डॉ रविंद्र नाथ तिवारी ने झारखंड के राज्यपाल से मुलाकात की, “संथाल हूल, 1855” नामक किताब भेंट की बिहार -झारखंड के वरिष्ठ लेखक और पत्रकार डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी (Dr. Ravindra Nath Tiwari) ने झारखंड के राज्यपाल से संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की। डॉ. तिवारी ने बताया कि- रांची स्थित राजभवन में महामहिम राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार जी से मुलाकात के दौरान झारखंड की उच्च शिक्षा पर सार्थक चर्चा हुई। मैंने उन्हें अपनी किताब “संथाल हूल (30 जून 1855-56): भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम” और अपने संपादन में छपने वाली राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “भारत वार्ता” भेंट की। उन्होंने “हूल’ शब्द पर भी हमसे बात की। ‘हूल’ संथाली शब्द है जिसका मतलब होता है क्रांति अथवा विद्रोह। “संथाल हूल”की पहली प्रति देश की ‘प्रथम नागरिक’ महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को भेंट की गई थी। आजादी के अमृत काल के मौके पर मैंने यह किताब लिखी है जिसमें भारतीय आजादी की लड़ाई में झारखंड खासतौर से साहिबगंज जिले की अन्यतम भूमिका को रेखांकित किया गया है। यही नहीं इसमें यह प्रमाणित किया गया है कि 1857 का सिपाही विद्रोह नहीं बल्कि 1855 का संथाल विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। मैंने राज्यपाल को बताया कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ संथाल क्रांति हमारे गृह जिला साहिबगंज के भोगनाडीह गांव से 30 जून 1855 को शुरू हुई थी। इस विद्रोह का शंखनाद भोगनाडीह के रहने वाले सिदो-कान्हू नामक दो भाइयों ने अपने दो सहोदर भाइयों -दो बहनों और 30 हजार संथालों के साथ किया था। इस विद्रोह से निपटने के लिए बड़ी संख्या में इंग्लैंड से अंग्रेज अफसर और सैनिकों को मंगाना पड़ा था। अंग्रेज अफसरों ने लिखा कि ऐसा भयानक युद्ध उन्होंने पहले कभी नहीं देखा जैसा तीर- धनुष से लैश संथाल विद्रोहियों ने लड़ा। मेजर जार्विस ने लिखा-“पूरी लड़ाई के दौरान न कभी संथाल क्रांतिकारी न पीछे हटे और न कभी पीठ दिखाया।”
इस क्रांति की आग संथाल परगना प्रमंडल से धधककर झारखंड के बड़े हिस्से से होते बिहार में भागलपुर, मुंगेर, बाढ़ -मोकामा, पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्से में फैल गई थी। विद्रोह को दबाने के लिए इतिहास में पहली बार अंग्रेजों ने सैनिकों को ढोने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल किया था। इस विद्रोह की विस्तृत चर्चा उस समय के अंग्रेजी अखबारों, पत्रिकाओं, किताबें और रिपोर्टो में मिलती है।
महामहिम ने कहा कि पुस्तक को पढ़कर अपना विचार आपको भेजेंगे।
उत्तर प्रदेश के बरेली लोकसभा सीट से आठ बार चुनाव जीतकर अटल व नरेंद्र मोदी सरकार में कई टर्म मंत्री रहे संतोष कुमार गंगवार देश के कुछ अनुभवी, संवेदनशील, विकासवादी सोच और जनसरोकार वाले नेताओं में से हैं। वे 78 साल के हैं। फिजिक्स के छात्र रहे हैं और उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की है।
झारखंड के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ रवींद्र नाथ तिवारी ने राष्ट्रपति और झारखंड के राज्यपाल से मिलकर अपनी लिखी पुस्तक की भेंट।
मुझे अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा , कोई तुझ सा हो तो नाम भी रखे तुझसा। चीन प्रांत के मकाऊ शहर में आयोजित समारोह में फिर से हुए सम्मानित लुत्फुल जी।
