Sunday, October 19, 2025
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छात्रों का शिक्षा के प्रति बढ़ाया गया उत्साह, और बेहतर करने को किया गया पुरस्कृत।

तौफ़ीक़ राज

गुरुवार को पाकुड़ सदर प्रखंड के मनिरामपुर में स्थित पीस मिशन स्कूल परिसर में स्कूल का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया। वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित के बाद गुरुवार को वार्षिक उत्सव मनाया गया। विद्यार्थी को अंक पत्र का वितरण किया गया। उत्कृष्ट छात्र छात्राओं को ट्रॉफी से नवाजा गया। स्कूल संचालक रियाजुल हक ने कहा बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने में माता-पिता के बाद शिक्षण संस्थानों का अहम योगदान होता है। शिक्षकों को बच्चों को संस्कार बनाने के लिए गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा देनी चाहिए। जिस तरह स्कूल के छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।ऐसे में लगता है कि शिक्षक और छात्र काफी मेहनत करते हैं और उन्होंने सभी का उत्साहवर्धन भी किया। छात्र छात्रों को अपने जीवन में उच्च लक्ष्य निर्धारित जरूर करना चाहिए और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत अति आवश्यक है।
इस वार्षिक उत्सव में मो.साईफ, शाहनवाज, सुलेमान हसन,राजू आदि उपस्थित थे।

अंगिका समाज ने होली मिलन सह सम्मान सभा का किया आयोजन।

अंगिका समाज अंग, पाकुड़ के तत्वावधान में अंगिका मिलन सह सम्मान समारोह – 2025 का महेन्द्र मिश्र, डाॅ. बिन्दुभूषण, राहुल कुमार, रमेश चन्द्र सिंह, सिताबी राय, भागीरथ तिवारी, डाॅ. मनोहर कुमार, कैलाश झा, संजय कुमार शुक्ला जी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
स्वागत भाषण प्रदेश उपाध्यक्ष भागीरथ तिवारी जी ने अपने सम्बोधन में समस्त आगन्तुकों का हार्दिक अभिनन्दन व स्वागत कर अंगिका समाज के अतीत व वर्त्तमान पर विशेष चर्चा किये
। सचिव संजय कुमार शुक्ला ने अंगिका समाज में सत्र 2024-25 में अब तक के किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बोले कि अंगिका समाज के द्वारा नारायण सेवा, गरीब पांच कन्या की शादी मे सहयोग, अनाथालय में भोजन का सहयोग, स्वास्थ्य सहायता, योग कक्षाएं ,आदि कार्य किए गए । सेवानिवृत प्रधानाध्यापक महेन्द्र मिश्र ने सम्बोधन मे कहे कि अंग क्षेत्र का इतिहास अति प्राचीन है, बाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि त्रेता युग में अंग देश के राजा रोमपाद थे, जो राजा दशरथ के मित्र थे।
द्वापर में कृष्ण अवतार लिए, इस काल में दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को अंग देश का राजा बनवाया था, अंग देश की राजधानी भागलपुर था ।भागलपुर का कर्ण गढ़ इसका प्रमाण है। सुपौल के समदा में भी कर्णगढ़ है।
डाॅ. बिन्दुभूषण ने सम्बोधन में कहे कि
7 वीं सदी में वामन जयादित्य द्वारा रचित ग्रन्थ “कोशिका वृत्ति” में उल्लेख है कि प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में एक अंग महाजनपद था और इसकी प्रचलित भाषा “आंगी” थी ।जो आगे जाकर अंगिका में परिणत हो गया , आज भी हमलोग अंगिका में ही बोलते हैं ।

