Monday, December 23, 2024
Home Blog Page 18

ED के ख़ौफ़ से धीरे धीरे खुल रहे खनन से जुड़े कई राज, अब चालान की चलन पर भी पड़ी प्रशासनिक नज़र

मुफस्सिल थाना पाकुड़ में Puja तथा ED जाँच की गहमागहमी के बीच एक अवैध चालान का मामला दर्ज। काण्ड संख्या-128/22धारा -467/468/420/34आई पी सी पर अखबार रंगे। ख़ूब लिखा गया। मेसर्स राहुल मेटल्स, प्रोपराइटर गोपी साधवानी पिता स्व.चंदूमल साधवानी पर कलम ख़ूब गरजे। अब पुलिस तथ प्रसाशन की तहकीकात कहाँ तक सधती है, ये तो वक़्त बताएगा।

आश्चर्य है, जो चलान ऑन लाइन निकाला ही नहीं गया। उसी एक नम्बर की चालान पर अलग अलग गाड़ियाँ पत्थर कैसे ढो रही थी ? ग़ज़ब ये है, कि वो चालान ऑन लाइन नहीं निकला था। उसी नम्बर के चालान पर कई गाड़ियाँ पत्थर लेकर एक ही चेक पोष्ट से गुजरती रही। मतलब साफ़ है कि सभी गाड़ियों के पास जब चलान थे, तो क्लोन चलान बना होगा। इस पर मैंनें ही कई बार लिखे थे। लेकिन कभी जाँच नहीं हुई।

किसी अखबार में ये सवाल नहीं उठा कि साहेबगंज का चालान पाकुड़ में कैसे ? एकदम उलटे रूट पर! ऐसे ही पाकुड़ के क्लोन चलान साहेबगंज के कोटालपोखर रुट पर भी चलता है।

खैर एक से एक चलान माफिया, डॉन सरीखे यहाँ दशकों से सक्रिय हैं। उसी मुफस्सिल थाने के थाना कांड संख्या 83/12/4/2008 तथा 124/ 14/6/2008 के पुलिस डायरियों को अगर खँगाल कर देखा जाय तो राख से रसूख़ तक पहुँचने वाले कई लोगों की कलई खुल जाएगी। मैं ED से अनुरोध करूँगा कि इन थानाकांडो को भी अपनी गिरफ्त में लेकर जाँचे। इतने माल कई अचानक बने मालदारों के पास जप्त होंगे कि……।

अवैध चालानों की कुंडली तथा पाकुड़ और साहेबगंज के खदानों की मापी घनफुट में निकले हिसाब से कर लिया जाय। तो गबन किये गए पैसों से झारखंड की 5 साल की बजट बन जाय। अभी बहुत कुछ खुलेगा। बस ED खंगालती जाए, राज निकलते जाएँगे।

रेलवे से तो बिना चलान के चलन की बात खुल ही चुकी है। आगे भी खोलूँगा, करूँगा खुलासा। सबसे तेज़ नही थोड़ा विलम्बित है इस पेज़ की चाल।

इल्लीगल खनन की सख़्ती पर व्यवसायियों के सवाल सरकारी तन्त्रों पर परोक्ष रूप से लगा रहे दोहरे आरोप

पाकुड़ के मालपहाड़ी रेलवे पत्थर लोडिंग प्लॉट पर प्रशासन ने करवाई कर जब सख्त चेहरा दिखाया। तो पत्थर व्यवसायी व्यवस्था पर अंगुली और मजदूरों की भुखमरी की बात उठाने लगे। मजदूरों को भड़काने लगे। तथा उनकी भूख पर राजनीति करने लगे। लेकिन ये भूल गए कि व्यवस्था पर ये दोहरा सवाल उठा रहे हैं।

सरकारी सुविधाओं को जिला प्रशासन अंतिम व्यक्ति तक पहुँचा रहे हैं। है कि नहीं। राशन-मुफ़्त वाला राशन और भी बहुत कुछ। ऐसे में दो-चार दिनों में मजदूर भुखमरी तक कैसे पहुँच गए ? आधे दर्जन से ज़्यादा मजदूर संगठन जो मजदूरों के लिए तथाकथित ढंग से खड़े हैं। क्या मजदूरों को राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं- सुविधाओं तथा व्यवसायियों से मिलने वाले अधिकार नहीं दिला पा रहे ?

ऐसा तो नहीं होगा, कि काम बंद होने पर मजदूर यूनियन मजदूरों को मिनीमम वेजेज़ नहीं दिला पा रहे होंगे। सरकारी तंत्र सरकारी सुविधाओं और योजनाओं को भी मजदूरों तक नही पहुँचा रहे ऐसा भी नहीं होगा। स्वयं मालिक अपने मजदूरों की विपरीत परिस्थितियों में साथ न दे ऐसा भी नहीं होगा। तो फिर व्यवसायी एक ओर अपने व्यवसाय के कागज़ातों के आसानी से न बनाने। और मजदूरों के दो दिनों में भुखमरी तक पहुँच जाने की बात कर सरकारी तंत्र पर दोहरा आरोप नहीं लगा रहे। सोचना होगा और सभी को सोचना चाहिए। और श्रमविभाग ?

