Saturday, October 18, 2025
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क्यों हम हमेशा अपना ही पैर कुल्हाड़ी पर दे मारते हैं ? सोचिए, चिंतन कीजिए

पैर कुल्हाड़ी पर मत मारिये , सोचिए पल भर रुक कर क्या कर रहे आप, विरोध या उपद्रव!

पिछले कई दिनों से बिहार के एक गांव में फंसा हुआ हूँ। चारों ओर से सिर्फ उपद्रव की ख़बर मिल रही है। जिस गाँव और जिनके घर आया हूँ, उन्होंने रोक रखा है। इस उपद्रव के माहौल में सुरक्षा के मद्देनज़र रोके गए हैं।

खैर सरकार के किसी भी निर्णय पर असंतोष व्यक्त करना, भारत में संवेधानिक अधिकार है। विरोध शांति के साथ सौम्यता के साथ हो, स्वागत है। लेकिन बलात्कारी मानसिकता शांति और सौम्यता की भी चीरहरण कर बैठता है। क्या अभी अग्निपथ विषय पर जो विरोध राह भटक कर हिंसक हो गया है। इस पर विरोध करने वाले लोगों को सोचना नहीं चाहिए ? मैं तो चिंतन करता हूँ। इस हिंसक विरोध पर अनन्त सवाल हैं। स्वयं से सवालों का जवाब भी मिलता है। किंतु इस माहौल में सवालों पर प्रस्तुतिकरण भी बेकार-नाहक़ होगा।

कई ट्रेनों में आग लगाई गई। रेलवे ने ट्रेनों को रद्द किया। हमारे आरक्षित टिकट रद्द हुए। मैं अकेला शिकार नहीं इनका, हजारों ज़ख्म आँसू बहा रहे”बच्चन”।

  1. ख़ुद उपद्रवी और उनके घरवाले भी परेशान हैं, अपनी ही बेअदबी से। ये कैसा विरोध है ?😢
    सोचिए, चिंतन कीजिए।

अवैध पत्थर के साथ अवैध कोयला खनन परिवन भी ED को दे रहा मौन आमंत्रण

हाइलाइट्स

  • अवैध पत्थर के साथ अवैध कोयला खनन परिवन भी ED को दे रहा मौन आमंत्रण।
  • कब आओगे ? एक बार कोयले की कालिमा में खँगाल तो जाओ माननीयों के सफ़ेद चेहरे !
  • कलम की छाँव भी कोयले को मिलता है भाई।
  • सन 2020 में घटी थी ग़ज़ब की घटना। पूरी मालगाड़ी किया गया था जप्त।
  • एक बार पीछे झाँक कर जानिए पाकुड़ के अवैध खनन की अंधेरी गलियों को।

न विभाग ने बिना जब्त किया था। यह कारवाई जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी सौरभ चंद्रा के निर्देश के आलोक में तात्कालीन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने की थी। कोयले से लदे मालगाड़ी की बोगियों को गार्ड को हैंड ओवर करने की कार्रवाई हुई थीं।

बिना परमिट के मालगाड़ी से कोयला ढुलाई मामले में पश्चिम बंगाल पावर डेवलोपमेन्ट कॉपोर्रेशन के साइड इंचार्ज राम विलास हांसदा को हिरासत में लिया गया था।वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया ।कि बिना ट्रांजिट परमिट के कोयला ढुलाई रेल मार्ग से नही किये जाने ।को लेकर जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा पाकुड स्टेशन मास्टर के जरिये। हावड़ा डिवीजन के डिविजनल मैनेजर को पत्र लिखा गया था। बावजूद कोयले की ढुलाई कर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा था।

सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम सरकारी अमले और जुमले कर रहे है। जिस विभाग और विभाग के अधिकारियो को शत प्रतिशत राजस्व वसूली में अपनी भूमिका निभानी है वे ही पाकुड़ में कोयला का अवैध परिवहन करवाने में संरक्षक की भूमिका निभा रहे है। पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड स्थित पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक पश्चिम बंगाल पावर डेवलॉपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को आवंटित किया गया है। आवंटित इस कोयला खदान में कोयला का उत्खनन कर उसका परिवहन बीजीआर माइनिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड कर रही थी।

सरकार ने कोयले को वनोपज मानते हुए इसके परिवहन के लिए ट्रांजिट परमीट की अनिवार्यता सुनिश्चित की है। सरकार ने प्रति मीट्रिक टन 58 रुपए राजस्व भी कोयले के परिवहन के विरूद्ध निर्धारित किया है। कोयले का परिवहन करने के पहले ट्रांजिट परमीट लिया जाना है। लेकिन पाकुड़ अमड़ापाड़ा लिंक रोड पर पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक से लोटामारा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई करने वाली कंपनी सरकार के इस आदेश की धज्जी उड़ा रही है। सरकार के आदेश की अनदेखी को लेकर जिले में वन विभाग ने कोयला से लदे आधा दर्जन से ज्यादा वाहनो को जप्त करने की कार्रवाई भी की बावजुद बिना ट्रांजिट परमीट के कोयला का परिवहन जारी है।