रमेश चन्द्र सिंह, सेवानिवृत सिविल अभियन्ता ने अपने सम्बोधन में कहे
कि -बौद्ध ग्रन्थ “ललित विस्तार” में 64 लिपियों की सूची में अंग लिपियों की सूची में अंग लिपि चतुर्थ स्थान पर अंकित हैं । 16 महाजनपदों के मानचित्र में भी अंग देश अंकित हैं ।
राहुल कुमार जी ने कहा कि भाषा के आधार पर 1912 ईo में बंगाल से बिहार एवं उड़ीसा राज्य अलग हुआ। तत्कालीन गवर्नर जेनरल वारेन हेस्टिंग्स ने बिहार को चार जिलों में बांटा, जिसमें एक जिला भागलपुर था , जिसके अन्तर्गत अंग जनपद था । अंग क्षेत्र का इतिहास बड़ा ही गौरवशाली रहा है।
उक्त अवसर पर भाजपा नेता हिसाबी राय ने कहा कि अंगिका क्षेत्र 1790 ई. में इस जिला के एक भाग का नाम जंगलतरी जो आज हमलोग संतालपरगना के नाम से जानते हैं, यहां मिदनापुर, बांकुड़ा, वीरभूम, एवं सिंहभूम से जनजातियों को लाकर बसाया गया, 1829 में भाषाई आधार पर चार प्रमंडल बनाए गए तो भागलपुर प्रमंडल के अन्तर्गत जंगली के इस भाग को संतालपरगना जिला बनाया गया । वर्तमान में अब यह स्वंय प्रमंडल है, इसके अन्तर्गत छ: जिले हैं ।आज पाकुड की पथरीली धरती पर अंगिका समाज का एकत्रीकरण मील का पत्थर साबित होगा ।
भाजपा नेता दुर्गा मराण्डी ने कहा कि अंग प्रदेश और अंगिका भाषा अत्यन्त प्राचीन है, वर्त्तमान में अंग क्षेत्र बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न प्रमंडल में फैला हुआ है ।
सेवानिवृत्त रेलवे गार्ड सिताबी राय ने कहा कि आइए अंगिका समाज को आगे बढ़ाने में पूरे मनोयोग से हमसब मिलकर काम करने का संकल्प लें, अंगिका समाज का सदस्य बनें , और अंगिका क्षेत्र की गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति, भाषा-परम्परा को समृद्ध-जीवंत बनाए रखने का सार्थक प्रयास करें ।
झारखंड प्रदेश अंगिका समाज ,रांची
अंगिका समाज अंग, जिला इकाई, पाकुड़ की जिला कार्यकारिणी समिति के निर्णय एवं सम्मान हेतु गठित चयन समिति द्वारा प्रस्तावित निम्नांकित सम्मान से अलंकरण हेतु उनसे सम्बन्धित महानुभावों के नामों का चयन किया गया था। जिन्हें आज भव्य अंगिका समाज “होली मिलन सह सम्मान समारोह के शुभावसर पर निम्न रुप से सम्मानित किया गया,

अंग गौरव रत्न सम्मान-2025
1. डाॅ. बिन्दूभूषण
2. श्री राहुल कुमार

अंग साहित्य सेवा भूषण सम्मान-2025
3. श्री महेन्द्र मिश्र- सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, श्यामनगर, पाकुड़
अंगिका सेवा रत्न सम्मान-2025
4. श्री रमेश चन्द्र सिंह- सेवानिवृत्त सिविल अभियन्ता, दुर्गा काॅलोनी,पाकुड़
5. श्री सिताबी राय- सेवानिवृत्त रेलवे गार्ड, रेलवे काॅलोनी,पाकुड़
6. श्रीमती रंजू ठाकुर सामाजिक, छोटी अलिगंज,पाकुड़
अंगिका कला रत्न सम्मान-2025

7. श्रीमती रुमा सिंह- कला के क्षेत्र में-,सिंहवाहिनी,राजा पाड़ा,पाकुड़

उपर्युक्त महानुभावों को शाॅल, मोमेंटो एवं सम्मान- पत्र देकर सम्मानित किया गया ।
अध्यक्ष डाॅ. मनोहर कुमार जी ने धन्यवाद ज्ञापन कर सम्मान समारोह के समापन कर होली मिलन समारोह के लिए कोषाध्यक्ष कैलाश झा को आमंत्रित किया,
कैलाश झा ने होली मिलन समारोह में गायन व वादन के लिए श्याम झा, अजय झा, राजीव झा, रमेश चन्द्र सिंह, संजय शुक्ला, मिथिलेश सिन्हा, नन्द किशोर सिन्हा, आदि उपस्थित महानुभावों ने होली गीत व वाद्य वादन एवं ढोलक की आवाज से होली मिलन समारोह को मनोरम बना दिया ।
कलाकृति केन्द्र, पाकुड की निदेशिका श्री मती रुमा सिंह के शिष्य तान्या सिंह के द्वारा अंग प्रदेश की गाथा पर नृत्य , अनु के द्वारा शिव ( होली नृत्य) गीत के बोल मशाने में होली, एवं नम्रता पाण्डेय के द्वारा होली गीत सिया चलली अवध की ओर पर नृत्य कर उपस्थित सबों का मन मोह लिया ।
सामूहिक राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया । कार्यक्रम के पश्चात सबों के लिए शुद्ध शाकाहारी होली से सम्बन्धित भोजन तैयार किया गया था, जिसे सबों ने बड़े चाव से खाया।
उपर्युक्त कार्यक्रम में अंगिका समाज सहित सभी समाज के दर्जनों गण्य-माण्य उपस्थित थे।

हमें पैसों की भूख मिटाने भर तो दौगे , प्यास मिटाने के लिए पानी कहाँ से लाओगे ? पूछते हैं तालाब।

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के के एम कॉलेज के रास्ते मे पड़ने वाले पुष्करणी तालाब (अखाड़ी पोखर) को भरने के आरोप पर उक्त महल्ले के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। हाँलाकि ये तालाब एक संयुक्त सम्पत्ति है। किसी एक पक्ष द्वारा अपने तर्कों के साथ जमीन माफियाओं की छाँव में , अपनी जमीन के समतलीकरण के नाम पर पहली ही नज़र में तालाब भरने जैसी करवाई की पृष्ठभूमि पर बहुत पहले से खिचड़ी पकाई जा रही थी। पिछले दिनों जमीनी करवाई भी होने लगी। महल्ले वालों ने तालाब भरे जाने की जनसुविधा के मद्देनजर विरोध शुरू किया है।