आईकॉन ऑफ हिंदुस्तान अवार्ड से नवाजे गए समाजसेवी लुत्फल हक
–हिंदुस्तान अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर ने अपने हाथों दिया अवार्ड
पाकुड़। पाकुड़ के चर्चित और नामचीन समाजसेवियों में शुमार लुत्फल हक ने एक बार फिर जिले वासियों को गर्वित किया है। लुत्फल हक को समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए चीन प्रांत के मकाऊ में आईकॉन ऑफ हिंदुस्तान अवार्ड से सम्मानित किया गया है। देश के मशहूर पत्रकार और हिंदुस्तान अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर ने अपने हाथों लुत्फल हक को अवार्ड प्रदान किया है। आयोजित सम्मान समारोह में भारत देश के अलग-अलग हिस्सों से तीन दर्जन जानी-मानी हस्तियां शामिल हुए थे। इनमें लुत्फल हक का नाम भी खास तौर पर शामिल किया गया था। देश-विदेशों में दर्जनों बार सम्मानित किए जा चुके लुत्फल हक गरीबों की मदद के लिए जाने जाते हैं। असहाय और जरुरतमंद लोगों को मदद पहुंचाना उनकी पहचान बन चुकी है। पाकुड़ जैसे पिछड़े और छोटे से जिले से निकलकर चीन प्रांत के मकाऊ में सम्मान हासिल करने वाले समाजसेवी लुत्फल हक ने जिले का नाम रोशन किया है। अवार्ड प्रदान के दौरान भरे समारोह में लुत्फल हक की दरियादिली से खुश हिंदुस्तान अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर भी खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने लुत्फल हक की तारीफों के पुल बांध दिए। प्रधान संपादक शशि शेखर ने लुत्फल हक के सामाजिक कार्यों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि गरीबों की मसीहा बनकर जो काम सालों से करते आ रहे हैं, वह वाकई में प्रेरणादायक और प्रशंसनीय भी है। कहा कि जिस वक्त कोरोना वायरस के कहर से पूरा देश खौफ में था, लोग सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए ही सोचने पर मजबूर हो गए। लुत्फल हक ने लोगों की मदद के लिए अपने दोनों हाथ खोल दिए। जिनके घर के चूल्हे रोजाना मेहनत मजदूरी से जलते थे, उन गरीब मजदूरों के परिवारों के सामने संकट आन पड़ी थी। उस दौरान लुत्फल हक जैसे समाजसेवी ने गरीबों के घर राशन पहुंचाया। लोगों की जान बचाने के लिए इन्होंने अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर, सैनिटाइजर और मास्क मुहैया कराया। पाकुड़ रेलवे स्टेशन में रोजाना लगभग 300 गरीबों को हर दिन भोजन कराया जा रहा है। आर्थिक रूप से मदद पहुंचा कर गरीब बेटियों की शादी में सहयोग कर उनका घर बसा रहे हैं। लुत्फल हक गरीबों की उम्मीद बन गए हैं। निश्चित रूप से लुत्फल हक समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इधर लुत्फल हक ने दूरभाष पर कहा कि शशि शेखर जी का मैं शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे इस मंच पर सम्मानित किया। यह सम्मान मैं उन बेबस भाई बहनों और माताओं को समर्पित करना चाहूंगा, जिनकी दुआओं ने मुझे यहां तक पहुंचाया। मेरी उन भाई-बहनों और माताओं के आशीर्वाद से ही मुझे यह सम्मान नसीब हुआ है। निश्चित रूप से समाजसेवा में मुझे इससे हौंसला मिलेगा। लुत्फल हक ने कहा कि मैं खुदा से बस यही दुआ मांगता हूं कि इसी तरह गरीबों की सेवा का अवसर मिलता रहे।
*सत्य सनातन संस्था का बैठक हुआ संपन्न ,लिए गए कई निर्णय*
– बैठक में कार्यकारणी अध्यक्ष, सागर चौधरी, जिला अध्यक्ष – राहुल सिंह, और प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रीतम सिंह यादव का इस्तीफा को किया गया स्वीकार….