प्रशासन सख्त, डाल-डाल, पर वो तो पात-पात ही रहेंगे

ED कुछ भी करे या प्रशासन डंडा चलाकर रफ़्फ़ु करे, यूँ इतने दिनों तक नहीं की है Puja  |  प्रशासन सख़्त, पर हम तो पात-पात रहेंगे

एक बार मोबाइल फिर बज उठता है। मैं भी उसे उठा लेता हूँ। दुआ सलामों के बाद मेरे या कागज़ात बनवाने में जूते घिस जाते हैं। लेकिन अफसरशाही के चक्कर में सही कागज़ात बन नहीं पाते। मज़बूरी में व्यापार करना पड़ता है। मजदूरों का भी ख़याल रखकर काम तो करना है, रोज़गार तो देना है। अखबार भी व्हाट्सएप पर पढ़ा, ठीक वही बात लिखी थी। अवैध खनन पर लेसियों की बातें बिलकुल सही है। सरकार कोई ऐसी व्यवस्था नहीं करती कि एक जगह सभी वैध कागज़ात बनाकर आराम से व्यापार किया जाता ।

खैर अगर सरकार और व्यवस्था में कमी है, तो किसी भी कीमत पर अवैध ढंग से व्यापार करना उचित भी नहीं। लेकिन मजदूरों के रोजगार को ढाल बनाकर शासन प्रशासन की करवाई से बचने का बहाना ढूँढना उचित नहीं ठहराया जा सकता। खैर धरना प्रदर्शन और घेराव आदि का उदाहरण पर लिखने से परोक्ष रूप से चेताया गया।

अँधों और गंजों की शहर में आईना और कंघी बेचने निकल पड़े हैं हम। मुझे तो ऐसा ही लगा। पता नहीं लोग शब्दों को सिर्फ़ क्यूँ देखते हैं ! उसकी बुनावट को भी समझें कृपया।
मैं आग्रह करूँगा कि मेरे सभी आलेखों को पढ़ कर देखें और तौलें-समझें।

सोने नहीं दिया इन बातों ने। शबभर (रातभर) घूमा। कहने को सबकुछ ठीक है, लेकिन कुछ ठीक नहीं। शबभर ग़ज़ब के सबकुछ दिखा। ओभरलोडेड गाड़ियाँ चलतीं हैं। ज़रा चित्र में ओभरलोडेड ट्रक देखिए, शहर में मेन रोड पर दिखा। हम भी मुफस्सिल थाने के चेकपोस्ट तक अपनी नज़रो से आर्यियात आये। चेक पोस्ट से जब दूर से गुजरते देख लिया तो लौट आए। फिर जहाँ गया वहाँ दिखा और जाना कि लगातार ट्रकों का आना जाना जारी है। खासकर रात में ज्यादा। पत्थरघट्टा चेकपोस्ट मेजिस्ट्रेट और cctv कैमरा लगाया गया है।परन्तु पीपल जोड़ी से चेंगाडंगा हमरुल कान्हुपुर होते हुए राजग्राम की ओर जाने वाले रास्ते से अनवरत परिवहन जारी है।

जिला प्रशासन अवैध खनन पर सख्त, की अधिकारियों के साथ बैठक, दिए निर्देश

इस अंक में विशेष

  • डीसी – एसपी ने खनन टास्क फोर्स की बैठक की
  • अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा निर्देश
  • अवैध खनन करने वालों पर करे सख्त कार्रवाई

पायुक्त श्री वरुण रंजन व पुलिस अधीक्षक एच. पी.जनार्दनन की अध्यक्षता में शुक्रवार को जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। इस दौरान उपायुक्त ने अवैध कोयला, अवैध पत्थर, अवैध बालू उठाव, अवैध खनन के रोकथाम के लिए पूर्व के बैठक में लिए गए निर्णय के अनुपालन की बिन्दुवार समीक्षा करतें हुए जिला खनन पदाधिकारी द्वारा की गयी कार्रवाई का ब्यौरा लिया। जिला खनन पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि स्पेशल ड्राइव में अभी तक हुई कारवाई में 35 क्रशर को सील किया गया है। जिले में कुल 11 चेकपोस्ट संचालित है। सभी चेकपोस्टों पर मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारी प्रतिनियुक्त है। पांच चेकपोस्टों पर सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है। जिले में रजिस्टर क्रशर 226 है। उपायुक्त ने कहा कि रात में चेक पोस्टों पर बाहर से आ जा रहे वाहनों को जांच करे। चेकपोस्ट पर प्रतिदिन रजिस्टर का जांच करें, कि कितनी गाड़ी निकली है, और कितनी गाड़ियों की जांच की गई, संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रतिदिन रिपोर्ट ले, और उसका रिकॉर्ड जरूर रखें। उपायुक्त ने बताया कि अवैध छापेमारी के दौरान संबंधित पदाधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि जिसका सीटीओ फेल हो गया हो, उसने सीटीओ के लिए रि अप्लाई किया है तो सील कर छोड़ दिया जाए। जिसने रि अप्लाई नहीं किया हो तो सील कर एफआईआर दर्ज करें। उपायुक्त ने संबंधित जिला टास्क फोर्स के सदस्यों को निर्देश दिया कि 5 दिनों के अंदर में सभी क्रशर एवं चेकपोस्ट का जांच कर ले। साथ ही जिला खनन पदाधिकारी को अवैध खनन करने वालो पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