इससे पहले आई आर एस स्तर के एक पक्षकार ने इसका विरोध करते हुए एक लिखित शिकायत स्थानीय सक्षम प्रशासन के अधिकारियों से की थी। उसमें एक व्यक्ति के नाम का उल्लेख भी है।
उसी लिखित शिकायत के आधार पर एक कलमकार ने समाचार भी बनाया था। चूँकि कलमकार ने शिकायत में उल्लिखित व्यक्ति के नाम का उल्लेख कर दिया था तो उन्हें मानहानि के मुकदमे की धमकी से डराया भी गया। ऐसे भी गरीब पत्रकार दबंगो के लिए एक आसान टारगेट होता है।

खैर उक्त समाचार के बाद दूसरे पक्ष ने भी अपनी बात रखी।
उक्त दोनों ही पक्षों के अध्ययन से फ़िलवक्त जो बात समझ में आती है , वो हिन्दू पारिवारिक सम्पत्ति विवाद एवं समाधान का मामला है। उसके अध्ययन और प्रशासन के विवेचना के अंतर्गत आता है।
लेकिन शिकायत के बाद भी त्वरित कार्यवाही न होना और पहली ही नज़र में तालाब भरे जाने की आशंका उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना तो दिखता है।

ऐसे भी तालाबों के शहर पाकुड़ में तालाब भरे जाने का यह कोई पहला मौका नहीं है। सैकड़ों अट्टालिकाएं तालाब की कब्र पर खड़ी मौन ठहाके लगाते यहाँ नज़र आ जाएँगी।

पत्रकारों के लिए इस शहर में बस अब इतना कहा जा सकता है कि “इस शहर के लोग भी हैं बड़े हुनर वाले, रोज हम अपनी जान हथेली पर लिए निकलते हैं।

जमीनों के नेचर को बदल खेल करने की कयावद यहाँ पुराना है , जो अनवरत जारी है।

सूखती नदियाँ , भरते तालाब जमीं हलक में दूर भागती रूठे भूगर्भीय जल स्तर शहर की अट्टालिकाओं से बरबस पूछती सी लगती है, कि अपनी अट्टालिकाओं में सभी सुविधाएं तो जुटा लोगे , लेकिन सुहागन की बिंदी की तरह ज़रूरी जल कहाँ से लाओगे।

एक सवाल उठता है , कि जाति धर्म के नाम पर लड़ने वाले इंसान तुम पूजा और ईबादत के लिए भी जल क्या ज़लील होकर भी जुटा पाओगे? भगवान को कैसे नहलाओगे , कैसे वज़ु करोगे ?

उक्त जमीन की समतलीकरण के चित्र को देखकर पाठक बताएं कि क्या तालाब भरे जाने का अहसास मस्तिष्क को दस्तख़ नहीं देता !

दस्तावेजों को पढ़ा जा रहा है , कहने को बहुत कुछ है। आपने शब्दों से किस्तों में कहेंगे भी , लेकिन जमीन जिनका भी हो ,आपका ही रहेगा , आप मछली पलिये , कमाइए । आपका अधिकार है ,पर तालाब पर प्रकृति और जीवों का अधिकार है , ये न भूलियेगा ।

कहीं ऐसा न हो कि प्रकृति और जीवों का अभिशाप , जलस्रोतों को मिटाने वालों को मौत तो किसी 5 स्टार अस्पताल के लक्ज़री कमरे में दे और अंत समय में पानी का एक बूँद हलक को नहीं मिले।

समुद्री यात्रा में जहाज़ पर पानी ख़त्म हो जाने के बाद शेक्सपियर ने अथाह सागर को देखकर कहा था – “वाटर वाटर एभरीव्हेयर , बट नथिंग ए ड्रॉप टू ड्रिंक”

ठीक उसी तरह जमीं के सौदागरों के पास पैसे तो बहुत हों ,लेकिन अंत समय वातानुकूलित कमरे के गद्दे पर हलक को पानी की एक बूँद नसीब न हो😥