पाकुड़ : रविवार को सुबह सत्य सनातन संस्था का बैठक नगर के रानी ज्योतिर्मय स्टेडियम में अध्यक्ष रंजित कुमार चौबे के अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि संस्था हर स्थिति परिस्थिति में अपने अधिकारी सदस्यों के साथ तन ,मन ,धन से खड़ा था और खड़ा रहेगा। प्रत्येक वर्ष की भाँति संस्था इस वर्ष भी महाशिवरात्रि में पुराना अस्पताल स्थित हनुमान मंदिर में शिव बारातियों का स्वागत भव्य रूप से किया जाएगा, जिसका सारा खर्च संस्था के सचिव चंदन प्रकाश करेंगे, वही संस्था में सर्व सहमति से निर्णय लिया गया कि संस्था इस बार भी सभी सतानियों के बीच होली मिलन समारोह मनाएगी, वही संस्था इस बार भी दिनांक 13 मार्च को नगर थाना के सामने रथ मेला मैदान में संध्या 05 बजे से 7 बजे तक पूरी भव्यता के साथ होलिका दहन का कार्यक्रम करेगा, साथ ही सर्वसम्मति के साथ यह भी निर्णय लिया गया कि *बैठक में कार्यकारिणी अध्यक्ष, सागर चौधरी, जिला अध्यक्ष – राहुल सिंह, और प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रीतम सिंह यादव का इस्तीफा को किया गया स्वीकार । परन्तु संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजित कुमार चौबे का इस्तीफा को अस्वीकार किया किया गया ।* मौके उपाध्यक्ष गौतम कुमार, संयुक्त सचिव अजय भगत, जिला अध्यक्ष हर्ष भगत ,मिंटू गिरी, हेमंत कुमार प्रीतम, साजन घोष,विशाल भगत, सत्यम भगत, रवि भगत, संदीप त्रिवेदी, सानू रजक,मुन्ना शर्मा, एवं आगंतु अतिथि , जनार्दन मालाकार, व सत्यम कृष्णा, उपस्थित रहे।
सरकारी अव्यवहारिक निर्णय कभी कभी बन जाते हैं नये नये अपराध पनपने के कारण।
तीन दशकों की मेरी पत्रकारिता में मुझे याद है, विभिन्न राजनैतिक पार्टियाँ हर विभाग में “इंसपेक्टर राज” ख़त्म करो के नारे लगाते थे।
आज देश में प्रधानमंत्री मोदी कानून की पेंचीदगियों को समाप्त कर इसे सरल बनाने के सफलतम प्रयास में लगे हैं।
निवेशकों और उद्योगों को वन विंडो सुविधा उपलब्ध कराने की बात की जाती है , ताकि उद्योग और व्यापार सुलभ हो सके।
इधर लगभग प्रतिदिन अवैध रूप से लॉटरी पर खबरें प्रकाशित होती जा रही है।
इसके लिए प्रशासन और पुलिस को दोष देने की परम्परा भी बदस्तूर जारी है।
एक समय लॉटरी झारखंड में बिकते थे , और वो अवैध नहीं था।
अचानक किसी राजनैतिक रूप से सत्ता पर काबिज़ किसी पार्टी के अव्यवहारिक सोच ने दम्भ भरी अंगड़ाई ली , और रातो रात झारखंड में लॉटरी बिकना अवैध हो गया।
यानि हर तरह के संरक्षण को एक मौका मिल गया , तथा वैध को अवैध के विशेषण के साथ चलने का रास्ता मिल गया।
जिस गरीब शोषण के नाम पर लॉटरी पर रोक लगाई गई, उन्हीं गरीबों के शोषण का उसी लॉटरी के द्वारा अवैध का रास्ता एक अव्यवहारिक निर्णय ने खोल दिया।
खैर जहाँ लॉटरी अवैध है, वहीं हर तरह के शराब को वेध बनाकर रखा गया है। नये नये और निर्णयों को अव्यवहारिक रास्तों पर खींच ले जाने की चर्चा चल रही है।
हमारे देश में सरकारें ऐसे निर्णय के लिए मशहूर हैं, जहाँ चूहों को भी थानों के मालखाने में शराब परोसने की कहानी बन सकती है।
सरकारी अव्यवहारिक निर्णनयों से अवैध के रास्ते खुलते रहे हैं , और गिनेचुने लोगों को सामान्य से माफिया बनकर अवैध रूप से अगाध बनाने और कमाने का मौका दिया गया है।
अब झारखंड में जाली लॉटरी छपकर बिक रहे हैं। बंगाल सहित अन्य प्रदेशों के सरकारी लॉटरी दशकों पहले यहाँ बिकते थे , लेकिन प्रतिबंध के बाद जाली भी छपने और बिकने लगे।
अगर अन्य राज्यों की तरह सरकार ही लॉटरी पर अपनी पकड़ बना लेती , तो राजस्व के साथ रोजगार भी सृजन होता , और एक और अपराध पनपने से रह जाता। हजारों काम तथा अपराध पर काबू पाने के कार्य में लगे प्रशासन के पास भी वक़्त बचता।
लॉटरी अगर गरीब विरोधी है, तो शराब गरीब विरोधी नहीं है क्या ?
