूद फिर से खनन करने के आरोप में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया। वही अवैध कार्य पर अंकुश लगाने के लिए कदमडंगाल के पास चेक पोस्ट लगाने का निर्देश दी गई।

इसमें तो शायद केंद्र सरकार को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए, क्यूँ हेमन्त साहब ? यहाँ तो आपकी एजेंसी ACB है, केंद्रीय ED नहीं !

भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो, एसीबी ने बड़ी कार्रवाई की है। गुरूवार को मनोहरपुर प्रखंड में वन क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया ।इतना ही नहीं, सरकारी आवास की तलाशी ली गई। तो घर से 99 लाख 2 हजार 540 रुपए नकद बरामद हुए. रेंजर मनोहरपुर के कोयना प्रक्षेत्र, पोड़ाहाट, आनंदपुर एवं सोंगरा चक्रधरपुर के प्रभार में था. रेंजर के साथ साथ उसके कंप्यूटर ऑपरेटर मनीष पोद्दार को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। हुई थी शिक़ायत…

एसीबी में मनोहरपुर के गणेश प्रमाणिक ने शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया था कि पुराने पलंग को जमशेदपुर ले जाने के एवज में रेंजर ढाई हजार रुपए घूस रहे हैं। शिकायत की जांच एसीबी ने की। तो मामला सही पाया गया।इसके बाद एसीबी के डीएसपी एस तिर्की के नेतृत्व में कार्रवाई हुई। जिसमें रेंजर और कंप्यूटर ऑपरेटर को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। एसीबी दोनों को गिरफ्तार कर जामशेदपुर ले गई है. वहां उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जाएगा।

ACB की कार्यवाही में हुए हैं अब तक दर्जनों रंगेहाथ गिरफ्तार। पर कार्रवाइयाँ रहीं हैं बेनतीजा।

हजूर आते आते बड़ी देर कर दी ! उपायुक्त ने दिए कड़े निर्देश, अवैध बर्दाश्त नही, करें सख़्त करवाई

गत बुधवार देरशाम को उपायुक्त ने V C के माध्यम से जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक की   |   अवैध माइनिंग रोकने हेतु दिया गया कई जरूरी दिशा - निर्देश

उपायुक्त श्री वरुण रंजन ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अवैध खनन, अवैध पत्थर, बालू उठाव अवैधकोयला सहित अन्य वन उत्पादों के अवैध व्यापार पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जिला खननअधिकारी को निर्देश दिया कि अति शीघ्र जिले में संचालित अवैध पत्थर खनन को रुकने के लिए ठोस रणनीति बनाकर कार्य करें।

उपायुक्त ने सभी अंचल अधिकारी को निर्देश दिया कि अपने-अपने क्षेत्रों में जो भी खान – खदान संचालित है उनका फिजिकल वेरिफिकेशन करते हुए अधतन प्रतिवेदन दे। साथ ही यदि किसी माइंस का लाइसेंस नहीं है, लीज नहीं है या निर्धारित क्षेत्र से अधिक में माइनिंग गतिविधि कर रहा है तो वैसे माफियाओ के खिलाफ तुरंत FIRदर्ज कराने का निर्देश दिया गया।

परिवहन पदाधिकारी, अंचल अधिकारी तथा थाना प्रभारी को निर्देश दिया कि अवैध परिवहन करने वाले, चालान नहीं रखने वाले, और निर्धारित मात्रा से अधिक का परिवहन करने वाले गाड़ी मालिकों के साथ – साथ उसके ड्राइवर पर भी तुरंत F I R दर्ज कर गिरफ्तार करवाऐ। जहां भी माफिया सक्रिय पाए जाते हैं, उन्हें अन दा स्पॉट सामग्री को जब तक करते हुए उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करें।

उपायुक्त ने कहा कि अवैध खनन के खिलाफ किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अवैध रुप से बालू की धुलाई कर रहे ,बिना लाइसेंस, नंबर प्लेट वाहन को तुरंत F I R दर्ज कर कार्रवाई करें।

उपायुक्त ने कहा कि अवैध परिवहन को रोकने के लिए रात्रि में बॉडर एरिया में विशेष रूप से गस्ति एवं सतर्कता बरतने की जरूरत है, इसके लिए कई चेक नाका भी बनाया जा रहा है।

सभी अंचल अधिकारी अपने क्षेत्र में संचालित खदानों का औचक निरिक्षण करें एवं समुचित कानूनी कार्रवाई करें। अवैध क्रेशर को हर हाल में सीज कर F I R दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया ।