कोयले के इस अवैध परिवहन का एक आश्यर्चजनक पहलु यह भी है कि जिस विभाग को भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 42 का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराना है उस विभाग के अधिकारी और कर्मी ही बगैर ट्रांजिट परमीट के कोयला से लदे वाहनो को सुरक्षा घेरे में ले जा रहे है। वन विभाग ने झारखंड वनोपज नियमावली 2020 के आलोक में विधि संवत कार्रवाई करने को लेकर पुलिस अधीक्षक को भी पत्राचार किया था, बावजुद जिले की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकार ने बिना ट्रांजिट परमीट के कोयला के परिवहन को न केवल संज्ञेय अपराध बल्कि गैर जमानतीय भी माना है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि पाकुड़ जिले में किसके संरक्षण और इशारे पर बिना ट्रांजिट परमीट कोयले का परिवहन कर सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचाने का काम हो रहा है। बिना ट्रांजिट परमीट के कोयला का हो रहे परिवहन को लेकर वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि कई कोयला से लदे वाहनो को जप्त किया गया है। रेंजर श्री सिंह ने कहा था कि बिना ट्रांजिट परमीट के कोयला का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टरो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

इतना करने और कहने भर पर अनिल जी को जबरन रिटायर्ड कर दिया गया।

कारण साफ़ है। माननीयों के स्वार्थजनित लगाव। कितने ही माननीयों का डायरेक्ट-इनडायरेक्ट है इस धंधे से जुड़ाव। सभी परतें खुलेंगी धीरे-धीरे।

पिछले वर्षों के पाकुड़ के विभिन्न थानों में हुए एफआईआर को खंगाले। तो ये सावित हो जाता है। कि कोयला तश्करी जिले में होती है। तस्करों द्वारा प्रस्तुत कागज़ातों को अगर गहराई से देखें और विवेचना करें तो यह भी सावित होता है, कि इसमें भी ग़ज़ब बड़े पैमाने पर ओल-झोल है।

अब सवाल उठता है कि ये कोयला सरकार द्वारा दिए गए खनन पट्टों वाले खदानों से तो आते नहीं हैं। क्योंकि उन कम्पनी वालों की अपनी सुरक्षा के बाद पुलिस सुरक्षा भी उन्हें प्राप्त है। ऐसे में ये भी सावित हो जाता है, कि कोयला से भरे पड़े इस इलाके में अवैध खनन कर ये कोयला लाया जाता है। इसमें कई स्तर पर लोगों की मंडली है, जो संगठित तौर पर ईमानदारी से इस बेमानी के कार्य को अंजाम देते हैं। इस कार्य सबसे पहली मंडली जंगल मे कहाँ खनन करना है, जहाँ कम लागत में आसानी से खनन कर कोयले को गाड़ी में लोड करना। आस पास की आवादी को भी खुश रखते हुए। लोड गाड़ी को जंगली खनन स्थान तक ले जाने तथा मुख्य सड़क तक ले आने के लिए एक मंडली काम करती है।स्वाभाविक रूप से ये पहली मंडली इलाके से पूरा परिचित होती है और बख़ूबी काम करने तजुर्बा इनके पास होता है। चित्रों में अवैध कोयला खनन को देख कर इन परतों को खोला और समझा जा सकता है।

मुख्य सड़क पर आते ही दूसरी मंडली अपना दायित्व सँभालने लगती है। हँलांकि ये अवैध कोयला विभिन्न रूटों से पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर जाता है। इसलिए खाँकि खादी और तलवार से तेज कलमकारों की स्नेहिल छाँव तले कोयला लदी गाड़ियाँ सरपट दौड़ती है। अमड़ापाड़ा, कोटालपोखर, गुमानी, महेशपुर, पाकुड़िया, पाकुड़ सहित पश्चिम बंगाल की विभिन्न मंडली एक अरसे से पाकुड़ के वनोपजों और मिनरल्स की तस्करी करते हैं। अचानक प्रशासन के सक्रिय होने पर इनदिनों रात के अंधेरे में होने वाले अंधेर पर मानो कुठाराघात हो गया हो। लेकिन फिर भी कोयला दौड़ रहा है अंधेरे में अंधेरी सड़कों पर।

ये बताना भी जरूरी है, कि जंगलों के जिन इलाकों में ये अवैध खनन होता है। वो इलाके नक्सलियों का भी प्रभाव क्षेत्र रहा है। ऐसे में इन अवैध कारोबार का हिस्सा उन तक भी निश्चित ही पहुँचता हो इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए इस मामले की प्रोफेशनली उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए।

ED, आपको आमंत्रण है, पाकुड़ आएं, ढूँढे Illegal Mining के अनुत्तरित जवाब

बंद पूरी तरह नहीं हुआ है अवैध खनन का बाज़ार, VIP चला रहे अपनी मनमानी

निचे जो सूचना आलेख में दी गई है, उसे आप पहले पढ़ चुके हैं। लेकिन मैं इसे इस लिए परोस रहा हूँ, आपको ये समझ में आये। कि जो क्रशर सील हुए क्या वो सील रह गए ?
इसके लिए कोई मोनिटरिंग टीम है?