दिनांक- 01.06.2022 से 15.06.2022 तक अवैध मिनिरल्स के रोकथाम हेतु जिले में चलाये जा रहे हैं स्पेशल ड्राइव- उपायुक्त

इसके अलावे उपायुक्त ने बैठक के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को निदेशित करते हुए कहा कि मेजर व माइनर मिनरल्स के कार्यो में किसी भी प्रकार से अवैध खनन व ढुलाई ना होने पाए। उपरोक्त कार्य में किसी की भी संलिप्तता पाई जाती हैं तो जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत संबंधित व्यक्ति/संस्थान पर कार्यवाई किया जाय।

उपायुक्त ने अधिकारियों को दिया टीम भावना के साथ कार्य करने का निर्देश

बैठक के दौरान उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया कि सभी आपसी समन्व्य स्थापित कर अवैध खनन, गाड़ियों द्वारा अवैध ढुलाई पर अंकुश लगाने हेतु टीम वर्क के रूप में कार्य करें, ताकि त्वरित व उचित धाराओं के साथ कानूनी कार्रवाई की जा सके।

इस बैठक में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री रजनीश कुमार, अपर समाहर्ता श्रीमती मंजू रानी, अनुमंडल पदाधिकारी श्री हरिवंश पंडित, जिला खनन पदाधिकारी श्री प्रदीप कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी श्री संतोष कुमार गर्ग, मुख्यालय डीएसपी श्री बैधनाथ प्रसाद, पाकुड़ एसडीपीओ श्री अजीत कुमार विमल, सभी सीओ एंव सभी थाना प्रभारी उपस्थित थे।

इसे भी पढ़े

फिर 28 क्रशर सील, Puja की थाली में रेलवे भी शक के दायरे में, लेकिन करवाई के नाम पर फिर से झोंका गया धूल

इस अंक में विशेष

  • Illegal minning, में Puja की सजी थाली के एक कोने में Railway भी है जाँच के दायरे में।
  • ED को खंगालने चाहिए Hawda और Malda DRM ऑफिस के DCM कार्यालयों की फाइलें।
  • मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में सुरक्षा मानकों का ठेंगा दिखाकर किया जाता स्टोन चिप्स लोड।
  • अगर जांच होगी तो कई सनसनीखेज खुलासे से नही किया जा सकता इनकार।

पाकुड मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में प्रदूषण अनापत्ति प्रमाण पत्र (पॉल्युशन क्लियरेंस सर्टिफिकेट)की समय अवधि समाप्त होने के बावजूद लगातार रैक लोडिंग का काम धड़ल्ले से चल रहा है। वहीं रैक लोडिंग में नियमों की धज्जियां भी उड़ाई जा रही है। इस साइडिंग क्षेत्र की कई वीडियो और तस्वीर है। जिसका जिंदा सबूत चौका देने वाली है।

इस खबर के साथ लगा हुआ चित्र आपको अचंभित करेगा। रेलवे सुरक्षा मानकों को अगर देखा जाए तो रेल लाईन पर कोई दूसरा व्हिकल या वाहन अगर चलता है या जाता है तो आरपीएफ उस पर कानूनी कार्रवाई करती है। आप पाकुड़ के मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग पर अगर सिर्फ लोडिंग करने के तरीकों को देख लें तो आपको यहां सुरक्षा नियमो का ठेंगा दिखाते लोग दिख जाएंगे।

पत्थर लोडिंग के लिए जो रेलवे प्लॉट अलॉट किया जाता है वह अप और डाउन लाइन से एक नियत दूरी पर की जाती है। जहां व्यवसायी अपना तैयार माल स्टॉक करके रखे, और मजदूर सुरक्षा नियमों का ध्यान रखते हुए रेल बोगी पर लोड कर दें। लेकिन मालपहाड़ी साइडिंग पर ऐसा कुछ नही दिखेगा। जहां मन तहां तैयार माल को डंप किया जाता है और फिर मजदूरों का रोजगार निगलने वाले डायनासोर बुलडोजर से माल लोड किया जाता है।

चूंकि डंप किया हुआ स्टोन चिप्स रेलवे लाइन पर ही रहता है ऐसे में ये डायनासोर रेल लाइन पर बीछे पत्थरो को भी समेटकर लोड कर देते हैं। अप एवं डाउन लाइन के बीच में आमतौर पर जो भी लाइन होता है वो दूसरे प्लॉट पर जाने वाली गाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए होता है। उस पर किसी भी तरह माल डंप करना या फिर लोडिंग के लिए गाड़ी को खड़ा करना, आदि सब रेलवे सुरक्षा नियमों के विपरीत है लेकिन मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग क्षेत्र में ये बातें आम है, और कहा जाता है कि यह सब अनियमितता नीचे से ऊपर तक सुविधा शुल्क को ठेलते हुए किया जाता है। इस विषय पर कोई भी रेल पदाधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते हैं। एक सामान्य सी बात है कि एक आदमी को भी यहां झुठलाते सुरक्षा के कार्यों को देखकर अंदाजा लग जायेगा।

सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ है। कि कई महीने पहले जब पॉल्यूशन अनापत्ति प्रमाण पत्र हो गया है खत्म। तो फ़िर सरकारी नियमों को धता बता कर कैसे हो रहा इंडेन्ट।

2 जून के इस पेज ख़बर पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 28 क्रशर सील