गोवा सहित अन्य राज्यों की तरह स्थानीय शराब बेचने की बात होतीं हैं , लेकिन अन्य राज्यों की नक़ल सरकारी लॉटरी पर न कर क्या इसे व्यवहारिक कहा जा सकता है? यह चिंतन , मंथन और ….जाँच तक के विषय है।
सवाल बहुत तरह के उठते हैं , जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है।
हर बात पर पुलिस और प्रशासन को दोष देना न्याय संगत दिखता ? अब पुलिस वाले क्या क्या करे !
राजनीति और पोषित गुर्गे अव्यवहारिक निर्णय लेते रहें , तो प्रशासन क्या क्या देखें ?
बिहार में शराब बंदी ने शराब के कारोबार को अवैध बना दिया , लेकिन क्या ये बंद हो गया ?
बिहार में शराबबंदी ने करोबार के रूपरेखा को एक नई दिशा दे दी।
माफिया नये नये पैदा लिए , और बंदी की निगरानी रखने वाले जिम्मेदारों को एक और नया रास्ता पैसे बनाने का मिल गया। पेरविकारो और दलालों को नया कारोबार मिल गया। बिहार के किस कोने में शराब चाहिए , आपके घर तक पहुँच जाएगा , आपको कहीं इसकी उपलब्धता के लिए जाना नहीं है।
झारखंड में अवैध होते ही लॉटरी जाली भी हो गये , और नये नये करोड़पतियों की गली गलियारों में उतपत्ति हो गई।
अब हम लक्ज़रियस गाड़ियों पर बकरी चुराएं , थैलों में लॉटरी पहुँचायें , आँचल की छावों में ड्रग्स की पुड़िया बाजारों में उपलब्ध कराएं।
मतलब अवैध कमाने की हम हमारी मानसिकता को विभिन्न अवैध धंधों से पोषित करें , लेकिन ” जोतो दोष – नन्दो घोष” की तर्ज़ पर दोषी प्रशासन को ठहराएं।
मुट्ठीभर स्वार्थ के लिए हम आपस में भिड़ मरें , लेकिन हर तरफ़ बिखरे अवैध के लिए ,सिर्फ प्रशासन दोषी !
हम कभी अपने बच्चों से यह पूछने की ज़हमत नहीं उठाते कि जब तुम्हारे पास कोई स्पष्ट रोजगार दिखता नहीं , तो विभिन्न सुविधाओं के रुप में दिखता इतने पैसे कहाँ से लाये !
प्रशासन को दोष देने की परम्परा छोड़ हम अपने गिरेबान में भी झाँके – टटोले तो कुछ बात बने।
ख़ुद से सवाल करें कि , क्या हमारी मानसिकता और दुर्व्यसनों के लिए प्रशासन दोषी है?
एक बार फिर भूवैज्ञानिक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने पाकुड़ में ख़ोज निकाला फॉसिल्स का भंडार।
डॉ रणजीत कुमार सिंह
भू विज्ञान विभाग अध्यक्ष सह प्राचार्य मॉडल कॉलेज राजमहल
भू वैज्ञानिक सह पर्यावरणविद की कलम से।
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गुरुवार को झारखण्ड के पाकुड़ में सोनाजोरि के मटिया पहाड़ पर जीवशमो का खजाना मिला है देख कर हम रोमांचित हो उठे ।
एक खोज
आभार
ऊर्जावान कार्य के प्रति सम्वेदनशील DFO श्रीमान चंद्रा जी का जो तत्काल प्रभाव से इस अन्तर्राष्ट्रीय अनमोल धरोहर को बचाने के लिये पहल प्रयास किया जा रहा है।
आज से 5 करोड़ बर्ष पूर्व कार्बोनिफेरस और पर्मियन काल में ऑस्ट्रेलिया यूरोप अफ्रीका अटलांटिक एशिया को मिलकर सुपर महाद्विप हुवा करता था जिसे भू वैज्ञानिको के भाषा में गोंडवाना लैंड कहते है उस समय बातावरण नम और गर्म था।
तराई अस्मिक काल में पर्यावरण और बातावरण में बदलाव आने लगे और ज्वालामुखी फाटे और सभी महाद्विप एक दूसरे से अलग हो गए ।
ज्वलमुखी फटने से उनके लावा (मेग्मा )ने पेड़ पौधे और जीव को ढँक दिया ।
पृथ्वी ने इन पेड़ पौधे और जीवो को सुरक्षित परिरक्षित अवस्था में अरबो वर्ष तक रखा और वे परिरक्षित पेड़ पौधे जीव के अवशेष यहाँ आज जीवाश्म के रूप से देखे जा सकते है ।
राजमहल पहाड़ियों की श्रंखलाऐ न केवल भारत के लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये इसकी महत्ता है क्योकि ऊपरी गोंडवाना काल के जीव जंतुओ और पेड़ पौधे के अबशेष यहाँ मिलते है ।
यह 2600 बर्ग किलोमीटर में फैला है ।
जर्मनी में भी इस युग के जीवाश्म मिले है और 65 किलोमीटर इलाके में पाए जाते है उसे संरक्षित रखा है सरकार ने । और
2002 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है ।
भारत सरकार ने राजमहल फॉसिल्स आधारित पेड़पौधे का डाक टिकट भी जारी किया गया था।