क्या मोनिटरिंग हो रही है

एक आलेख में मैंनें यह भी बताया था कि चेक पोष्ट से इतर कान्हुपुर वाले रास्ते से तथा पाकुड़ मेन रोड से भी कैसे अवैध परिवहन की रात्रिसेवा जारी है। पिछले दो साल में कितने क्रशर सील हुए, तथा किस आधार पर वो चालू हुआ ? जाँच का विषय है कि नहीं? जब पूरे जिले में प्रशासन के नाक के नीचे इतने वर्षों सब अवैध चलता रहा। तो अब क्या सब बंद हुआ होगा? बिलकुल नहीं । बहुत पहलू है, जाँच का। मैं पाकुड़ का नागरिक होने के नाते ED को आमंत्रित करता हूँ। ED आये हर पहलू को उधेरे। पिपलजोड़ी में अभी भी दो VVIP का क्रशर चल रहा है। खैर ये जानना भी जरूरी है कि CTO प्राप्त और CTO समय सीमा समाप्त हुए क्रशरों ने कितने पेंड़ लगाए ? कितने घेराबंदी की आदि आदि।

अभी तक एक भी सील किये गए क्रशर के आसपास कोई पेंड़ नहीं दिखा। क्या इसकी सूचना NGT को दिया गया ? सवाल कई हैं । जवाब ढूँढना होगा। रद्दीपुर ओपी क्षेत्र पाकुड़ के सुंदरपहाड़ी में मंगलवार को अवैध क्रशरों के खिलाफ जिला टॉस्क फोर्स की टीम ने बड़ी कार्यवाई की हैं। जिला टास्क फोर्स के टीम ने अवैध क्रशरों के खिलाफ कार्यवाई करते हुए 27 क्रशरों को सील कर दिया।बहुत ख़ूब, प्रसंशनीय कार्यवाही। लेकिन पिंकू शेख़ के अवैध खनन कर किये गए खदान की मापी कौन करेगा ? नो एकड़ में पिंकू शेख और उसके भाई का 4.5 – 4.5 एकड़ का लीज है। उस लीज के चारों तरफ तकरीबन 29 एकड़ पर अवैध खनन कर लिया गया। पिंकू शेख़ विद्या के मामले में निहायत ही दरिद्र और लक्ष्मी कृपा ऐसी कि लक्ष्मीपुत्रों को भी पछाड़ता सा गोल्डमैन दिखता है। स्वयं अंचलाधिकारी अपने रिपोर्ट में अवैध खनन को स्वीकारते हैं। पिंकू शेख सत्ताधारी दल के नेता जो ठहरे !

बावजूद इसके सिर्फ़ क्रशरों को सील कर वाहवाही लूटी जा रही है। घनघोर आश्चर्य ! अरे भाई कहीं गेंहू चोरी हुई। जिस मील में पिसा गेहूँ उसे सील करने से चोरी की गुत्थी कैसे सुलझेगी ? पहले गेहूँ के गोदाम को देखो। नापो कितनी गेहूँ चोरी गई। फिर आगे की उचित करवाई करो। नही यहाँ पीसनेवाले मिल सील हो रहे हैं। बताइये इसे कौन सी कारवाई कहा जाय ?

खैर एक से 15 जून तक पूरे राज्य में अवैध खनन व परिवहन के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के रद्दीपुर ओपी क्षेत्र में भी लगातार कार्रवाई हो रही है। जिसको लेकर जिला टास्क फोर्स की टीम ने एसडीओ पाकुड़ हरिवंश पंडित के नेतृत्व में खनन टास्क फोर्स की टीम रद्दीपुर ओपी क्षेत्र के अर्जुनदहा, चांदपुर, अम्बईपहाड़ी, खारुटोला, महुलपहाड़ी पहुंची। अधिकारियों को देखकर क्रशर में मौजूद लोग क्रशरों को बंद कर भाग गए। इसके बाद 27 क्रशर को सील कर दिया गया।

अच्छा हमेशा छापेमारियों में लोग भाग जाते हैं। सभी को फिर से ट्रेनिंग की ज़रुरत है। कैसे सभी आरोपी भाग जाते हैं ! क्या छापेमारियाँ तकनीकी और प्रोफेशनल ढंग से नहीं मारी जाती ? सभी को ट्रेनिंग की जरुरत है, सरकार दिलाए , ज़रूरी है। जय हो।

मौके पर टीम के जिला खान निरीक्षक पिंटू कुमार, सीओ रितेश जायसवाल, प्रदूषण क्षेत्रीय पदाधिकारी दुमका कमलाकांत पाठक, सहायक वैज्ञानिक रवि कुमार, सीआई सुरेश साह, रद्दीपुर ओपी प्रभारी दिलीप कुमार मल्लिक व अंचल आमीन उमाकांत सहित अन्य मौजूद थे)

ED को पाकुड़ के पत्थर व्यवसायियों , अधिकारियों के साथ रेल अधिकारियों की संपत्ति को भी खंगालना होगा

पत्थर व्यवसायी, सम्बंधित अधिकारी के साथ रेल अधिकारियों को भी ED ले जाँच के दायरे में

कुछ दिनों पहले पाकुड़ उपायुक्त ने प्रेसवार्ता कर पत्रकारों से कहा था। रेलवे से पत्थर ढुलाई की गड़बड़ी पर वे ख़ुद जाँच करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ……..खैर अब Puja sighal मामले में ED जाँच तथा DMO से पूछताछ के बाद अब रोज़ छापेमारियाँ हो रहीं हैं। अवैध खनन, अवैध परिवहन , अवैध क्रशर संचालन और छापेमारियों में क्रशरों का सील किया जाना, सब अवैध का सबूत नहीं ? अब मुफस्सिल चेक नाका पर अवैध चालान का पकड़ा जाना। फिर FIR दर्ज होना क्या जिले को हरिश्चंद्र का राज सावित करता है ?आश्चर्य है !