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की सीमा अवधि खत्म होने के बाद भी रेलवे साइडिंग में पत्थर उत्पादन और लोडिंग से संबंधित बातों को पढ़ा। प्रशासन गम्भीर हुआ। इसे इतना गंभीरता से लिया है कि एक बार फिर खदानों की नापी नही कर धूल झोंकने का बड़ा प्रयास हुआ। प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे साइडिंग में संचालित 28 क्रशरों को सील कर दिया है। मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग में कम से कम 28 क्रशरों को सील कर दिया।

लेकिन रेलवे से कोई सवाल नहीं किया। न ही खदानों से कितना घनफुट पत्थर निकला और कितना डिस्पेच आदि की जाँच की जहमत उठाई। जबकि जिला टास्क फोर्स की टीम के साथ दुमका से प्रदूषण नियंत्रण की टीम भी पहुंची थी। दोनों टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए क्रशरों को सील किया। इस दौरान क्रशर मालिकों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कई क्रशर मालिक क्रशरों को बंद कर भाग खड़े हुए।

मिली सूत्रों से जानकारी के मुताबिक टीम के पहुंचने की खबर मिलते ही क्रशर में कार्यरत मुंशी, खलासी, मजदूर सारे भाग गए। इस दौरान खासकर क्रशर मालिकों में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचकर टीम ने एक तरफ से कार्रवाई शुरू की। फिर बारी बारी से क्रशरों को सील कर दिया।

उल्लेखनीय है कि रेलवे साइडिंग में संचालित क्रशरों से प्रोडक्शन किए जाने वाले पत्थर चिप्स मालगाड़ी में लोडिंग होकर दूसरे प्रदेशों और देश में भेजा जाता है। जिसमें कई बार नियमों की अनदेखी के मामले सामने आते रहे हैं। फिर भी क्रशर मालिक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदूषण से जुड़ी प्रशासन द्वारा निर्गत सर्टिफिकेट की सीमा खत्म हो चुकी है। फिर भी धड़ल्ले से क्रशरों का संचालन जारी था। जिला टास्क फोर्स की टीम में एसडीओ हरिवंश पंडित, जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार साह, सीओ आलोक वरण केसरी, सीआई देवकांत सिंह एवं दुमका से प्रदूषण नियंत्रण विभाग के कई अधिकारी पहुंचे थे।

इन सबके बावजूद जिन लोगों ने पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लिए थे, उन्होंने नियमों का पालन किया भी की नही। इसे देखने जाँचने और उसपर FIR या करवाई की बात नहीं हुई।
हद है भाई !

इसे भी पढ़े –

Puja Singhal तथा अवैध खनन के ED जाँच में क्या रेलवे को है विशेष छूट ?

पाकुड़ प्रशासन ने DC-SP के नेतृत्व में की सख़्त कारवाई, माफियाओं में ख़ौफ़

Puja Singhal तथा अवैध खनन के ED जाँच में क्या रेलवे को है विशेष छूट ?

30 अप्रेल को ही रेलवे के मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग पर प्रदूषण अनापत्ति प्रणाम पत्र की समय सीमा हो गई है खत्म। तो फिर कैसे हो रहा है लगातार इंडेन्ट तथा लोडिंग ?

झारखंड में ED, Puja ,अवैध खनन तथा इस उससे जुड़े मामलों, अधिकारियों एवं व्यवसायियों की कुंडली खंगाल रही है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है की पाकुड़ के तकरीबन सवा सौ साल पुराना पत्थर उधोग सड़क मार्ग से फरक्का बैरेज बनाने के समय से ही अपना व्यवसाय कर रहा है। इससे पहले और आजतक पत्थर उधोग का सबसे बड़ा माध्यम पाकुड़ स्थित मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग क्षेत्र ही रहा है। रेलवे के द्वारा रेलवे को एवं अन्य प्राइवेट कंपनियों को लगातार पत्थर सप्लाई रेलवे रेक के द्वारा ही किया जाता रहा है। रेलवे साइडिंग में कई तरह की अनियमितताएं हैं, अगर सही ढंग से हर पहलू पर इसे खंगाला जाए तो रेल अधिकारियों के साथ साथ व्यवसायियों की कुंडलियों का वह सब पन्ना खुल जायेगा।

जिसमें शनि, राहु, केतु सब ग्रहों की क्रुर दृष्टि का सामना करना पड़ जायेगा। ईडी, सीबीआई सबका माथा घूम जाएगा।और ऐसे ऐसे मामले खुलने लगेंगे की रेलवे डिवीजन में भूकंप सा आ सकता है। नियम है कि रेलवे अपने लोडिंग साइड पर तभी इंडेंट कर सकता है जब उनके पास प्रदूषण क्लियरेंस सर्टिफिकेट हो। चूंकि रेलवे से होने वाली माल ढुलाई भारत सरकार का पूर्ण रूप से एक व्यवसायिक कार्य है। ऐसे में अगर रेलवे ही नियमों के विरुद्ध कार्य करे। तो फिर ईडी या कोई भी जांच एजेंसियां प्राइवेट रूप से कार्य करने वाले अवैध खनन एवं सम्प्रेषण पर कैसे डंडा चला सकता है ! झराखण्ड में इन दिनों इस मामले पर सरकार गिरने और गिराने तक की बात हो रही है।