भारत ही दुनिया के लिये अतीत की अनमोल धरोहर का सुरक्षा संरक्षण और शोध कार्य के लिए आवश्यक है। करोड़ों साल के जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक रूप वातावरण आदि का अध्ययन किया जा सकता है और भविष्य के नीति निर्धारण के लिए उपयोगी होगा। पृथ्वी उत्पत्ति प्रकृति और मानव जीवन का रहस्य पर से पर्दा हट सकता है।
समाज व राष्ट्र निर्माण का दर्शन देने वाले अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल-अमृत
भारतीय जनसंघ के संस्थापक पखर राष्ट्रवादी,मानववाद के प्रणेता महान,विचारक दार्शनिक,अर्थशास्त्री और राजनेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 57 वीं पुण्यतिथि पर भाजपा पाकुड़ के कार्यकर्ताओं ने भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पांडेय का नेतृत्व में रानी दिग्घी पटाल तांतीपाड़ा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान में स्थापित उनके आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता हिसाबी राय,जिला उपाध्यक्ष धर्मेंद्र त्रिवेदी,महामंत्री रूपेश भगत,महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष शबरी पाल बासु मंडल विक्टर तिवारी रतन भगत पार्थ रक्षित सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे।
माल्यार्पण के उपरांत भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पांडेय ने कहा कि व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र निर्माण का दर्शन देने वाले विलक्षण व्यक्तित्व के धनी एकात्मक मानव दर्शन तथा अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में कोटि कोटि नमन है।भारतीय जनसंघ के सह संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रखंड राष्ट्रवादी चिंतक उत्कृष्ट संगठनकर्ता एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय दर्शन के प्रणेता थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता हिसाबी राय ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति और समाज को नहीं दिशा प्रदान किया। उन्होंने एकात्म मानववाद का सिद्धांत दिया जो भारतीय संस्कृति और मूल सिद्धांत पर आधारित है।एकात्मक मानववाद के अनुसार मनुष्य प्रकृति और ईश्वर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सभी का कल्याण होना चाहिए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों ने भारतीय राजनीति और समाज को बहुत प्रभावित किया उनके विचारों को आज भी प्रासंगिक माना जाता है।
ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन का प्रयास रंग लाया ।
ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा द्वारा विगत 2 वर्षों से नलहटी से गुमानी तक इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत गेटमैन के ड्यूटी के घंटे को 12 घंटे से घटाकर 8 घंटे करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा था । शाखा सचिव संजय कुमार ओझा ने बताया की इस बाबत ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा द्वारा मंडल प्रबंधक हावड़ा के साथ पीएम मीटिंग में एजेंडा- 43/22 दिया गया था l कई दौर की बातचीत के बाद इंजीनियरिंग गेट संख्या 29,42 और 44 में ड्यूटी १२ घंटा से घटाकर 8 घंटा कर दिया गया एवं गेट संख्या 35, 37 एवं 1/c में लगातार 5 दिन रात्रि ड्यूटी को हटाकर दो-दो दिन का ड्यूटी रोस्टर बना दिया गया l इससे कार्यरत कर्मचारियों को काफी राहत मिलेगी एवं उनके स्वास्थ्य को भी काफी राहत मिलेगी lआगामी 11 ,12, 13 फरवरी को मंडल प्रबंधक हावड़ा के साथ होने वाले त्रैमासिक बैठक में राजग्राम ,नलहटी एवं चतरा में कार्यरत पोटर की ड्यूटी को भी 8 घंटा करने संबंधी विषय पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। ऐसे कई कर्मचारी कल्याण से संबंधित कार्य ,जो संगठन की मान्यता संबंधित चुनाव के कारण रुके हुए थे, उन्हें पूरा करने का काम यथाशीघ्र किया जाएगा । ईस्टर्न रेलवे यूनियन पाकुड़ शाखा के शाखा सचिव संजय ओझा ने बताया कि नलहटी से लेकर गुमानी तक के कार्यरत कर्मचारियों हेतु ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा संजीदगी से प्रयासरत है ।