पत्थर तो रेलवे से भेजा गया, पर चालान नदारत थे

हुआ ये क्या पिछले दिनों रेलवे से पत्थर संप्रेषण में खुलासा हुई । गड़बड़ी पर उपायुक्त पाकुड़ ने स्वयं इस मामले की जाँच करने की बात पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही थी। ये बातें स्वयं में एक उदाहरण पेश करता नज़र आया था। साधारणतया ऐसे मामलों पर एक औपचारिकता जाँच समिति बना कर कर दी जाती है लेकिन पहली बार उपायुक्त ने ऐसे मामले में स्वयं जाँच करने की बात कह सबको चोंका दिया था। उधर हड़कम्प कहाँ कहाँ मचा होगा, इसे बयाँ करना बेवज़ह सावित होगा। हँलांकि उपायुक्त के उस शनिवार को किये पत्रकार सम्मेलन और कही बातों के कई दर्जन शनिवार बीत चुके हैं। लेकिन छापेमारियाँ Puja के ED के गिरफ्त में आने के बाद हुई।

हँलांकि तीन कम्पनी को 7-8 करोड़ की नोटिश खनन पदाधिकारी ने भेजा है, ये स्वयं बड़ी गड़बड़ी का द्योतक है। इधर इन तीनों में से एक कम्पनी के प्रोपराइटर बिहार के एक ब्लैक लिस्टेड निर्माण कम्पनी के मालिक से सम्बन्धित है। उनका बड़बोलापन ऐसा है, कि मुख्यमंत्रियों के साथ उनकी बैठकी है, और नाना पाटेकर की ” अब तक 56 ” फ़िल्म की तरह उनका रेकॉर्ड ” अब तक 22 ” का है। अब भगवान जाने वो क्या हैं, ऐसी पहेलियों को पत्रकार जगत सुन कर दूसरे कान से निकाल देते हैं।

दूसरी एक कम्पनी में अब प्रोपराइटर के रहते एक महिला का सक्रिय दखल है, और कई बार वो महिला एक बड़ी राजनैतिक हस्ती की मेहमान बन कर सप्ताह दो सप्ताह सरकारी गेष्ट हाउस में भुगतनी मेहमान भी रह चुकीं हैं।

अब माननीय उपायुक्त के स्वयं जाँच में ये मामला आ गया था, तो कई नई कलई खुलने का अंदेशा था। हड़कम्प और चिंता की लकीरें खनन विभाग की दीवारों पर भी दिख रहीं थीं। अगर उपायुक्त स्वयं जाँच करते तो राजनैतिक संरक्षण प्राप्त और कई कम्पनी इसकी ज़द में आती, तो क्या इसलिए वो सिर्फ़ आई वॉस सम्मेलन था। सवाल लाज़मी है। लेकिन हुआ कुछ नहीं और ED आ धमकी।

क्या है रॉयल्टी का मामला

आपके प्यारे पेज़ में आपके सामने इस मामले को परोसा भी था। वास्तव पाकुड़ रेलवे पत्थर लोडिंग साइडिंग पर कितनी विसंगतियाँ हैं । इसपर चर्चा हरि कथा अनन्ता को भी पीछे छोड़ती नज़र आती है। अपर और लोअर रेलवे साइडिंग में दर्जनों प्लॉट किसी न किसी कारणवस वर्षों से कागज़ों पर खाली है । लेकिन उसपर भंडारण और लोडिंग बजायफ़्ता जारी है, क्यूँ है , कैसे है आदि विषयों पर आगे की रिपोर्टिंग में बताएँगे ।लेकिन जब बिना माइनिंग चलान के पत्थर भेजने की चर्चा जब चली तो अनायास दिनांक 26/7/21 का एक नोटिश सामने आया। नोटिश नम्बर सी ओ एम/प्लाट/पीकेआर/न्यू अलॉटमेंट/19 डीआरएम ( कमर्शियल ) इश्टर्न रेलवे हावड़ा इनवाईट्स ( एक्सप्रेशन ऑफ ईंटरेष्ट ) 59 एन ओ एस वेकेंट प्लॉटस पाकुड़ क्वायरी साइडिंग के अनुसार दो पारामीटर पर आमंत्रित किए गए । पर कहते हैं कि इस नोटिश को सार्वजनिक होने से रोक दिया गया। क्यूँ ये रेलवे अधिकारी ही बता सकते हैं। जबकि नोटिश में साफ निर्देश है, कि इसे अखबारों में प्रकाशित करना है। इससे सम्बंधित एक पदाधिकारी जे एन साहा से जब बात की गई तो अपनी टूटी फूटी हिंदी में जो बताया । उसका अर्थ ये था, कि ये उनका डिपार्टमेंट नहीं है। लेकिन जब संवाददाता ने बंगला में बोल कर माहौल को दोस्ताना बना दिया । तो माननीय साहा ने बताया कि ये नोटिश उनके पास आया था। और कोलकाता में इसे प्रकाशित कराया गया होगा। उन्होनें ये भी बताया कि प्लॉट एलॉटमेंट का दूसरा डिपार्टमेंट है।

मामला जो भी हो । कहीं न कहीं मामले में गड़बड़ी की बू आ रही है। जानकारी के अनुसार रेलवे के खाली लोडिंग साइड्स पर माफियाओं का राज है। सिर्फ़ क्रशरों को सील करने से कुछ नहीं होनेवाला। हाँलाकि आज भी ED राँची में छापेमारियाँ कर रही है । अब पाकुड़ में भी अचानक राख से लाखों तक पहुँचने वालों को ED खँगाले तो बात बने। इसमें रेलवे अधिकारियों को भी और उनकी संपत्ति को पखारना होगा।
जय हिन्द।

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धनाधन हो रही छापेमारियाँ, सील हो रहे क्रशर , लेकिन कहाँ हुआ अवैध खनन ? उन्हें दे रहे छूट। सब बाद में हो जाएगा रफ्फूचक्कर