अयोग्य व्यक्तियों के घुसपैठ और करतूतों से पत्रकारिता पर लग रहा दाग।

पत्रकारिता और पत्रकार की मौलिकता और महत्व स्वतंत्रता आंदोलन के समय से स्थापित रही है । उत्तरोत्तर में पत्रकारों का स्थान समाज में ऐसी होती चली गई,कि किसी भी तरह के,किसी भी स्तर पर पीड़ितों के लिए अंतिम आशा के रूप में पत्रकारिता और पत्रकार नजर आने लगे।शासन प्रशासन और आम जनमानस के बीच की धुरी बन पत्रकारिता ने समाज में संतुलन का कार्य किया।निरंकुशता, अपराध,अनियमितता, सामाजिक कुरीतियों और हर तरह की अतिवादिता पर वाचडॉग की तरह पत्रकारिता ने अपनी उपयोगिता सावित की.ऐसे में पत्रकारिता में भी किसी न किसी स्तर कुछ व्यक्ति विशेषों के कारण कमियाँ दिखीं।लेकिन आज इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जमाने में जब सोशल मीडिया के पहियों पर सवार पत्रकारिता ने कस्बों,गाँव और गलियारों तक का सफ़र तय किया तो,इस पर कुछ अवांक्षित तत्वों ने भी सवारी कर ली। इसमें संदेह नहीं कि सोशल मीडिया ने सूचना क्रांति लाई और निरंकुशता पर अंकुश लगाया,लेकिन दूसरी ओर यह भयादोहन का जरिया भी बन गया।
पाकुड़ में भी ऐसे उदाहरण देखने को फिलवक्त दिख रहा है। जिले के अँचल कार्यालयों से पत्थर व्यवसायियों को एक नोटिस भेजा गया है कि वे निश्चित समय तक ये बताएं कि उनसे नोटिस में नामित व्यक्तियों ने भयादोहन का प्रयास किया है कि नहीं।चर्चा में है कि कुछ नामित व्यक्तियों द्वारा अखबार और पत्रकारिता के नाम पर पत्थर व्यवसायियों से भयादोहन का लिखित आरोप जिला प्रशासन को मिला है,और जिला प्रशासन अपने जिलेभर के विभिन्न अमलों द्वारा इस आरोप की जाँच करा रहा है।ये जाँच भी ज़रूरी है,चाहे आरोप सही हो या गलत।अगर कोई स्वयं को पत्रकारिता से पीड़ित होने का लिखित आरोप लगाए तो जाँच लाज़मी है।लेकिन आम पत्रकारों के मन में एक सवाल है कि अगर सही समाचार के प्रकाशन से आहत कोई नाहक आरोप लगा कर एक परम्परा बना ले तो पत्रकारिता और समाज की इस अंतिम आशा का क्या होगा ?
हाँलाकि इसे नकारा नहीं जा सकता कि सोशल मीडिया और इस डिजिटल युग में बहुत अनुपयोगी अयोग्य व्यक्तियों ने पत्रकारिता में घुसपैठ बना रखी है, जिससे पत्रकार और पत्रकारिता को बदनामी का दाग धब्बों का सामना करना पड़ रहा है।यह बहुत ही दुखद है।

पाकुड़: एसडीपीआई के कार्यालय में ईडी का छापा, मचा हड़कंप । मिला क्या नहीं बताया ED ने।

ईडी की टीम गुरुवार को पाकुड़ पहुंचकर मौलाना चौक से आगे बल्लभपुर स्थित सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यालय में छापेमारी की। दो इनोवा कार (जेएच 01 बीडब्ल्यू 5976 और जेएच 01 डीएम 4471) से आई ईडी की टीम एसडीपीआई पार्टी कार्यालय में सुबह करीब 10:45 बजे पहुंची थी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ईडी की टीम अहले सुबह ही पाकुड़ पहुंच चुकी थी। ईडी की टीम में कम-से-कम आधे दर्जन अधिकारी शामिल थे। वहीं टीम के साथ आधे दर्जन से ज्यादा सुरक्षा जवान मौजूद थे। यहां स्थित पेट्रोल पंप परिसर में ईडी का इनोवा पहुंची और टीम के अधिकारी कार उतरकर पंप के ठीक सामने स्थित एसडीपीआई पार्टी कार्यालय पहुंचे। पार्टी कार्यालय का शटर बंद था, तब तक ईडी कार्यालय के बाहर और आसपास के दुकानों में बैठे रहे। इस दौरान टीम के साथ पहुंचे जवानों ने अपना पोजीशन लेकर सुरक्षा में खड़े हो गए। इस दौरान रोड किनारे और एसडीपीआई कार्यालय तथा आसपास के दुकानों में खड़े जवानों पर आम लोगों की नजर पड़ी तो शुरू शुरू में लोग अचंभित रह गए। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यहां जवानों को क्यों तैनात किया गया है। बाद में धीरे-धीरे लोगों को एसडीपीआई के कार्यालय में ईडी रेड की जानकारी मिली। ईडी की छापामारी से हड़कंप मच गया। ईडी के पहुंचने के करीब आधे घंटे बाद एसडीपीआई कार्यालय का शटर खोला गया। इसके बाद ईडी के अधिकारी कार्यालय के अंदर गए और कार्यालय में रखें दस्तावेजों को खंगालने लगे। दोपहर 1:00 बजे तक जब खबर लिखी जा रही थी, तब तक ईडी की कार्रवाई जारी थी। इस दौरान सुरक्षा जवानों ने मीडिया कर्मियों को सहयोग की अपील करते हुए भीड़ इकट्ठा नहीं करने का अनुरोध किया। मीडिया कर्मियों को बताया गया कि शाम 5:00 बजे तक कार्रवाई चलने की संभावना है। इसलिए मीडिया अपना काम आराम से करें और ईडी के अधिकारियों को कार्रवाई करने में सहयोग करें। इधर खबर लिखे जाने तक ईडी के अधिकारी कार्यालय के अंदर रखे कागजातों को खंगाल रहे थे। हालांकि एसडीपीआई पार्टी के कोई भी स्थानीय नेता ईडी की कार्रवाई के दौरान कार्यालय में मौजूद नहीं थे। सूत्रों के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग में गिरफ्तार एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी के मामले में ईडी ने पाकुड़ में छापा मारा है। एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने फैजी के गिरफ्तारी का बुधवार को पाकुड़ में विरोध भी किया था। गिरफ्तारी के विरोध में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था।उल्लेखनीय है कि ईडी ने मनी लांड्रिंग के आरोप में एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी को गत मंगलवार को ही गिरफ्तार किया था। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ईडी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को कोच्ची (केरल) से दिल्ली पहुंचने पर पूछताछ के बाद इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था। मीडिया में आई खबरों से यह भी जानकारी मिली है कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले साल जनवरी 2024 में राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी का बयान दर्ज किया था। इसके बाद मार्च 2024 से फरवरी 2025 तक 12 बार राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी को ईडी ने तलब किया। लेकिन वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक एजेंसी का कहना है कि एसडीपीआई प्रतिबंधित संगठन पीएफआई का एक राजनीतिक मोर्चा है। एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी साल 2009 तक पीएफआई के सदस्य रहे।