सांसद और विधायक ट्यूटर पर सरकार के विरुद्ध ट्यूटर ट्यूटर खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो ईडी अवैध खनन की जांच नही बल्कि कोई घनघोर बारिश लेकर चली आई है।और सारे के सारे नेता बरसाती मेढक की तरह टार्टराने लगे है। अगर ईडी को जांच करनी ही है और उसे केंद्र सरकार का तोता भी नही साबित होना है। तो ईडी सबसे पहले वृहत पैमाने पर होने वाले रेलवे के पत्थर डिस्पैच को खंगाले। ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं, कि पाकुड में रेलवे साइडिंग मालपहाड़ी में लिया गया प्रदूषण अनापत्ति अनुज्ञप्ति जो रेलवे के द्वारा ही लिया जाता है। उसकी समय सीमा 30 अप्रैल को ही खत्म हो गई है। बावजूद इसके इंडेंट जारी है, लोडिंग हो रही है और पत्थरों का सम्प्रेषण लगातार किया जा रहा है। क्या यह अवैध नही?

इस बाबत जब चीफ यार्ड मास्टर से सवाल किया गया तो उन्होंने मामले अपने ऊपर से टालते हुए वरीय अधिकारी पर फेंक दिया।

सीनियर डीसीएम जो रेलवे के डिविजनल स्तर के पदाधिकारी है को जब पूछा गया तो उन्होंने सवाल को एक मोड़ देते हुए उल्टे यह कहा कि पाकुड़ मालपहाड़ी बहुत ही पुराना रेलवे साइडिंग है। आप जानते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड सरकार को इसके लिए पत्र लिखा गया है।

अब सवाल उठता है कि अगर उन्होंने पत्र लिखा भी है तो बिना क्लियरेंस मिले इंडेंट लोडिंग कैसे जारी है? इसके लिए राज्य या रेलवे किसी के भी अधिकारी जिम्मेदार हों लेकिन काम तो अवैध ही हो रहा है। क्या इसपर ईडी का डंडा लहराएगा ? यह यक्ष प्रश्न है।

आस्था का केंद्र है पाकुड़ का नित्यकाली मंदिर, दूर दूर से मन्नतें माँगने आते हैं लोग

पाकुड़ । राजापड़ा महल्ले में स्थित नित्यकाली मंदिर सिर्फ़ पाकुड़ ही नहीं, बल्कि तंत्र साधकों के बीच दूर दूर तक विख्यात है। स्वाभाविक रूप से तंत्र साधकों से जुड़े लोग नित्यकाली काली के दर्शन करने आते रहते हैं। बंग्ला सन 1222 यानी सन ई. 1700 के उत्तरार्ध में बना यह मंदिर अपने अंदर एक गूढ़ इतिहास और कई किंवदंतियों को समेटे हुए है।

तांत्रिक विधि से स्थापित यह मंदिर पाकुड़ की समृद्ध इतिहास की कहानी, मंदिर के अंदर स्थित मूर्तियों की ज़ुबानी ही सुनाती बरबस नज़र आ जातीं हैं।

नित्य पूजन लेने वाली माँ नित्यकाली की दक्षिणामूर्ति शिव सहित एक ही काले पत्थर को तराश कर बनाई गई है। माँ के पैरों तले लेटे शिव की मूर्ति गुप्तकालीन मूर्तिकला प्रतिबिंब सा है, तो माँ की मूर्ति मध्यकालीन ऐतिहासिक मूर्तिकला का परिचायक सा दिखता है। काली की मूर्ति के ठीक सामने आँगन की दूसरी ओर गणेश की मूर्ति स्थापित है। स्वस्तिक की तरह दिखनेवाले मंदिर का आँगन में हर तरफ सफ़ेद और काले पत्थरों के 34 शिवलिंग स्थापित हैं, जिसे तांत्रिक मान्यताओं के अनुसार विभिन्न भैरव की उपाधि प्राप्त है, लेकिन सामान्य श्रद्धालुओं के लिए ये शिवलिंग के रूप में मात्र पूज्य हैं, जबकि तंत्र साधक जो गुप्त रूप से मंदिर में सामान्य वेशभूषा में आकर पूजा करते हैं , इन शिवलिंगों की पूजा विभिन्न भैरवों के रूप में करते हैं।

इस मंदिर की स्थापना से सम्बंधित कई कहानियां प्रचलित हैं। कहते हैं कि राजा पृथ्वी चन्द्र शाही ने जब मोहनपुर से राजापाड़ा में राजवाड़ी एवम अपनी प्रजा सहित राजकर्मचारियों के लिए एक छोटे कस्बे का निर्माण कराया तो , आम जनजीवन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया , तालाब, सड़क, नालियाँ यहाँ तक कि श्मशान तथा कब्रिस्तानों तक की व्यवस्था का प्रावधान रखा। इसी क्रम में एक रात राजा शाही को माँ नित्यकाली ने स्वप्नादेश दिया कि राजवाड़ी के बगल में एक निश्चित स्थान पर खुदाई करवाओ , वहीं एक बड़ा काला सा शिलाखंड निकलेगा , उसे बनारस के एक नियत मूर्तिकार से मूर्ति का निर्माण करा कर मेरा पँचमुंडासन पर स्थापना कर मंदिर बनवाओ।