रद्दीपुर ओपी क्षेत्र पाकुड़ के सुंदरपहाड़ी में मंगलवार को अवैध क्रशरों के खिलाफ जिला टॉस्क फोर्स की टीम ने बड़ी कार्यवाई की हैं। जिला टास्क फोर्स के टीम ने अवैध क्रशरों के खिलाफ कार्यवाई करते हुए 27 क्रशरों को सील कर दिया।बहुत ख़ूब ,प्रसंशनीय कार्यवाही। लेकिन पिंकू शेख़ के अवैध खनन कर किये गए खदान की मापी कौन करेगा ? नो एकड़ में पिंकू शेख और उसके भाई का 4.5 – 4.5 एकड़ का लीज है। उस लीज के चारों तरफ तकरीबन 29 एकड़ पर अवैध खनन कर लिया गया। पिंकू शेख़ विद्या के मामले में निहायत ही दरिद्र , और लक्ष्मी कृपा ऐसी कि लक्ष्मीपुत्रों को भी पछाड़ता सा गोल्डमैन दिखता है। स्वयं अंचलाधिकारी अपने रिपोर्ट में अवैध खनन को स्वीकारते हैं। पिंकू शेख सत्ताधारी दल के नेता जो ठहरे !

बावजूद इसके सिर्फ़ क्रशरों को सील कर वाहवाही लूटी जा रही है। घनघोर आश्चर्य ! अरे भाई कहीं गेंहू चोरी हुई। जिस मील में पिसा गेहूँ उसे सील करने से चोरी की गुत्थी कैसे सुलझेगी ? पहले गेहूँ के गोदाम को देखो। नापो कितनी गेहूँ चोरी गई। फिर आगे की उचित करवाई करो । नही यहाँ पीसनेवाले मिल सील हो रहे हैं। बताइये इसे कौन सी कारवाई कहा जाय ?

खैर एक से 15 जून तक पूरे राज्य में अवैध खनन व परिवहन के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के रद्दीपुर ओपी क्षेत्र में भी लगातार कार्रवाई हो रही है। जिसको लेकर जिला टास्क फोर्स की टीम ने एसडीओ पाकुड़ हरिवंश पंडित के नेतृत्व में खनन टास्क फोर्स की टीम रद्दीपुर ओपी क्षेत्र के अर्जुनदहा, चांदपुर, अम्बईपहाड़ी, खारुटोला, महुलपहाड़ी पहुंची। अधिकारियों को देखकर क्रशर में मौजूद लोग क्रशरों को बंद कर भाग गए। इसके बाद 27 क्रशर को सील कर दिया गया।

अच्छा हमेशा छापेमारियों में लोग भाग जाते हैं। सभी को फिर से ट्रेनिंग की ज़रुरत है। कैसे सभी आरोपी भाग जाते हैं ! क्या छापेमारियाँ तकनीकी और प्रोफेशनल ढंग से नहीं मारी जाती ? सभी को ट्रेनिंग की जरुरत है, सरकार दिलाए , ज़रूरी है। जय हो।

मौके पर टीम के जिला खान निरीक्षक पिंटू कुमार, सीओ रितेश जायसवाल, प्रदूषण क्षेत्रीय पदाधिकारी दुमका कमलाकांत पाठक, सहायक वैज्ञानिक रवि कुमार, सीआई सुरेश साह, रद्दीपुर ओपी प्रभारी दिलीप कुमार मल्लिक व अंचल आमीन उमाकांत सहित अन्य मौजूद थे

ED के ख़ौफ़ से धीरे धीरे खुल रहे खनन से जुड़े कई राज, अब चालान की चलन पर भी पड़ी प्रशासनिक नज़र

मुफस्सिल थाना पाकुड़ में Puja तथा ED जाँच की गहमागहमी के बीच एक अवैध चालान का मामला दर्ज। काण्ड संख्या-128/22धारा -467/468/420/34आई पी सी पर अखबार रंगे। ख़ूब लिखा गया। मेसर्स राहुल मेटल्स, प्रोपराइटर गोपी साधवानी पिता स्व.चंदूमल साधवानी पर कलम ख़ूब गरजे। अब पुलिस तथ प्रसाशन की तहकीकात कहाँ तक सधती है, ये तो वक़्त बताएगा।

आश्चर्य है, जो चलान ऑन लाइन निकाला ही नहीं गया। उसी एक नम्बर की चालान पर अलग अलग गाड़ियाँ पत्थर कैसे ढो रही थी ? ग़ज़ब ये है, कि वो चालान ऑन लाइन नहीं निकला था। उसी नम्बर के चालान पर कई गाड़ियाँ पत्थर लेकर एक ही चेक पोष्ट से गुजरती रही। मतलब साफ़ है कि सभी गाड़ियों के पास जब चलान थे, तो क्लोन चलान बना होगा। इस पर मैंनें ही कई बार लिखे थे। लेकिन कभी जाँच नहीं हुई।

किसी अखबार में ये सवाल नहीं उठा कि साहेबगंज का चालान पाकुड़ में कैसे ? एकदम उलटे रूट पर! ऐसे ही पाकुड़ के क्लोन चलान साहेबगंज के कोटालपोखर रुट पर भी चलता है।