25 फरवरी को प्रदेश कार्यकारिणी का हुआ था गठन

गत 25 फरवरी 2025 को ही एसडीपीआई के प्रदेश कार्यकारिणी का गठन हुआ था। पाकुड़ शहर के एक होटल में बैठक हुई थी। जिसमें एसडीपीआई के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने शिरकत किया था। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मो. शफी साहब (राजस्थान), पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इलियास मोहम्मद तुंबे, एनडब्लूसी मेंबर सह बिहार के प्रभारी डॉ महबूब आवाद शरीफ (बैंगलोर, कर्नाटका) एवं झारखंड प्रभारी अब्दुल सलाम (केरला) मुख्य रूप से मौजूद थे। बैठक में हंजिला शेख को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। जबकि हबिबुर रहमान उपाध्यक्ष बनाए गए थे। नई प्रदेश समिति में महासचिव एडमिन तहमीदुर रहमान, महासचिव संगठन शमीम अख्तर, सचिव वाजिदा खातून, अर्जुन टुडू व अमीर हमजा तथा कोषाध्यक्ष अवैदूर रहमान का चयन किया गया। वहीं समिति के सदस्य के रूप में शमीम अंसारी, उमर फारूख, अधिवक्ता अब्दुल हन्नान, हाजेरा खातून एवं गुलाम रसूल को रखा गया।

शहरी जलापूर्ति योजना को चालू कराने की कवायद तेज,टीम ने किया निरीक्षण

उपायुक्त मनीष कुमार के पहल पर शहरी जलापूर्ति योजना को चालू कराने की कवायत तेज हो गई है।इसी सिलसिले में रविवार को तांतीपाड़ा में बनी इंटरमीडिएट सम्प में बिजली आपूर्ति और अन्य समस्याओं के निराकरण को लेकर एक विशेष टीम के द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया गया। जिसमें नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार चौधरी,विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के सहायक अभियंता गिरधारी सिंह मुंडा,पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के सहायक अभियंता अभिजीत किशोर शामिल थे।इस दौरान महिला सामाजिक कार्यकर्ता मीरा प्रवीण सिंह,नगर परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष सम्पा साह एवं सामाजिक कार्यकर्ता हिसाबी राय भी विशेष रूप से मौजूद थे।इस दौरान सम्प में बिजली आपूर्ति को लेकर कई समस्याएं नजर आई। इसी दौरान दलदली भूमि और नालियों में आकर जमा हो रही गंदा पानी तथा इसी जमीन पर बीचों-बीच स्थित बिजली का ट्रांसफार्मर मुख्य समस्या के रूप में सामने उभर कर आई। निरीक्षण टीम ने दलदली भूमि को जल से मुक्त करने,नालियों में जमा हो रहे गंदे पानी के प्रवेश को रोकने और बिजली ट्रांसफार्मर को वहां से हटाकर पास में ही लगाने पर विचार विमर्श किया गया।इसी दौरान पास से ही ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल सम्प तक लगाने का निर्णय लिया गया।इस पर विशेष रूप से मीरा प्रवीण सिंह ने अपनी सहमति जताई और स्थान भी चिन्हित किया।इस दौरान कार्यपालक पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि शहरी जलापूर्ति योजना का पूर्ण ट्रायल करते हुए शहर के लोगों को गंगा का पीने का स्वच्छ पानी घर-घर उपलब्ध कराना है। इसलिए उपायुक्त के आदेश पर आज यहां निरीक्षण किया गया।इस दौरान जो भी समस्याएं सामने आई,उसे दूर करने का निर्णय लिया गया।उन्होंने बताया कि जल्द ही शहर के लोगों को पीने का पानी मिलना शुरू हो जाएगा।इस दौरान नगर परिषद के प्रधान सहायक देवाशीष जय बर्मन, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के कनीय अभियंता आशीष कुमार पटेल,नगर परिषद के सहायक अभियंता, कनीय अभियंता,सामाजिक कार्यकर्ता सुशील साह आदि मौजूद थे।