उधर बनारस में भी उस नियत मूर्तिकार को भी पाकुड़ आकर मूर्ति बनाने का आदेश स्वप्न में माँ ने दे रखा था। सुबह जब तक राजा राजपुरोहित से इस स्वप्नादेश की चर्चा करते , बनारस के वो मूर्तिकार राज प्रासाद में पहुँच चुका था। स्वयं तंत्र के अच्छे जानकार रहे राजा शाही  ने पूरी व्यवस्था के साथ वर्तमान में स्थित कालिसागर तालाब के पास खुदाई करवाई, स्वप्नादेशानुसार काला शिलाखंड मिला और मंदिर का निर्माण भी हुआ। ऐसी ऐतिहासिक कहानियों को समेटे यह मंदिर आज भी पाकुड़ के समृद्ध इतिहास की कई कहानियां कहता और गढ़ता खड़ा है।

आस्था के इस ऐतिहासिक प्रतीक से जुड़ी अनेक कहानियां कहता मन्दिरों के शहर पाकुड़ में अन्य पंथ के भी कई गवाह उपस्थित हैं, क़स्बे से नगर बने इस शहर को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाता है। हम समय समय पर इन ऐतिहासिक गलियारों से अपने पाठकों को रु-ब-रु कराते रहेंगे।

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर सभी पत्रकारों को बधाई और आज ही लिखी मेरी दो कविताएं

हिन्दी पत्रकारिता दिवस की सभी पत्रकार मित्रों को बधाई।
हिन्दी पत्रकारिता की श्याही ने कई इबारतें लिखी है, इसकी श्याही कभी न सूखे इसका हम सभी मित्र संकल्प लें।
जय पत्रकारिता
हिन्दी पत्रकारिता जिन्दावाद

गमला और खुला आँगन

मैं और तुम,
एक ही आँगन में,
उपजे दो पौधे,
बिलकुल अगल बगल,
समय के साथ बढ़े,
आँधियों में भी ,
झोकों ने हमेशा,
हमें गले मिलाकर,
सहारा बनाया एक दूसरे का,
मैं खुले आँगन में झेलता रहा,
कड़ी धूप-बारिश और हवा के तेज थपेड़े,
समय ने उस आँगन से,
तुम्हें उठाकर सजी – सुंदर,
कंक्रीट की बालकोनी के गमले में सजा दिया,
छोटे से गमले में,
रसायनिक खादों में ख़ूब फले तुम,
छाँव तो नही दे पाए,
पर फलों से ख़ूब नवाज़े तुमने,
मेरी आँगन में मैंनें फल तो कम दिए,
या यूँ कहो दिए ही नही,
लेकिन आँगन के खुले आसमान,
तथा उसकी अंतहीन गहराई लिए जमीन में,
मेरी जड़ें गहरे उतरी,
टहनियों ने खुलकर हाथ फैलाये,
बालकोनी से फल तोड़ लोग,
मेरी फैली शाखों की छाँव में,
सकून से फल खाएं सबने,
बस फल तोड़ने में लोग ,
तुम्हारे गमले में जड़ें हिला आये,
और मेरी छाँव में सकूँ से बैठे,
गद्दारों ने खोद दिए जड़ मेरे।
हम दोनों के जगह बदले,
वातावरण बदला,
तुम्हारे चारो तरफ़ चमक-धमक
मेरे पास वही पुरानी और
पुरानी कहानी,
न अब तुम,
न मैं अब
कुछ भी समझ सकते
एक दूसरे को,
ऐसे भी तुम्हें गैरों से कब फ़ुर्सत
मैं अपने गम से कब ख़ाली ?

तेरी महक़ में अब क्यूँ बू निकले !

तेरे आने की,
किसी भी रूप में,
जब ख़बर निकले ,
न तेरी महक़,
और न ही तुम निकले ,
हर बार तेरे चारों ओर ,
वही सड़ांध की बू निकले ,
हाय तेरी महक़ को,
तरस गया मैं ,
मगर क्या करूँ ?
न तुम निकले ,
न तेरी महक़ निकले ,
नहीं नहीं अब मुझे तेरी ,
ज़ुस्तज़ु भी नही ,
मैंनें क्या समझ रखा था ,
और तुम क्या निकले !
छोड़ो शिकायतें नहीं तुमसे,
तुम जो भी निकले ,
बहुत ख़ूब निकले ,
एक हम थे कि ,
बड़े नादां निकले ,
तेरे वादे पे जिये हम ,
क्या कहें कि हम क्या क्या निकले।

Puja Singhal, ED जाँच में जेल में कीड़ों-मच्छरों से कटवा रही है, इधर कारवाई के नाम पर तोड़े जा रहे सिर्फ़ कन्वेनर। अवैध खनन को क्यूँ छुपाया जा रहा ?

प्रशासनिक करवाई कर रहा कंफ्यूज्ड , खदानों को क्यूँ नहीं हो रही नापी ?

क सुधि भारतीय नागरिक होने के नाते प्रशासनिक सक्रियता की दिशा से मैं हतप्रभ तथा कंफ्यूज्ड हूँ। ED ने झारखंड में छापा क्यूँ मारा है ? क्या क्रशर अवैध चल रहे हैं , या खनन अवैध हो रहा है, इसलिए ? ED ने छापा मनरेगा घोटाले पर मारा। बिच्छू के बिल से साँप निकल आया। ED ने साँप पर तहकीकात शुरु की। पन्नें खुलते गए, कारवां बढ़ता गया।
चलिए प्रशासन की ED के ख़ौफ़ से हो रही कन्फ्यूज करने वाली कार्रवाइयों को समझते हैं—

क्रशरों को क्यूँ तोड़ा जा रहा है ?