खैर एक से एक चलान माफिया, डॉन सरीखे यहाँ दशकों से सक्रिय हैं। उसी मुफस्सिल थाने के थाना कांड संख्या 83/12/4/2008 तथा 124/ 14/6/2008 के पुलिस डायरियों को अगर खँगाल कर देखा जाय तो राख से रसूख़ तक पहुँचने वाले कई लोगों की कलई खुल जाएगी। मैं ED से अनुरोध करूँगा कि इन थानाकांडो को भी अपनी गिरफ्त में लेकर जाँचे। इतने माल कई अचानक बने मालदारों के पास जप्त होंगे कि……।

अवैध चालानों की कुंडली तथा पाकुड़ और साहेबगंज के खदानों की मापी घनफुट में निकले हिसाब से कर लिया जाय। तो गबन किये गए पैसों से झारखंड की 5 साल की बजट बन जाय। अभी बहुत कुछ खुलेगा। बस ED खंगालती जाए, राज निकलते जाएँगे।

रेलवे से तो बिना चलान के चलन की बात खुल ही चुकी है। आगे भी खोलूँगा, करूँगा खुलासा। सबसे तेज़ नही थोड़ा विलम्बित है इस पेज़ की चाल।

इल्लीगल खनन की सख़्ती पर व्यवसायियों के सवाल सरकारी तन्त्रों पर परोक्ष रूप से लगा रहे दोहरे आरोप

पाकुड़ के मालपहाड़ी रेलवे पत्थर लोडिंग प्लॉट पर प्रशासन ने करवाई कर जब सख्त चेहरा दिखाया। तो पत्थर व्यवसायी व्यवस्था पर अंगुली और मजदूरों की भुखमरी की बात उठाने लगे। मजदूरों को भड़काने लगे। तथा उनकी भूख पर राजनीति करने लगे। लेकिन ये भूल गए कि व्यवस्था पर ये दोहरा सवाल उठा रहे हैं।

सरकारी सुविधाओं को जिला प्रशासन अंतिम व्यक्ति तक पहुँचा रहे हैं। है कि नहीं। राशन-मुफ़्त वाला राशन और भी बहुत कुछ। ऐसे में दो-चार दिनों में मजदूर भुखमरी तक कैसे पहुँच गए ? आधे दर्जन से ज़्यादा मजदूर संगठन जो मजदूरों के लिए तथाकथित ढंग से खड़े हैं। क्या मजदूरों को राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं- सुविधाओं तथा व्यवसायियों से मिलने वाले अधिकार नहीं दिला पा रहे ?

ऐसा तो नहीं होगा, कि काम बंद होने पर मजदूर यूनियन मजदूरों को मिनीमम वेजेज़ नहीं दिला पा रहे होंगे। सरकारी तंत्र सरकारी सुविधाओं और योजनाओं को भी मजदूरों तक नही पहुँचा रहे ऐसा भी नहीं होगा। स्वयं मालिक अपने मजदूरों की विपरीत परिस्थितियों में साथ न दे ऐसा भी नहीं होगा। तो फिर व्यवसायी एक ओर अपने व्यवसाय के कागज़ातों के आसानी से न बनाने। और मजदूरों के दो दिनों में भुखमरी तक पहुँच जाने की बात कर सरकारी तंत्र पर दोहरा आरोप नहीं लगा रहे। सोचना होगा और सभी को सोचना चाहिए। और श्रमविभाग ?

प्रशासन सख्त, डाल-डाल, पर वो तो पात-पात ही रहेंगे

ED कुछ भी करे या प्रशासन डंडा चलाकर रफ़्फ़ु करे, यूँ इतने दिनों तक नहीं की है Puja  |  प्रशासन सख़्त, पर हम तो पात-पात रहेंगे

एक बार मोबाइल फिर बज उठता है। मैं भी उसे उठा लेता हूँ। दुआ सलामों के बाद मेरे या कागज़ात बनवाने में जूते घिस जाते हैं। लेकिन अफसरशाही के चक्कर में सही कागज़ात बन नहीं पाते। मज़बूरी में व्यापार करना पड़ता है। मजदूरों का भी ख़याल रखकर काम तो करना है, रोज़गार तो देना है। अखबार भी व्हाट्सएप पर पढ़ा, ठीक वही बात लिखी थी। अवैध खनन पर लेसियों की बातें बिलकुल सही है। सरकार कोई ऐसी व्यवस्था नहीं करती कि एक जगह सभी वैध कागज़ात बनाकर आराम से व्यापार किया जाता ।

खैर अगर सरकार और व्यवस्था में कमी है, तो किसी भी कीमत पर अवैध ढंग से व्यापार करना उचित भी नहीं। लेकिन मजदूरों के रोजगार को ढाल बनाकर शासन प्रशासन की करवाई से बचने का बहाना ढूँढना उचित नहीं ठहराया जा सकता। खैर धरना प्रदर्शन और घेराव आदि का उदाहरण पर लिखने से परोक्ष रूप से चेताया गया।

अँधों और गंजों की शहर में आईना और कंघी बेचने निकल पड़े हैं हम। मुझे तो ऐसा ही लगा। पता नहीं लोग शब्दों को सिर्फ़ क्यूँ देखते हैं ! उसकी बुनावट को भी समझें कृपया।
मैं आग्रह करूँगा कि मेरे सभी आलेखों को पढ़ कर देखें और तौलें-समझें।