पाकुड़ जिले के बरमसिया गांव में हाल ही में एक महत्वपूर्ण खोज सामने आई है। भूविज्ञानी डॉ रणजीत कुमार सिंह एवं रेंजर रामचंद्र पासवान के संयुक्त प्रयास ने खोज निकाला जीवाश्म।

पाकुड़ जिले के बरमसिया गांव में हाल ही में एक महत्वपूर्ण खोज सामने आई है। भूविज्ञानी डॉ. रणजीत कुमार सिंह और वन रेंजर रामचंद्र पासवान ने संयुक्त रूप से यहां पर एक जीवाश्मकृत (पेट्रिफाइड) जीवाश्म की खोज की है, जो क्षेत्र के भूवैज्ञानिक और जैविक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

इस खोज के दौरान, टीम ने एक विशाल वृक्ष के जीवाश्मकृत अवशेषों को पहचाना, जो लाखों वर्ष पूर्व के हो सकते हैं। यह खोज न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र की प्राचीन प्राकृतिक विरासत को उजागर करता है।

डॉ. सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में और भी अनुसंधान की आवश्यकता है ताकि जीवाश्म की सटीक आयु और उसके पर्यावरणीय संदर्भ को समझा जा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस महत्वपूर्ण विरासत का अध्ययन और सराहना कर सकें।

वन रेंजर रामचंद्र पासवान ने स्थानीय समुदाय से अपील की है कि वे इस क्षेत्र की सुरक्षा में सहयोग करें और किसी भी अवैध गतिविधि से बचें जो इस महत्वपूर्ण स्थल को नुकसान पहुँचा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खोज से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

इस खोज के बाद, राज्य के पुरातत्व और वन विभाग ने संयुक्त रूप से इस क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है ताकि और भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्रित की जा सकें और क्षेत्र की जैव विविधता और भूवैज्ञानिक इतिहास को संरक्षित किया जा सके।

पाकुड़ जिले के बरमसिया गांव में हाल ही में एक महत्वपूर्ण खोज सामने आई है। भूविज्ञानी डॉ. रंजीत कुमार सिंह और वन रेंजर रामचंद्र पासवान ने संयुक्त रूप से यहां पर एक जीवाश्मकृत (पेट्रिफाइड) जीवाश्म की खोज की है, जो क्षेत्र के भूवैज्ञानिक और जैविक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

इस खोज के दौरान, टीम ने एक विशाल वृक्ष के जीवाश्मकृत अवशेषों को पहचाना, जो (10 से 14 . 5 करोड़) 100 से 145 मिलियन वर्ष पूर्व के हो सकते हैं। यह खोज न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र की प्राचीन प्राकृतिक विरासत को उजागर करता है।

डॉ. सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में और भी अनुसंधान की आवश्यकता है ताकि जीवाश्म की सटीक आयु और उसके पर्यावरणीय संदर्भ को समझा जा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस महत्वपूर्ण विरासत का अध्ययन और सराहना कर सकें।

वन रेंजर रामचंद्र पासवान ने स्थानीय समुदाय से अपील की है कि वे इस क्षेत्र की सुरक्षा में सहयोग करें और किसी भी अवैध गतिविधि से बचें जो इस महत्वपूर्ण स्थल को नुकसान पहुँचा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खोज से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