15 फरवरी से 15 मार्च तक जिले भर में किया जाएगा अटल जन्म शताब्दी सम्मेलन।
अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी पर 14 फरवरी से चलेगा अटल स्मृति संकलन एवं संपर्क अभियान।
•अटल जी कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्त्रोत-अमृत
•अटल बिहारी वाजपेयी जी के अद्वितीय योगदान के स्मरण के लिए भाजपा मना रही है राष्ट्रव्यापी अटल जन्म शताब्दी।
•भारतीय राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी केवल एक नेता नहीं बल्कि एक विचारधारा-हिसाबी
भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस की छाप छोड़ने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के जन्म शताब्दी के अवसर पर देशव्यापी अटल जन्म शताब्दी कार्यक्रम भाजपा आयोजित कर रही है।इसको लेकर भाजपा जिला कार्यालय पाकुड़ में शुक्रवार को भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पांडेय तथा कार्यक्रम के जिला संयोजक सरिता मुर्मू एवं सह संयोजक हिसाबी राय ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता को संबोधित किया। प्रेस वार्ता में पूर्व जिलाध्यक्ष विवेकानंद तिवारी, जिला महामंत्री रूपेश भगत, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सादेकुल आलम मौजूद थे।
प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई की 14 फरवरी तक अटल स्मृति सम्मेलन एवं संपर्क अभियान चलाया जाएगा।जिसके तहत अटल जी से जुड़ी फोटो, वीडियो,भाषण,प्रेरक अनुभव, संगठनात्मक संघर्ष,राजनीतिक कार्यक्रमों और अन्य प्रेरणादाई सामग्रियों का संकलन किया जाएगा।अटल जी के साथ कार्य कर चुके वरिष्ठ कार्यकर्ताओं एवं उनके समकालीन अनुभवी व्यक्तियों से सामग्री एकत्रित की जाएगी।
इसके बाद 15 फरवरी से 15 मार्च तक जिले भर में अटल जन्म शताब्दी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें समाज के प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ जनों को आमंत्रित किया जाएगा।इस सम्मेलनों में अटल जी के साथ कार्य कर चुके वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।अटल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखे लेख के लेखक को सम्मानित किया जाएगा।
मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पांडेय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक नेता नहीं बल्कि एक विचारधारा और कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्त्रोत थे।उनकी जन्मशताब्दी वर्ष पर भाजपा संकल्पित होकर उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है।अटल स्मृति सम्मेलन एवं संपर्क अभियान के माध्यम से उनके जीवन संघर्ष और प्रेरक प्रसंगों को संकलित कर समाज के हर वर्ग तक ले जाने का प्रयास किया जाएगा। अटल जी के मार्गो पर चलते हुए हम संगठन को और मजबूती प्रदान करेंगे और समाज सेवा के उनके संकल्प को साकार करेंगे।
कार्यक्रम के सह संयोजक हिसाबी राय ने कहा कि अटल जी ने राजनीतिक सिद्धांतों और मूल्यों की राजनीति की थी।वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पूरे देश के नेता थे। अटल जनशताब्दी कार्यक्रम के तहत आयोजित सम्मेलन और संकलन अभियान हमें उनके विचारों को समझने और आत्मसात करने का अवसर देगा।यह हमारा सौभाग्य है कि हमें उनके दिखाएं मार्ग पर चलकर समाज सेवा करने का अवसर मिल रहा है।
कार्यक्रम के संयोजक सरिता मुर्मू कहा कि ग्रामीण सड़क योजना से लेकर भारत में चल रहे विभिन्न योजनाओं में अटल जी का महत्वपूर्ण योगदान है। अटल जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा और लोकतंत्र की सुदृढता के लिए समर्पित था।पाकुड़ जिले में आयोजित कार्यक्रम युवाओं के लिए एक प्रेरणाश्रोत बनेगा।उनके और कृतित्व को याद रखते हुए हम सुनिश्चित करेंगे कि अधिक से अधिक लोग उनकी विचारधारा से जुड़े और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभाऐ।