सोने नहीं दिया इन बातों ने। शबभर (रातभर) घूमा। कहने को सबकुछ ठीक है, लेकिन कुछ ठीक नहीं। शबभर ग़ज़ब के सबकुछ दिखा। ओभरलोडेड गाड़ियाँ चलतीं हैं। ज़रा चित्र में ओभरलोडेड ट्रक देखिए, शहर में मेन रोड पर दिखा। हम भी मुफस्सिल थाने के चेकपोस्ट तक अपनी नज़रो से आर्यियात आये। चेक पोस्ट से जब दूर से गुजरते देख लिया तो लौट आए। फिर जहाँ गया वहाँ दिखा और जाना कि लगातार ट्रकों का आना जाना जारी है। खासकर रात में ज्यादा। पत्थरघट्टा चेकपोस्ट मेजिस्ट्रेट और cctv कैमरा लगाया गया है।परन्तु पीपल जोड़ी से चेंगाडंगा हमरुल कान्हुपुर होते हुए राजग्राम की ओर जाने वाले रास्ते से अनवरत परिवहन जारी है।

जिला प्रशासन अवैध खनन पर सख्त, की अधिकारियों के साथ बैठक, दिए निर्देश

इस अंक में विशेष

  • डीसी – एसपी ने खनन टास्क फोर्स की बैठक की
  • अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा निर्देश
  • अवैध खनन करने वालों पर करे सख्त कार्रवाई

पायुक्त श्री वरुण रंजन व पुलिस अधीक्षक एच. पी.जनार्दनन की अध्यक्षता में शुक्रवार को जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। इस दौरान उपायुक्त ने अवैध कोयला, अवैध पत्थर, अवैध बालू उठाव, अवैध खनन के रोकथाम के लिए पूर्व के बैठक में लिए गए निर्णय के अनुपालन की बिन्दुवार समीक्षा करतें हुए जिला खनन पदाधिकारी द्वारा की गयी कार्रवाई का ब्यौरा लिया। जिला खनन पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि स्पेशल ड्राइव में अभी तक हुई कारवाई में 35 क्रशर को सील किया गया है। जिले में कुल 11 चेकपोस्ट संचालित है। सभी चेकपोस्टों पर मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारी प्रतिनियुक्त है। पांच चेकपोस्टों पर सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है। जिले में रजिस्टर क्रशर 226 है। उपायुक्त ने कहा कि रात में चेक पोस्टों पर बाहर से आ जा रहे वाहनों को जांच करे। चेकपोस्ट पर प्रतिदिन रजिस्टर का जांच करें, कि कितनी गाड़ी निकली है, और कितनी गाड़ियों की जांच की गई, संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रतिदिन रिपोर्ट ले, और उसका रिकॉर्ड जरूर रखें। उपायुक्त ने बताया कि अवैध छापेमारी के दौरान संबंधित पदाधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि जिसका सीटीओ फेल हो गया हो, उसने सीटीओ के लिए रि अप्लाई किया है तो सील कर छोड़ दिया जाए। जिसने रि अप्लाई नहीं किया हो तो सील कर एफआईआर दर्ज करें। उपायुक्त ने संबंधित जिला टास्क फोर्स के सदस्यों को निर्देश दिया कि 5 दिनों के अंदर में सभी क्रशर एवं चेकपोस्ट का जांच कर ले। साथ ही जिला खनन पदाधिकारी को अवैध खनन करने वालो पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

दिनांक- 01.06.2022 से 15.06.2022 तक अवैध मिनिरल्स के रोकथाम हेतु जिले में चलाये जा रहे हैं स्पेशल ड्राइव- उपायुक्त

इसके अलावे उपायुक्त ने बैठक के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को निदेशित करते हुए कहा कि मेजर व माइनर मिनरल्स के कार्यो में किसी भी प्रकार से अवैध खनन व ढुलाई ना होने पाए। उपरोक्त कार्य में किसी की भी संलिप्तता पाई जाती हैं तो जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत संबंधित व्यक्ति/संस्थान पर कार्यवाई किया जाय।

उपायुक्त ने अधिकारियों को दिया टीम भावना के साथ कार्य करने का निर्देश

बैठक के दौरान उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया कि सभी आपसी समन्व्य स्थापित कर अवैध खनन, गाड़ियों द्वारा अवैध ढुलाई पर अंकुश लगाने हेतु टीम वर्क के रूप में कार्य करें, ताकि त्वरित व उचित धाराओं के साथ कानूनी कार्रवाई की जा सके।

इस बैठक में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री रजनीश कुमार, अपर समाहर्ता श्रीमती मंजू रानी, अनुमंडल पदाधिकारी श्री हरिवंश पंडित, जिला खनन पदाधिकारी श्री प्रदीप कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी श्री संतोष कुमार गर्ग, मुख्यालय डीएसपी श्री बैधनाथ प्रसाद, पाकुड़ एसडीपीओ श्री अजीत कुमार विमल, सभी सीओ एंव सभी थाना प्रभारी उपस्थित थे।

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फिर 28 क्रशर सील, Puja की थाली में रेलवे भी शक के दायरे में, लेकिन करवाई के नाम पर फिर से झोंका गया धूल

इस अंक में विशेष

  • Illegal minning, में Puja की सजी थाली के एक कोने में Railway भी है जाँच के दायरे में।
  • ED को खंगालने चाहिए Hawda और Malda DRM ऑफिस के DCM कार्यालयों की फाइलें।
  • मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में सुरक्षा मानकों का ठेंगा दिखाकर किया जाता स्टोन चिप्स लोड।
  • अगर जांच होगी तो कई सनसनीखेज खुलासे से नही किया जा सकता इनकार।