इस खोज के बाद, भू वैज्ञानिक वैज्ञानिक व प्रकृति पर्यावरण के शोधार्थी व अन्य इस क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण अध्ययन करने की योजना बनाई है ताकि और भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्रित की जा सकें और क्षेत्र की भू वैज्ञानिक हलचल घटना पर्यावरण संरक्षण
जैव विविधता और भूवैज्ञानिक इतिहास को संरक्षित किया जा सके।
डॉ रणजीत कुमार सिंह, मॉडल कॉलेज राजमहल साहिबगंज झारखंड के साथ पाकुड़ के और आसपास के महत्वपूर्ण संरक्षित जीवाश्म स्थलों का दौरा किया। उन्हें आसपास के क्षेत्र में मौजूद लकड़ी के जीवाश्मों के संरक्षण और परिरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से। कई दशकों से स्थानीय ग्रामीण यह सोचकर जीवाश्म लकड़ी की पूजा करते हैं कि यह आसपास की चट्टानों से अलग है, लेकिन अब पिछली एक सदी में भारत के भूविज्ञानी विशेष रूप से डॉ रणजीत कुमार सिंह भू वैज्ञानिक और दुनिया भर के गोंडवाना पौधे जीवाश्म शोधकर्ताओं ने गोंडवाना वनस्पतियों और जीवाश्म लकड़ी की व्यवस्थित रूप से पहचान की और उन्हें वर्गीकृत नहीं, झारखंड की इन अनूठी जीवाश्म लकड़ी को अगली पीढ़ी, भूविज्ञानी शोधकर्ताओं और इस क्षेत्र के विज्ञान और वैज्ञानिक समझ में रुचि रखने वाले आम लोगों के लिए संरक्षित और संरक्षित करने की सख्त जरूरत है। इसे देखते हुए, सीपीजीजी के बैनर तले बीएसआईपी ने आम लोगों, राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयास से अनूठी जीवाश्म लकड़ी के संरक्षण के संबंध में झारखंड वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी श्री मनीष तिवारी के साथ भू-विरासत विकास योजना का प्रस्ताव रखा। डॉ रणजीत कुमार सिंह
स्थानीय ग्रामीणों, प्रशासकों, वन विभाग, झारखंड राज्य के इकोटूरिज्म के साथ बातचीत की और इस क्षेत्र में एक अलग जियोपार्क कैसे विकसित किया जा सकता है, इस पर चर्चा हो , जिसमें इस क्षेत्र में पैलियोबोटैनिकल अनुसंधान की अपार संभावनाओं को देखते हुए भू-स्थलों के व्यवस्थित विकास के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया ऐसे जीवाश्म वनों का विरासत मूल्य अद्वितीय है और उन्हें उनकी प्राकृतिक स्थितियों में संरक्षित करने की आवश्यकता है, इसलिए यूनेस्को द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकृत मानदंडों को ध्यान में रखते हुए एक बड़े भू-पार्क का प्रस्ताव किया जाएगा।

*स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी से मिलकर रखी मांग , पत्रकारों को आयुष्मान भारत का कार्ड बनवाने का दिया जाए आदेश: शाहिद इक़बाल*

पाकुड़: स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी से राँची सरकारी आवास पर मिलकर झामुमो के पूर्व केंद्रीय समिति सदस्य शाहिद इक़बाल ने आवेदन देकर कहा कि झारखंड के विकास में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका की बेहतर भूमिका के साथ-साथ पत्रकारिता की भूमिका भी सराहणीय योग्य है. देश की आजादी से लेकर अलग झारखंड राज्य बनाने के आंदोलन में राज्य के पत्रकारों की सराहनीय भूमिका रही है. राज्य के पत्रकार काफी कम संसाधनों में अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों की पूर्ति के साथ-साथ राज्य और देश के विकास में राजनेता और जनता के बीच, प्रशासन और जनता के बीच और न्यायपालिका और जनता के बीच बेहतर संवाद का माध्यम बनते हैं. शाहिद इक़बाल ने कहा कि शहरी पत्रकारों के साथ-साथ ग्रामीण पत्रकारों की भूमिका भी काफी उल्लेखनीय है. ज्यादातर ग्रामीण पत्रकार गैरवैतनिक हैं. उन्हें ना तो उनके संस्थान की ओर से ना ही अन्य किसी माध्यम से आर्थिक सहायता मिलती है, जिससे वे अपने परिवार का गुजारा कर सके. बावजूद इसके ग्रामीण पत्रकार गांव-समाज की समस्याओं, राजनेताओं की सकारात्मक भूमिका से लेकर प्रशासन के कार्यों को जनता के बीच और गरीब जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने के कार्य में लगातार संघर्षशील है. कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के लिए अपनी महती भूमिका निभाई है और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी ने झारखंड अलग राज्य के निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाली पार्टी रही है. ऐसे में पत्रकारों के संघर्ष को ध्यान में रखते हुए उन्हें न्यूनतम सुविधाएं पहुंचाना भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
महोदय आपसे अनुरोध है कि राज्य के पत्रकारों को स्वास्थय विभाग की ओर से आयुष्मान भारत का कार्ड बनवाने का आदेश दिया जाए. जिससे वे आयुष्मान भारत कार्ड का इस्तेमाल अपने व अपने परिजनों के इलाज के लिए कर सकें. इससे एक ओर जहां सभी पत्रकार आपके प्रति आभारी रहेंगे. साथ ही साथ आपके इस ऐतिहासिक कदम को पत्रकार जीवनपर्यंत याद रखेंगे. माननीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द कार्रवाई की जाएगी।