मालगोदाम रोड पर स्वचालित टिकट बिक्री मशीन लगाने की मांग ईजरप्पा ने किया
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मालगोदाम रोड पाकुड़ पर अवस्थित दोनों ऊपरी पैदल पुल के नीचे स्वचालित टिकट बिक्री मशीन (एटीवीएम) लगाने की मांग वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक पूर्व रेलवे हावड़ा राहुल रंजन से ईस्टर्न जोनल रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन हावड़ा मंडल के अध्यक्ष हिसाबी राय ने किया है।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक को समर्पित अपने पत्र में श्री राय ने कहा है कि माल गोदाम रोड पाकुड़ पूर्वी भाग का एक प्रमुख रोड है।जहां पर सबवे और प्लेटफार्म नंबर एक व दो को जोड़ने वाली मालगोदाम पथ पर ऊपरी पैदलपुर अवस्थित है।पाकुड़ रेलवे गेट के बंद होने के उपरांत रेल यात्रियों को प्लेटफार्म पर जाने हेतु एकमात्र मार्ग है वह है ऊपरी पैदल पुल जहां से सैकड़ो की संख्या में प्रतिदिन रेल यात्री गाड़ी पकड़ने हेतु प्लेटफार्म नंबर 1 व 2 पर जाते हैं पर यात्रा और प्लेटफार्म टिकट नहीं रहने पर उन्हें अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। टिकट नहीं रहने के कारण ने दंड का भागी होना पड़ता है परिणाम स्वरूप उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ता है।जिससे मानसिक और शारीरिक परेशानी होती है,क्योंकि उनके पास टिकट नहीं रहता है। इसलिए मालगोदाम रोड पर अवस्थित ऊपरी पैदल पुल के नीचे स्वचालित टिकट बिक्री मशीन (एटीवीएम) को स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है,जिससे रेलवे को भी लाभ मिले और रेल यात्रियों को भी परेशानियों का सामना न करना पड़ेगा तथा रेल यात्री भी निर्भिक होकर यात्रा कर सकेंगे।
यहां यह बताना भी आवश्यक है कि इस संबंध में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक,पूर्व रेलवे हावड़ा से उनके कार्यालय कक्ष हावड़ा तथा पाकुड़ प्रवास के दौरान वार्ता भी हुई है,तदोपरांत स्वचालित टिकट बिक्री मशीन लगाने हेतु विभागीय स्तर पर स्थल का निरीक्षण भी विभाग द्वारा निर्धारित जांच टीम के द्वारा किया गया है पर अभी तक उस पर क्रियान्वयन नहीं किया गया है।
ईजरप्पा अध्यक्ष हिसाबी राय ने पुनः वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक,पूर्व रेलवे,हावड़ा राहुल रंजन से रेल यात्रियों के सुविधार्थ अविलम्ब स्वचालित टिकट बिक्री मशीन (एटीवीएम) लगाने की मांग की है।
सरस्वती शिशु मंदिर के वर्ग कक्ष निर्माण में आर्थिक मदद करेंगे लुत्फल, भूमि पूजन में शामिल हो धार्मिक सौहार्द का दिया मिसाल
यूँ ही कोई हमसफ़र नहीं होता,
साथ चलना बहुत ज़रूरी है।
कोटालपोखर । एक ही तो दिल है, कितनी बार जीतोगे? यह फेमस डायलॉग साल 1970 में आई बॉलीवुड फिल्म कटी पतंग की है। यह डायलॉग फिल्म की कहानी में भावनात्मक गहराई और संघर्ष को दर्शाता है। लेकिन यहां इस डायलॉग का इस्तेमाल किसी फिल्मी कलाकारों के लिए नहीं है, बल्कि देश विदेश में सम्मान हासिल कर चुके पाकुड़ के जाने-माने समाजसेवी लुत्फल हक के लिए है। जिन्होंने जाति धर्म से ऊपर उठकर हर वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने में कभी पीछे नहीं हटे हैं। किसी भी गरीब जरूरतमंद को मदद पहुंचाने की बात हो या शिक्षण संस्थानों या फिर मंदिर-मस्जिद या मदरसों में आर्थिक सहयोग देना हो, हमेशा आगे रहते हैं। लुत्फल हक की दरियादिली का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि, उनके द्वार पर आने वाले खाली हाथ नहीं लौटते। इधर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के भक्तिमय माहौल के बीच समाजसेवी लुत्फल हक ने धार्मिक सौहार्द का वो मिसाल कायम किया है, जिसकी जितनी भी प्रशंसा करें कम है। दरअसल समाजसेवी लुत्फल हक सोमवार को पड़ोसी जिला साहिबगंज के कोटालपोखर में पिछले करीब 27-28 साल से संचालित सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचे। उन्हें सरस्वती शिशु मंदिर के नए वर्ग कक्ष के निर्माण को लेकर आयोजित भूमि पूजन में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। शिशु मंदिर परिसर में भूमि पूजन का कार्य विधिवत संपन्न हुआ। जिसमें समाजसेवी लुत्फल हक मुख्य रूप से शामिल हुए। लुत्फल हक ने भूमि पूजन में हिस्सा लेकर जहां धार्मिक सौहार्द का अनोखा मिसाल पेश किया, वहीं उन्होंने इसी दौरान वर्ग कक्ष के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग की घोषणा भी कर दिया। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन को दो नए वर्ग कक्ष के निर्माण में आर्थिक सहयोग का भरोसा दिलाया। इस दौरान भूमि पूजन में सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल, सचिव भवेश साह, अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, संरक्षक मुनीलाल शर्मा, अशोक साह सहित सैंकड़ों बच्चें और उनके अभिभावक मौजूद थे। शिशु मंदिर के वर्ग कक्ष के निर्माण में लुत्फल हक के सहयोग की घोषणा से बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों में खुशी छा गई। अभिभावकों ने समाजसेवी लुत्फल हक की प्रशंसा करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। वहीं सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य सहित प्रबंध समिति के तमाम पदाधिकारी ने समाजसेवी लुत्फल हक का धन्यवाद किया। लुत्फल हक ने कहा कि समाज और देश के विकास के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। मेरा दिली ख्वाहिश है कि समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिले। इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। मैं सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल, सचिव भवेश साह, संरक्षक मुनीलाल शर्मा और अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सहित तमाम लोगों का आभार व्यक्त करता हूं कि मुझे शिक्षा के इस मंदिर में अतिथि के रूप में शामिल किया गया। लुत्फल हक ने कहा कि मुझे खुदा ने सेवा का मौका दिया है, मैं इसके लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं। यह मेरे जैसे व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि मेरे पास जो भी लोग उम्मीद लेकर आते हैं, जहां तक हो पाता है, मैं उन्हें मदद करने का प्रयास करता हूं। शिक्षा के मामले में सहयोग की जब भी बात आती है, मुझे ज्यादा खुशी होती है। इस सरस्वती शिशु मंदिर के दो वर्ग कक्ष के निर्माण में जितना भी हो पाएगा, सहयोग करूंगा। ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को वर्ग कक्ष में बैठने और पढ़ाई करने में सहूलियत हो। उन्होंने कहा कि खुदा ने चाहा तो मैं आगे भी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मदद करता रहूंगा। इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल ने बताया कि इस शिक्षण संस्थान की स्थापना साल 1997 में हुई थी। उस दौरान भवन नहीं होने से एक सरकारी पुस्तकालय में पठन-पाठन का काम होता था। आगे चलकर खपरैल का एक छोटा सा भवन बनाया गया। अपने स्थापना काल से ही सरस्वती शिशु मंदिर भवन की कमी झेल रही है। जिससे बच्चों को पढ़ने और पढ़ाने में दिक्कतें आती है। इसलिए सरस्वती शिशु मंदिर का पक्का भवन निर्माण के लिए पहल शुरू किया गया। इसके लिए समाजसेवी लुत्फल हक जी से मुलाकात कर उन्हें हमने समस्याओं को रखा और वर्ग कक्ष निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल ने कहा कि मैंने लुत्फल हक जी के बारे में सुन तो था, लेकिन पहली ही मुलाकात में उनकी दरियादिली देख भी लिया। उन्होंने एक ही अनुरोध पर सरस्वती शिशु मंदिर के लिए वर्ग कक्ष के निर्माण के लिए सहयोग के अनुरोध पर हामी भर दी। लुत्फल हक जी से आश्वासन मिलने के बाद वर्ग कक्ष निर्माण के लिए आज भूमि पूजन का आयोजन किया गया। यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। प्रधानाचार्य ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन समाजसेवी लुत्फल हक के इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता है।