पाकुड मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में प्रदूषण अनापत्ति प्रमाण पत्र (पॉल्युशन क्लियरेंस सर्टिफिकेट)की समय अवधि समाप्त होने के बावजूद लगातार रैक लोडिंग का काम धड़ल्ले से चल रहा है। वहीं रैक लोडिंग में नियमों की धज्जियां भी उड़ाई जा रही है। इस साइडिंग क्षेत्र की कई वीडियो और तस्वीर है। जिसका जिंदा सबूत चौका देने वाली है।

इस खबर के साथ लगा हुआ चित्र आपको अचंभित करेगा। रेलवे सुरक्षा मानकों को अगर देखा जाए तो रेल लाईन पर कोई दूसरा व्हिकल या वाहन अगर चलता है या जाता है तो आरपीएफ उस पर कानूनी कार्रवाई करती है। आप पाकुड़ के मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग पर अगर सिर्फ लोडिंग करने के तरीकों को देख लें तो आपको यहां सुरक्षा नियमो का ठेंगा दिखाते लोग दिख जाएंगे।

पत्थर लोडिंग के लिए जो रेलवे प्लॉट अलॉट किया जाता है वह अप और डाउन लाइन से एक नियत दूरी पर की जाती है। जहां व्यवसायी अपना तैयार माल स्टॉक करके रखे, और मजदूर सुरक्षा नियमों का ध्यान रखते हुए रेल बोगी पर लोड कर दें। लेकिन मालपहाड़ी साइडिंग पर ऐसा कुछ नही दिखेगा। जहां मन तहां तैयार माल को डंप किया जाता है और फिर मजदूरों का रोजगार निगलने वाले डायनासोर बुलडोजर से माल लोड किया जाता है।

चूंकि डंप किया हुआ स्टोन चिप्स रेलवे लाइन पर ही रहता है ऐसे में ये डायनासोर रेल लाइन पर बीछे पत्थरो को भी समेटकर लोड कर देते हैं। अप एवं डाउन लाइन के बीच में आमतौर पर जो भी लाइन होता है वो दूसरे प्लॉट पर जाने वाली गाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए होता है। उस पर किसी भी तरह माल डंप करना या फिर लोडिंग के लिए गाड़ी को खड़ा करना, आदि सब रेलवे सुरक्षा नियमों के विपरीत है लेकिन मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग क्षेत्र में ये बातें आम है, और कहा जाता है कि यह सब अनियमितता नीचे से ऊपर तक सुविधा शुल्क को ठेलते हुए किया जाता है। इस विषय पर कोई भी रेल पदाधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते हैं। एक सामान्य सी बात है कि एक आदमी को भी यहां झुठलाते सुरक्षा के कार्यों को देखकर अंदाजा लग जायेगा।

सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ है। कि कई महीने पहले जब पॉल्यूशन अनापत्ति प्रमाण पत्र हो गया है खत्म। तो फ़िर सरकारी नियमों को धता बता कर कैसे हो रहा इंडेन्ट।

2 जून के इस पेज ख़बर पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 28 क्रशर सील

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की सीमा अवधि खत्म होने के बाद भी रेलवे साइडिंग में पत्थर उत्पादन और लोडिंग से संबंधित बातों को पढ़ा। प्रशासन गम्भीर हुआ। इसे इतना गंभीरता से लिया है कि एक बार फिर खदानों की नापी नही कर धूल झोंकने का बड़ा प्रयास हुआ। प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे साइडिंग में संचालित 28 क्रशरों को सील कर दिया है। मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में कम से कम 28 क्रशरों को सील कर दिया।

लेकिन रेलवे से कोई सवाल नहीं किया। न ही खदानों से कितना घनफुट पत्थर निकला और कितना डिस्पेच आदि की जाँच की जहमत उठाई। जबकि जिला टास्क फोर्स की टीम के साथ दुमका से प्रदूषण नियंत्रण की टीम भी पहुंची थी। दोनों टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए क्रशरों को सील किया। इस दौरान क्रशर मालिकों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कई क्रशर मालिक क्रशरों को बंद कर भाग खड़े हुए।

मिली सूत्रों से जानकारी के मुताबिक टीम के पहुंचने की खबर मिलते ही क्रशर में कार्यरत मुंशी, खलासी, मजदूर सारे भाग गए। इस दौरान खासकर क्रशर मालिकों में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचकर टीम ने एक तरफ से कार्रवाई शुरू की। फिर बारी बारी से क्रशरों को सील कर दिया।

उल्लेखनीय है कि रेलवे साइडिंग में संचालित क्रशरों से प्रोडक्शन किए जाने वाले पत्थर चिप्स मालगाड़ी में लोडिंग होकर दूसरे प्रदेशों और देश में भेजा जाता है। जिसमें कई बार नियमों की अनदेखी के मामले सामने आते रहे हैं। फिर भी क्रशर मालिक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदूषण से जुड़ी प्रशासन द्वारा निर्गत सर्टिफिकेट की सीमा खत्म हो चुकी है। फिर भी धड़ल्ले से क्रशरों का संचालन जारी था। जिला टास्क फोर्स की टीम में एसडीओ हरिवंश पंडित, जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार साह, सीओ आलोक वरण केसरी, सीआई देवकांत सिंह एवं दुमका से प्रदूषण नियंत्रण विभाग के कई अधिकारी पहुंचे थे।

इन सबके बावजूद जिन लोगों ने पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लिए थे, उन्होंने नियमों का पालन किया भी की नही। इसे देखने जाँचने और उसपर FIR या करवाई की बात नहीं हुई।
हद है भाई !

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