क्रशर पूरे संथालपरगना के हर जिले में तोड़ा जा रहा है। सबसे पहले ये समझें कि अगर क्रशर बिना किसी आदेश के सरकारी जमीन पर है। तो अंचलाधिकारी उसे भेकेट कराने की करवाई नियमानुसार कर सकते हैं। अगर क्रशर रैयती जमीन पर है, तो उसे किस नियम के अनुसार तोड़ा जा रहा है ? तथा उसे तोड़ने पर अवैध खनन कैसे बंद हो सकता है ? कोई कागज़ी कमी नियमानुसार है तो सम्बंधित विभाग करवाई करेगा, तोड़ने के अलावा। क्या क्रशर में पत्थर आसमान से बरसता है ? नहीं ।

अब तक खदानों पर क्या हुआ ?

उन क्रशरों को पत्थर कहाँ से प्राप्त होता है ? खदानों से ही न ? तो अवैध खनन अगर हुआ तो कहाँ हुआ ?
स्वाभाविक रूप से खदानों से। अब तक कितने खदानों की नापी कर घनफुट के हिसाब से मूल्यांकन कर रॉयलटी पर डिमांड के लिए FIR हुआ। एक भी FIR में इस बात का उल्लेख है ? एक सुधि और सजग नागरिक होने के नाते कहूँगा अभी भी समय है। प्रशासन सप्लीमेंट्री FIR दर्ज कर।

अनुज्ञप्ति के अनुसार हो नापी

नन लेसी की अनुज्ञप्ति के अनुसार नापी कर खनन किये गए पत्थर की मात्रा निकाली जाय। फिर उसका मिलान उसके रिटर्न से मिलान कर करवाई हो तो सरकार को राजस्व की हुई हानि की रिकभरी हो। लेकिन सिर्फ क्रशरों को तोड़ आईवॉस हो रहा है।

लीज एरिया से बाहर हुआ है खनन

पाकुड़ के छः प्रखण्डों के सैकड़ों खनन एरिया में लीज एरिया से बाहर खनन किया गया है। ये लोग पहुँच वाले हैं। लीज दस एकड़ में है, तो खनन तीस एकड़ में है। सभी सम्बंधित पदाधिकारी इससे वाक़िब हैं, पर हजूर के पेट में विद्या के अलावे सबकुछ है। नतीज़न लक्ष्मीपुत्रों से सरस्वतीपुत्र मजबूरन हार जाते हैं। मेरे जैसे बीचवाले ताली बजानेवाले पत्रकार और गाल बजानेवाले छुटभैये नेता अपनी ज़मीर बेच लेते हैं। वो भी कौड़ी के भाव।

खैर ये लोग 14/4 , 16/4 के कन्वेनर तोड़ कर करवाई का झांसा दे रहे हैं। कोई बोल्डर क्रशर ध्वस्त होते किसी ने देखा ? अरे अब तो लोग पैसे ख़र्चा कर अपना बेकार पड़ा क्रशर भी तोड़वाने की फ़िराक़ में हैं। बकाए के कारण रैयत और मजदूर उन्हें बंद बेकार पड़े क्रशर उठाने नहीं देते। वे लोग उसे प्रशासन के पेलोडर से तुड़वा और फर्जी जप्ती दिखाकर स्क्रेप में बेचने की जुगत लगा रहे हैं।

ग़ज़ब का तमाशा चल रहा है भाई ! अभी बहुत कुछ खुलेगा मेरे पेज़ पर। मैं भी कार्रवाइयों नियमों की खनन में लगा हूँ। बेचारी Puja जेल में कीड़ों-मच्छरों से कटवा रही, और इधर अवैध खनन के कार्रवाइयों में ही कीड़े लग गए हैं।

इसे भी पढ़े –

कार्रवाई के नाम पर मत भरमाओ, PUJA से पूछो बनींदी रातें, बेदर्द कीड़े मकोड़ों की कहानियां

कार्रवाइयों में हो रही कानूनी कोताही, अरे ED घर बसाने नहीं आई, वापस लौट ही जाएगी  |  अपनी आगे की सम्भावनायें बनाये रखनी है

संथालपरगना के सभी जिले में अवैध खनन के विरुद्ध प्रशासन रेस है। स्वयं जिले के सिविल मुखिया पुलिस कप्तान को लेकर रद्दीपुर जैसे सुदूर इलाके जा रहे हैं। जबकि चुनाव भी सर पर था। अद्भुत सक्रियता, अकल्पनीय तथा अद्वितीय सक्रियता से आम जनता हतप्रभ हैं। सच कहें तो हम पत्रकार भी अचंभित हैं। पहले जब हम अवैध खनन पर कुछ प्रशासन से पूछते थे। तो रटा रटाया जवाब मिलता था। ऐसा नहीं होता, या जाँच कराएँगे कह कर टाल दिया जाता था।

इसे भी पढ़े – पत्थर खदानों ने सिर्फ़ Puja को पूजा नहीं, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को लीला भी हैं

अब क्या हो गया ?