*संस्था ने रेस्क्यू कर बचाया छोटे नंदी की जान*

पाकुड़ : सत्य सनातन संस्था के कोषाध्यक्ष एवं गौ सेवक दल के प्रमुख अमर ठाकुर ने सोमवार को पाकुड़ रेलवे फाटक के समीप एक छोटे नंदी जिसको किसी अनजान वाहन या किसी व्यक्ति द्वारा गंभीर चोट पहुंचा दिया था,को दोपहर 12 बजे देखा और उनकी व्यथा देख वो रह नहीं पाए उन्होंने तुरत संस्था के अध्यक्ष रंजित कुमार चौबे से संपर्क किया, श्री चौबे ने बात को गंभीरता से लेते हुए तुरत जिला अध्यक्ष हर्ष भगत के साथ उक्त स्थान पहुंचे तो देखा कि नंदी को काफी गंभीर चोट लगा है, एवं वो लहूलुहान है, उसका रेस्क्यू करने के लिए अध्यक्ष रंजित चौबे ने 1962 पर सूचना प्राप्त के 15 मिनट के अंदर ही 1962 के टिम मौके पर पहुंचे और संस्था के सदस्यों के सहयोग से उक्त छोटे गंभीर रूप से घायल नंदी का रेस्क्यू किया गया, मौके पर संस्था के दीपक राज गुप्ता, धीरज राज गुप्ता ,अरुण सिंह सहित अन्य मौजूद थे।

झारखंड के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ रवींद्र नाथ तिवारी ने राष्ट्रपति और झारखंड के राज्यपाल से मिलकर अपनी लिखी पुस्तक की भेंट।

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डॉ रविंद्र नाथ तिवारी ने झारखंड के राज्यपाल से मुलाकात की, “संथाल हूल, 1855” नामक किताब भेंट की बिहार -झारखंड के वरिष्ठ लेखक और पत्रकार डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी (Dr. Ravindra Nath Tiwari) ने झारखंड के राज्यपाल से संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की। डॉ. तिवारी ने बताया कि- रांची स्थित राजभवन में महामहिम राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार जी से मुलाकात के दौरान झारखंड की उच्च शिक्षा पर सार्थक चर्चा हुई। मैंने उन्हें अपनी किताब “संथाल हूल (30 जून 1855-56): भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम” और अपने संपादन में छपने वाली राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “भारत वार्ता” भेंट की। उन्होंने “हूल’ शब्द पर भी हमसे बात की। ‘हूल’ संथाली शब्द है जिसका मतलब होता है क्रांति अथवा विद्रोह। “संथाल हूल”की पहली प्रति देश की ‘प्रथम नागरिक’ महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को भेंट की गई थी। आजादी के अमृत काल के मौके पर मैंने यह किताब लिखी है जिसमें भारतीय आजादी की लड़ाई में झारखंड खासतौर से साहिबगंज जिले की अन्यतम भूमिका को रेखांकित किया गया है। यही नहीं इसमें यह प्रमाणित किया गया है कि 1857 का सिपाही विद्रोह नहीं बल्कि 1855 का संथाल विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। मैंने राज्यपाल को बताया कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ संथाल क्रांति हमारे गृह जिला साहिबगंज के भोगनाडीह गांव से 30 जून 1855 को शुरू हुई थी। इस विद्रोह का शंखनाद भोगनाडीह के रहने वाले सिदो-कान्हू नामक दो भाइयों ने अपने दो सहोदर भाइयों -दो बहनों और 30 हजार संथालों के साथ किया था। इस विद्रोह से निपटने के लिए बड़ी संख्या में इंग्लैंड से अंग्रेज अफसर और सैनिकों को मंगाना पड़ा था। अंग्रेज अफसरों ने लिखा कि ऐसा भयानक युद्ध उन्होंने पहले कभी नहीं देखा जैसा तीर- धनुष से लैश संथाल विद्रोहियों ने लड़ा। मेजर जार्विस ने लिखा-“पूरी लड़ाई के दौरान न कभी संथाल क्रांतिकारी न पीछे हटे और न कभी पीठ दिखाया।”
इस क्रांति की आग संथाल परगना प्रमंडल से धधककर झारखंड के बड़े हिस्से से होते बिहार में भागलपुर, मुंगेर, बाढ़ -मोकामा, पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्से में फैल गई थी। विद्रोह को दबाने के लिए इतिहास में पहली बार अंग्रेजों ने सैनिकों को ढोने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल किया था। इस विद्रोह की विस्तृत चर्चा उस समय के अंग्रेजी अखबारों, पत्रिकाओं, किताबें और रिपोर्टो में मिलती है।
महामहिम ने कहा कि पुस्तक को पढ़कर अपना विचार आपको भेजेंगे।
उत्तर प्रदेश के बरेली लोकसभा सीट से आठ बार चुनाव जीतकर अटल व नरेंद्र मोदी सरकार में कई टर्म मंत्री रहे संतोष कुमार गंगवार देश के कुछ अनुभवी, संवेदनशील, विकासवादी सोच और जनसरोकार वाले नेताओं में से हैं। वे 78 साल के हैं। फिजिक्स के छात्र रहे हैं और उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की है।