बैठक के दौरान उपायुक्त ने जिला खनन पदाधिकारी ,सभी अंचल अधिकारी, सभी थाना प्रभारी को अवैध खनन ,तस्करी आदि रोकने के लिए टीम भावना के साथ कार्य करने का निर्देस दिया। सभी आपसी समन्वय स्थापित कर अवैध खनन, अवैध ढुलाई के विरूद्ध सुसंगत धाराओ के साथ कानूनी कार्रवाई करें।

वर्चुअल बैठक में पुलिस अधीक्षक श्री एच पी जनार्दनन, जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, मुख्यालय डीएसपी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी,सभी अंचलाधिकारी सभी थाना प्रभारी आदि जुड़े हुए थे।

Puja सिंघल एंड ग्रुप ने कर दिया गुड़ गोबर, वरना हिम्मत को भी हिम्मत नहीं थी अवैध खनन रोकने की हिम्मत

रघुवर चचा चुनाव हार गए, अब हेमन्त की हिम्मत की छाँव में अवैध खनन   |   सब कुछ चल रहा था अच्छा, Puja ने खुलवा दी कलई

पाकुड़ में अगर हिम्मतवालों का हिम्मत देखना है। तो यहाँ के पत्थर उद्योग की अवैध खननों की अंधेर गलियों में आपका स्वागत है। पूरे जिले में यूँ अंधेर है। कि हिम्मत को भी हिम्मत नही होती कि इन अवैध खननों पर रोक लगाने की हिम्मत कर ले। कभी – कभी प्रशासन इस पर छापेमारी करता भी है। तो थाने के कागजों को सुहाग की एक बिंदी की तरह बस एक एफआईआर भर दर्ज होती है। और फिर होता कुछ नही। बस बीच वाले ताली बजा कर एक दो दिन अधिकारियों की जय गान कर लेते हैं । और समाचार माध्यमों में अचानक चुप्पियों का डेरा बन जाता है।

मड़वाड़ की मजबूत दीवाल की तरह एक भैया कानून को मुस-ताक़ पर रख कर आराम से बसमता में सरकारी ख़ास जमीन पर भी जमकर खुदाई करते हैं। ‘हेभी’ , हाँ मजबूत बड़ी गहरी और दूर तक जमीन को थरथरा देने वाले विष्फोट को तो यहाँ की पथरीली भाषा मे ‘हेभी’ ही कहते हैं। जो विष्फोट जमीन थर्रा दे । उन्हें अपनी चाँदी के जूतों पर भी तो उतना ही विश्वास होता है।

इधर भगवान का डर नही, उधर ख़ुदाई का ख़ौफ़ नही। और शासन – प्रशासन ? कोई बात नहीं चाचा गए तो अब हिम्मतवाले तो हैं ही, सब सँभल जाएगा। माँ दुर्गा के नाम पर खनन करने वालों की छांव में मित्र जी अपनी मित्रता छोटे बच्चों से भी निभाते हैं। अपने खदान दाग संख्या 388, 389 में ब्लाष्टिंग कर महज़ सौ मीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी के नन्हों को बिना झूला के ही जमीन को झूला कर झूले का आनन्द देते हैं।

प्रभु नारायण के दास के बगल में भी समय सीमा खत्म होने के बाद भी मित्र भाई अपनी मित्रता खदान से निभा रहे हैं। मौजा बहिरग्राम – रामनगर में प्लॉट नम्बर 1033 पारष जी के जमीन पर बिना लीज के रो कर हित करने वाले अपने भाई मोह कर हित करनेवाले के साथ एक तथाकथित पत्रकार असत्य का दामन थाम ख़ूब खुदाई में व्यस्त थे। भाई कहते थे।और बड़े गरूर से कहते थे, कि सभी पत्रकार तो हमारे अंदर काम करते हैं। ऐसे में हंस हंस कर आनन्द उठाने वाले भी जमकर कागज़ पर बंद खदानों पर मस्ती में खुदाई का तांडव कर रहे है। ये सिर्फ़ एक जगह की बात नही है। पाकुड़िया के ख़क्सा में बोरिंग वाली गाड़ी लगा कर डीप ब्लाष्टिंग होता और किया जाता था। बगल में आसपास ही बनविभाग के बोर्ड लगे हैं, सम्भव है, वन की जमीन पर ही अवैध खुदाई हो रही हो।