ब तो स्वयं जिले के मुखिया केमरे पर अवैध को स्वीकार कर रहे हैं। ख़ुद अवैध खनन को स्वीकार कर करवाई की सूचना दे रहे हैं। उन सूचनाओं को सूचना विभाग डिजिटली प्रसारित कर रहे हैं। कुछ लोग जो हमें मतलब पत्रकारों को अवैध की खबरों पर हँसते थे,चिढ़ाते थे। अब आँख चुराने लगे हैं।

इसे भी पढ़े – Puja सिंघल एंड ग्रुप ने कर दिया गुड़ गोबर, वरना हिम्मत को भी हिम्मत नहीं थी अवैध खनन रोकने की हिम्मत

यूँ सूचना प्रसारित कर रहे सूचना विभाग, नीचे पढ़िये–

जिला खनन टास्क फोर्स जिले में अवैध माइनिंग, अवैध परिवहन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। उपायुक्त पाकुड़ के निर्देशानुसार आज मालपहाड़ी थाना के सुंदरापहाड़ी मौजा में चार अवैध रूप से संचालित क्रेशर को सील करते हुए उसके संचालकों-
(1) अब्दुल शेख (2) सलाउद्दीन शेख (3) अक्कीबुल शेख (4) शमसुद्दीन शेख
पर बिना लाइसेंस के क्रेशर चलाने के कारण मालपहाड़ी ओपी में प्राथमिकी दर्ज कराया गया है।

इसे भी पढ़े – पत्रकारों के Illegal mining पर लिखते ही उठते थे सवाल के साथ उंगलियाँ

साथ ही साथ ओजारुल शेख और अल्लीउल शेख के क्रेशर का सीटीओ फेल होने के बाद भी संचालित रहने के कारण टास्क फोर्स द्वारा उसे सील किया गया और इसकी सूचना प्रदूषण विभाग झारखंड सरकार को दिया जा रहा है।

इसे भी पढ़े – आदरणीय सर आप पत्रकारों से किये वादे निभाये होते, तो Puja Singhal मामले में जाँच में ED से आगे रहते पर हाय रे छूट गया रेलवे और मौका

मौके पर जिला खनन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी पाकुड़ सदर, खान निरीक्षक, माल पहाड़ी ओ0पी0 के प्रभारी अंचल निरीक्षक, अंचल अमीन सहित अन्य उपस्थित थे।

अब भी कहा जा रहा, कुछ नहीं होगा

हँलांकि कहने और देखने में कार्रवाई हो रही है। लेकिन अगर कानूनी तकनीकी ढंग से देखा जाय तो इसमें कई खामियाँ हैं। हाँलाकि अख़बार और मीडिया क्रशरों के ध्वस्त करने की ख़बर छाप-चला रहे हैं। लेकिन मैंनें किसी भी क्रशर को ध्वस्त होने का वीडियो नहीं देखा। ध्वस्त करने के नाम पर सिर्फ पेलोडर-बुलडोजर से क्रशर के फीतों तथा उसके स्टैंड के एंगीलों को गिराया जा रहा है। और वहाँ खड़े होकर फोटो तथा वीडियो खिंचाया जा रहा है। ये फीते और स्टेंड मामूली खर्चे पर फिर खड़े हो जाएंगे। तथा खिंचाए गए फ़ोटो वीडियो से ये सावित किया जाएगा कि मैंनें आपके क्रशर को बचा लिया। फिर इस पर सुविधाशुल्क वसूले जाएँगे।

इसे भी पढ़े – ED तथा CBI सिर्फ़ नहीं, अवैध खनन में अवैध विस्फोटों के लिए NIA की भी है पूजा मामले में ज़रुरत

करवाई की बनाई जा रही सिर्फ रेकॉर्ड

ये करवाई की कयावद सिर्फ एक रिपोर्ट भर बना कर भेजना है। लोगों को करवाई की झलक भर दिखानी है। जाँच एजेंसियों को भरमाना है। को ED यहाँ घर बसाने आई है, चले जायेंगे वापस। करवाई करनी है, यो क्रशरों के फाउंडेशन को ध्वस्त कर दिखाए प्रशासन। नही ऐसा नहीं किया जाएगा। Puja गईं जेल ,जाएं। नपेंगे बड़े अफ़सर नप जाएं। राजनीति विखरेंगी बिखर जाएं। हमें तो आगे भी चुना और राजस्व की चपत लगाने की संभावना बनाए रखनी है। अच्छा कोई भी जानकर बता देगा ये गैर तकनीकी करवाई और FIR पर खड़ी केश कोर्ट में कैसे भरभरा कर गिर जाएगी। खैर कोई बात दे इससे पहले सैकड़ों क्रशर सील हुए, क्या हुआ उनका। दर्जनों FIR हुए , कहाँ खड़ी है वो !

इसे भी पढ़े – झारखंड में पूजाओं की कमी नहीं, पाकुड़ में भी एक पूजा (puja) कर रही संरक्षित अवैध खनन (Illegal mining)

ति का अंत स्वाभाविक है। भत भरमाओ भई जनता , अधिकारी और एजेंसियों को। सँभल जाओ। या फिर पूछ आओ Puja से जेल की बनींदी रातें और बेदर्द कीड़ों मकोड़ों की कहानियों को।