हंलांकि puja कृपा से वहाँ वन विभाग ने रास्ता ही खोद दिया है। प्रशासन के नाक के नीचे कैसे होती है ये अवैध खनन का कारोबार, क्या ये आश्चर्यजनक नहीं ? प्रशासन की करवाई स्वयं इस बात का सबूत है, कि बड़ी बड़ी मशीनों से इस अवैध खनन को दिया जाता है अंजाम। पुलिस लाइन के बिलकुल छलांग भर की दूरी पर गोकुलपुर में कोई भी झाँक आए। अवैध चलान, क्लोन चलान और सरकारी राजस्व को चपत लगाने वाले कई कहानी है।

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता है। भाई इस पत्थर के कारोबार में। खैर नीचे इसके सबूत और उठे सवालों को भी पढ़ लें।

प्रशासन की करवाई बना सबूत

पाकुड़ के मलपहाड़ी थाना क्षेत्र के पिपलजोड़ी मौजा में पिछले 15 मार्च 2021को एक छापेमारी में अवैध पत्थर खदान और कई ट्रक तथा एक पोकलेन भी बरामद किया गया। हँलांकि इतने सामानों और गाड़ी पोकलेन सहित सबकुछ पकड़े जाने के बाद भी एक भी गिरफ्तारी न हो पाना सहज स्वीकार्य नही दिखता है। दर्ज शिकायत में खनन कार्य के चालू रहने की बात कही गई है।और सभी खनन कार्यरत कर्मियों के भाग जाने की चर्चा भी है।

अतकनिकी ढंग से हुई छापेमारी

इस छापेमारी टीम में एक जिला स्तर के पदाधिकारी, एक अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी एवं पुलिस बल सामिल थे। खैर ये अवैध खदान 2019 तक समय सीमा खत्म होने तक वैध था। जब तक लीज था, तब तक तो ठीक था। लेकिन अगर लीज की समय सीमा खत्म हो गई थी। तो उस सुरसा की मुँह की तरह खुद चुके खदान को लिजधारी ने भरकर सामान्य समतलीकरण कर उपजाऊ जमीन बना कर उस जमीन के खतयानी रैयत या जमीन सरकारी है, तो सरकार को वापस क्यूँ नही किया ? ये सवाल पूछे भी तो कौन। हर और चाँदी के जूते लहरा दिए जाती है।और स्वार्थजनित ख़ामोशी कायम हो जाती है।

नियमों की उड़ती धज्जियाँ

खनन नियमों एवं लीज के निबंधन के कागज़ात में उल्लिखित शर्तों के अनुसार किसी भी उत्खनन क्षेत्र में उत्खनन समाप्त होने के बाद उस उत्खनित जमीन का समतलीकरण कर उसे पूर्ववत स्थिति में लाकर उसे उस जमीन के मालिक को वापस करना है। चाहे वह जमीन सरकारी, वनविभाग या रैयत का ही क्यूँ न हो। सवाल ये है, कि अगर उस जमीन पर उत्खनन की समय सीमा खत्म हो गई, तो उस जमीन को पूर्ववत स्थिति में लाने के कार्य का अवलोकन करना क्या खनन विभाग की जिम्मेदारी नही ?

सरकार ने माइंस एन्ड मिनरल एक्ट की किताब में विस्तार से सभी बातों पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न धाराओं उपधाराओं में समय अंतराल तय करते हुए माइनिंग इंस्पेक्टर, और जिला खनन पदाधिकारी के प्रति खदान में जाकर भौतिक सत्यापन करने और उसपर रिपोर्ट बनाकर चालान निर्गत करने सहित अन्य निर्णय लेने तथा राजस्व उगाही की तमाम बातें कही है। नियमों के अनुसार अधिकारियों का नियत समय पर क्षेत्र भ्रमन का प्रावधान इसलिए किया गया है। कि लिजधारी तमाम नियमों का पालन करें ,और अगर कहीं नियमों का उल्लंघन होता है । तो उसपर अधिकारी रोक और अंकुश लगाकर उसे सुधार सके।

लेकिन यहाँ ऐसा होता नही है। सैकड़ों खदान यहाँ ऐसे हैं, जहाँ लीज का समयसीमा खत्म होने के बाद भी खनन हो रहा है।

दर्जनों जगह ऐसा है। जहाँ खनन के लिए मिले लीज के एरिया से बाहर निकल कर खनन किया जा रहा है। बहुत सारे जगहों पर ग्रामीण सड़कों ने कई बार अपनी जगह और दिशाएं बदलीं है। कारण कि ग्रमीण सड़कों के किनारे स्थित खदानों के खननकर्ताओं ने पत्थर निकालने में कब सड़कें खा ली। और सड़कों ने बेख़ौफ़ खननकर्ताओं के भय से कब अपनी जगह तथा दिशाएं बदल लीं पता ही नही चला। जंगलों और सड़कों के किनारे नियमों को मुँह चिढ़ाती खदानें पाकुड़ और साहेबगंज जिले सहित पूरे संथालपरगना में आपको बरबस ही कहीं भी दिख जाएंगे। लेकिन इनपर कोई अंकुश या करवाई नहीं होतीं। जब कोई वरीय प्रशासनिक और पुलिस पदाधिकारी कड़े तेवर में अपनी नजरें तीखी करते हैं, तो एक आध ऐसी करवाई कर अपने वरीय पदाधिकारी को संतुष्ट करने का प्रयास होता है।

सवाल उठता है ,पदाधिकारियों को अपने विभागीय जिम्मेदारी निभाना पड़ता है।

तो फिर कैसे 2019 में समय सीमा खत्म हुए खदान में इतने ऑपरेटिंग बड़े बड़े उपकरणों के साथ उत्खनन हो रहा था? क्या यही एक ऐसा उदाहरण है ? क्या ऐसे समयसीमा खत्म हुए अन्य खदानों में सबकुछ सामान्य है? क्या उन खदानों के उत्खनित क्षेत्र को भर कर समतलीकरण कर दिया गया है? अगर उन्हें उत्खनन के बाद नही समतल किया गया तो ,उसमें जमा पानी मे मछली पालन की व्यवस्था कर उस जमीन के रैयत के उपार्जन का माध्यम तैयार कर दिया गया है?

इन सवालों को तो हल करना ही होगा। और हाँ अगली बार से छापेमारी भी ट्रेन्ड और प्रोफेशनली करने की आवश्यकता है , ताकि दोषियों में से कुछ एक की भी गिरफ्तारी दिखाई जा सके।

11 अक्टूबर 2021 को

ED तथा CBI सिर्फ़ नहीं, अवैध खनन में अवैध विस्फोटों के लिए NIA की भी है पूजा मामले में ज़रुरत

Puja प्रकरण ने अवैध खनन को सत्यापित कर दिया। अब कानून अपना काम करेगा। इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बाबत ED ने CBI से जाँच की बात भी की है। लेकिन इतना काफ़ी नहीं होगा। इसमें कालांतर में NIA की भी आवश्यकता पड़ेगी। इतने बड़े स्तर पर होनेवाले अवैध खनन में विस्फोटों की भी तो खपत होती है। कहाँ से आता है ये अवैध विस्फोटक सामग्री ? इस सवाल का जवाब NIA ही ढूंढ सकती है।

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पुलिस फाइलों में दर्ज हैं मामले

सिर्फ़ संथाल परगना के थानों की फाइलों को खंगाला जाय तो एक दशक में सैकड़ों मामले इसकी गवाही देंगे। हर रोज़ हजारों किलो बिभिन्न तरह के विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल अवैध-वैध खदानों में होता है। जो वैध विस्फोटक अनुज्ञप्तिधारी खनन लेसी हैं। उनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी खपत प्रतिदिन10 किलो है। लेकिन उन्होंने गलत रिपोर्टिंग कर सौ किलो प्रतिदिन की अनुज्ञप्ति ले रखी है। मतलब शेष विस्फोटक अवैध खनन माफियाओं को बेचते हैं।

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तथा और भी अवैध औद्योगिक विस्फोटों का बड़ी मात्रा में आपूर्ति होती है। दर्जनों वैध खनन लेसियों के पास वैध विस्फोटक अनुज्ञप्ति भी नहीं हैं। लेकिन उत्पादन किसी से कम नहीं। तो ऐसे में उन्हें क्या धरती माता पत्थर बिना विस्फोट किये उगल देती है। कलयुग में ये सम्भव नहीं। मतलब साफ़ है। अवैध विस्फोटक सामग्री का एक बड़ा बाज़ार खनन माफियाओं को ये उपलब्ध कराता है।

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नक़्सली, अलगाववादी तत्व उठा सकता है इसका लाभ

पत्थर औद्योगिक क्षेत्र में जिलेटीन , डेटोनेटर और अमोनीयमनाइट्रेट का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। नक़्सली और आतंकी संगठन इसका प्रयोग करते आये हैं। जब ये आराम से यहाँ उपलब्ध है तो वे सीमापार से इसे लाने का जोखिम क्यूँ उठाएं ?

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ऐसे में इस अवैध खनन के तिषल्मी दुनियाँ में अब NIA की जरुरत भी दिखती है। खँगालने होंगे अवैध विस्फोटक की अंधेरी गलियों को भी। क्योंकि आज तक पुलिस ने सिर्फ स्वार्थजनित कारणों से विस्फोटक सामग्री जप्त की,पर परिणाम तक नहीं पहुँच पाए।